Crime- सॉरी…आपकी बुकिंग इस होटल में नहीं है…अरे…मैंने तो बुक की थी…!
गुरुग्राम के शर्मा दंपती ने मार्च में बच्चों के पेपर खत्म होने के बाद जगन्नाथ पुरी के दर्शन करने का मन बनाया था. मिस्टर शर्मा एक बेहद सफल ब्यूरोक्रेट हैं और आज के समय में बढ़ते साइबर अपराध से भी बेहद अवगत हैं. वो चाहते थे कि उनकी इस ट्रिप में उन्हें या उनकी फैमिली को कोई असुविधा न हो इसलिए वो किसी अच्छी टूर एंड ट्रैवल कंपनी से पहले ही बुकिंग करवाकर जगन्नाथ पुरी जाना चाहते थे. फ्लाइट की टिकट बुक करवाने के बाद शर्मा जी ने सोचा ऑनलाइन ही होटल भी बुक करवा दिया जाए.
गूगल पर जगन्नाथ पुरी में बेस्ट होटल खोजने लगे, टॉप 5 बेस्ट होटल डालते ही नज़र के सामने सबसे ऊपर जो लिंक आया वो एक टॉप क्लास होटल की वेबसाइट का था. शर्मा जी ने वेबसाइट का लिंक खोलकर और जानकारी लेनी चाही. वेबसाइट पर होटल की बेहद शानदार तस्वीरें अपलोड थीं. सुविधाओं के नाम पर बेहद शानदार सुविधाएं देने का प्रावधान था और साथ ही बेहद शानदार कस्टमर रिव्यू दिए गए थे, शर्मा जी ने पूरी संतुष्टि करने के बाद लिखे कस्टमर केयर नंबर पर बात की और सब सही समझकर होटल में 3 दिन 4 रातों की बुकिंग कर दी.
फर्जी होटल से ठगे गए शर्मा जी
जब शर्मा जी परिवार समेत बुकिंग के मुताबिक जगन्नाथ पुरी पहुंचे तो सबसे पहले वो होटल की तरफ बढ़े. शर्मा जी बेहद संतुष्ट थे कि वो पहले से ही शानदार होटल की बुकिंग करके आए हैं लेकिन उनकी हैरत का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें होटल पहुंचकर पता चला कि उनके नाम से वहां कोई बुकिंग नहीं थी. जब शर्मा जी ने उन्हें फोन पर वेबसाइट पर नाम और जीएसटी नंबर दिखाया तो वो उन्हें सही मिला लेकिन जिस अकाउंट में बुकिंट अमाउंट ट्रांसफर किया गया था वो अकाउंट नंबर अलग था. बुकिंग के समय उन्होंने जिस फोन नंबर पर बात की थी वो नंबर दोबारा मिलाया तो नंबर नॉट अवेलेबल था. शर्मा जी समझ चुके थे कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है और उन्होंने किसी फेक वेबसाइट पर विश्वास करके वहां बुकिंग अमाउंट ट्रांसफर कर दिया है. जिससे शर्मा जी बचना चाहते थे अब वो उसी असुविधा में फंस चुके थे. परेशान होकर उन्होंने खड़े-खड़े दूसरा होटल बुक किया और वहां गए.
ऑनलाइन बुक करने पर नहीं मिला होटल
ऐसा ही मामला दिल्ली के एक और कपल का है जिन्होंने शादी के बाद कश्मीर घूमने का प्लान बनाया. माया और पवन चाहते थे कि शादी के बाद के कुछ दिन वो कश्मीर की खूबसूरत वादियों में सुकून से बिताएं. इसलिए पवन ने कश्मीर में 4 दिन 5 रातों के लिए एक होटल को प्री बुक करने का मन बनाया. पवन ने इंटरनेट पर होटल सर्च करने शुरू किए. कई होटल देखने के बाद वो एक वेबसाइट पर दिख रहे होटल और उसकी दी गई तस्वीरों से संतुष्ट था. फिर उसने वेबसाइट पर दिए गए नंबर से संपर्क साधा और प्री बुकिंग के नाम पर 40-50 फीसदी अमाउंट एडवांस पेमेंट कर दिया. लेकिन जब माया और पवन कश्मीर पहुंचे तो वहां न होटल था न आसपास कुछ और. लाख कोशिशों के बाद भी उस नंबर पर संपर्क नहीं हो पाया जिसके बाद हारकर माया और पवन ने आसपास के किसी होटल में आश्रय लिया.
