लगभग 116 साल पुराने रेल गंगापुल के अपलाइन के ट्रफ (लोहे की मोटी चादर) जर्जर हालत में हैं। इसके बाद भी दो वर्ष से ट्रेनों को कॉशन देकर निकाला जा रहा। इसमें अप रेल लाइन पर 10 किलोमीटर तो डाउन पर 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेनों के गुजरने का कॉशन लगा है। हालांकि रेलवे की ओर से पुल का सालाना रूटीन निरीक्षण होता रहता है। समय-समय पर मरम्मत होते रहने से पुल के सभी पिलर मजबूत स्थिति में बताए जा रहे हैं।
रेल गंगापुल का निर्माण वर्ष 1908 में इंग्लैंड की फ्रोडिंघम आयरन एंड स्टील कंपनी ने कराया था। इसमें इंग्लैंड की ही एक्सेल ट्री कंपनी ने पुल निर्माण के लिए लोहे की मोटी चादरें उपलब्ध कराई थी। तब से लेकर अब तक लगातार रेल गंगापुल की सही देखरेख होने के कारण 116 साल बीतने के बाद भी ट्रेनों का आवागमन जारी है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेल गंगापुल की मियाद डेढ़ सौ साल है, अभी 34 साल तक पुल मजबूत स्थिति में रहेगा। पुल के अप रेल लाइन के ट्रफ की हालत कुछ ठीक नहीं है, जिसे जल्द मेगा ब्लॉक लेकर बदला जाएगा। इसके लिए रेलवे की ओर से तैयारियां की जा रही है। ट्रफ की स्थिति खराब होने के कारण अप और डाउन रेल मार्ग पर कॉशन से ट्रेनों को धीमी गति से निकाला जा रहा है। बताया कि इसी पुल के सामानांतर एक और रेल पुल पर मंथन जारी है।
जल्द शुरू हो सकता है ट्रफ मरम्मत का कार्य
नार्दन रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम एस.एम. शर्मा ने बताया कि नार्दन मंडल को जोड़ने वाले गंगाघाट रेलवे स्टेशन के रेल गंगापुल के अप रेल लाइन के ट्रफ बदलने व उसकी अन्य मरम्मत करने का कार्य अगले आठ से दस दिनों के अंदर कराए जाने को लेकर विभाग में मंथन जारी है। जिसके लिए मेगा ब्लाक लिया जाएगा।