आयरन लेडी के नाम से जानी गईं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी 1977 का चुनाव हारने के बाद कमजोर पड़ गईं थीं। उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने तक का मन बना लिया था। तब बेटे संजय गांधी ने उन्हें संभाला और दो साल के संघर्षों के बाद वह फिर से देश की प्रधानमंत्री बनीं।
1977 से 1979 के बीच इंदिरा गांधी के निजी सचिव तथा करीबी रहे नेहरू ग्राम भारती के कुलाधिपति जेएन मिश्रा का कहना है कि ये दो साल पूर्व प्रधानमंत्री के लिए काफी संघर्षों भरे रहे। वह चुनाव हार गईं थीं। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उनका साथ छोड़ने लगे थे।
एक समय तो उन्होंने संन्यास लेने का विचार बना लिया था। वह मां आंनदमयी के आश्रम में जाने का निर्णय ले चुकीं थीं। जेएन मिश्रा के अनुसार, संजय गांधी ने कहा था कि पुरानी स्थिति वापस होगी। दो साल बाद इंदिरा गांधी के एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने में संजय गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जेएन मिश्रा ने बताया कि इंदिरा गांधी का खासतौर पर, बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष जोर रहा। बताया कि इंदिरा गांधी की इच्छा पर ही उन्होंने शिक्षा को बढ़ाने का संकल्प लिया। इसी क्रम में हनुामनगंज के जमुनीपुर में प्रियदर्शनी बालिका इंटर कॉलेज के साथ कई शिक्षण संस्थान खोले गए।
Credit By Amar Ujala