प्री बुकिंग का बढ़ रहा ट्रेंड
आजकल घूमने फिरने वाला ज्यादातर वर्ग पढ़ा लिखा है इसलिए वो समय की बचत और असुविधा से बचने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवाता है. पहले के लोग वहां जाकर अच्छे से देखकर होटल का चयन करते थे तो वहीं आजकल इंटरनेट पर ही हर चीज मौजूद होती है. जब बुकिंग करवाई जाती है तो किसी होटल की रेटिंग स्टार, कस्टमर रिव्यू, पिक्चर्स और वेबसाइट कैसी है, ये बातें देखी जाती हैं और इन्हीं के आधार पर बुकिंग होती है. इसी बात का फायदा ये साइबर अपराधी आजकल उठा रहे हैं.
साइबर ठगों की नई चाल
साइबर सिक्योरिटी ऑफिसर राजकुमार यादव बताते हैं कि ये साइबर ठग आपको ठगने के लिए नई-नई तरकीबों पर काम करते रहते हैं. जब इनकी एक तरकीब पुरानी हो जाती है तो ये नई तरकीब ले आते हैं क्योंकि इनका मकसद सिर्फ आपकी मेहनत की कमाई को साफ करना है. आजकल गर्मियों की छुट्टियों में ज्यादातर लोग फैमिली के साथ बाहर घूमने जाते हैं इसलिए आजकल ये नकली वेबसाइट के जरिए लोगों को चूना लगा रहे हैं. ये बिल्कुल असली दिखने वाली फेक वेबसाइट डिजाइन करते हैं. इन वेबसाइट्स को बनाने में ज्यादा रकम नहीं लगती और अगर इससे इन्होंने 15-20 लोगों को भी मोटा चूना लगा दिया तो इनकी ये तरकीब कामयाब हो जाती है.
पढ़े-लिखे शातिर चोर करते हैं ऐसी ठगी
फेक वेबसाइट वाली ज्यादातर ठगी पढ़े-लिखे लोग करते हैं ये एक ऐसी झूठी वेबसाइट तैयार करते हैं जो हूबहू असली वेबसाइट की तरह लगती है. बस इसमें इंक्वायरी डिटेल में ये अपना नंबर दे देते हैं ताकि कोई अगर इस वेबसाइट को देखकर बुकिंग करवाना चाहे तो सीधा उन्हें ही कॉन्टैक्ट करे. कस्टमर से बात करके ये उसे भरोसे में ले लेते हैं और एडवांस बुकिंग के नाम पर उनसे पैसा ट्रांसफर करवा लेते हैं. इनके पास कस्टमर के आने की पूरी डिटेल होती है इसलिए उनके वहां पहुंचने पर नंबर बंद कर देते हैं या सिम बदल लेते हैं.
SEO की मदद से रखते हैं टॉप पर वेबसाइट
साइबर एक्सपर्ट राजकुमार कहते हैं कि ये बकायदा SEO कि मदद से अपनी इन वेबसाइटों को गूगल सर्च में टॉप पर रखते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इनकी वेबसाइट पर एक्सेस कर सकें. ये इतने शातिर तरीके से वेबसाइट तैयार करते हैं कि इनको पकड़ना बेहद मुश्किल होता है, इसलिए किसी विश्वसनीय वेबसाइट से ही ऐसी बुकिंग कराएं.
छुट्टियों में बढ़ रहे हैं ऐसे साइबर अपराध
चूंकि छुट्टियों में ज्यादातर फैमिली बाहर घूमने का प्लान बनाती हैं इसलिए इस तरह के ज्यादातर अपराध छुट्टियों के दौरान बढ़ जाते हैं. इन दिनों ऐसी घटनाओं में तेजी से इजाफा हो रहा है. यही वजह है कि साइबर पुलिस लगातार गूगल से इस संबंध में बात कर रही है कि गूगल इस तरह की फेक वेबसाइट्स पर लगाम लगाएं और इन्हें टॉप सर्च में न दिखाएं.
आप भी रखें कुछ बातों का ध्यान
हालांकि साइबर पुलिस इस तरह के अपराधों को लेकर चिंतित है और गूगल से इसे लेकर बातचीत जारी है ताकि इस तरह की फेक वेबसाइट्स पर लगाम लगाई जा सके, लेकिन ये आपका भी फर्ज है कि आप जब भी किसी जगह की प्री बुकिंग करवाते हैं तो कुछ बातों का ध्यान ज़रूर रखें.
डिजिटल एक्सपर्ट पंकज शर्मा बताते हैं कि ऑनलाइन भुगतान करने से पहले अच्छी तरह जांच कर लें:
– किसी भी होटल या जगह की प्रीबुकिंग से पहले सभी तरह की जांच-पड़ताल अच्छे से कर लें क्योंकि जब आप किसी होटल की बुकिंग करते हैं तो ज्यादातर मामलों में अकाउंट पर्सनल न होकर होटल के नाम से होता है. साथ ही पेमेंट के लिए सेफ गेटवे का इस्तेमाल करें.
– भरोसेमंद वेबसाइट का चयन करें: अक्सर असली दिखने वाली वेबसाइट्स भी फेक निकल सकती हैं जिन्हें पहली नजर में पकड़ना मुश्किल होता है. इसलिए किसी विश्वसनीय वेबसाइट का ही चयन करें. सेफ वेबसाइट्स की शुरुआत https//www से शुरू होती है. किसी भी लिंक को खोलने से पहले ये ज़रूर जांच लें.
-ऑनलाइन रिव्यूज पढ़ें: किसी विश्वसनीय ट्रिप एडवाइजर, नामी साइट्स और गूगल प्लेटफार्म पर रिव्यूज पढ़ें. ज्यादा सकारात्मक और नकारात्मक रिव्यूज से सावधान रहें. जहां बात को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है वो धोखा भी हो सकता है. ऐसे में अपने किसी दोस्त या रिस्तेदार का पर्सनल रिव्यू बेहतर रहता है.
-मान्यता और लाइसेंसिंग: हर होटल या ट्रैवल एजेंसी के पास अक्सर मान्यता और लाइसेंस होता है. आप पेमेंट करने से पहले उसकी जांच भी कर सकते हैं.
-धोखाधड़ी की स्थिति में: अगर आपके साथ इस तरह का धोखा हो भी जाए तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें. 1930 पर आप साइबर अपराध से जुड़ी धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं. आप इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट देश के किसी भी हिस्से से करवा सकते हैं. आस-पास के थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं, जहां बैंक अकाउंट जिसमें आपने पैसे ट्रांसफर किए हैं और जिस नंबर पर आपने बात की है उसकी जांच के आधार पर आपके पैसे वापस लाने की कोशिश की जा सकती है.
जागरूक रहिए और इस तरह की ठगी से बचिए
अगर आप भी इन गर्मियों की छुट्टियों में कहीं बाहर घूमने का प्लान कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखिए ताकि ये साइबर अपराधी आपकी छुट्टियों के रंग में भंग न डाल दें और आपकी मेहनत की कमाई का पैसा इनकी जेब में न चला जाए.
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