Crime- डॉक्टरी का क ख ग घ भी नहीं जानते, फिर बिना डिग्री 12वीं पास 100 लोग कैसे बन गए डॉक्टर?
राजस्थान में अनोखा फर्जीवाड़ा देखने को मिला है. यहां एक दो नहीं बल्कि 12वीं पास 100 ऐसे लोगों को डॉक्टर बना दिया गया, जिन्होंने न तो कभी मेडिकल की पढ़ाई की और न ही कोई इंटर्नशिप. फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद यहां भजनलाल सरकार ने मामले में बड़ी कार्रवाई की. काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश शर्मा को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. सवाई मानसिंह अस्पताल के प्रमुख विशेषज्ञ सर्जरी डॉ. गिरधर गोपाल गोयल को अब RMC के रजिस्ट्रार का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने मामले में पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की है. इस समिति की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. राजेश शर्मा, सहायक प्रशासनिक अधिकारी अखिलेश माथुर और कनिष्ठ सहायक फरहान हसन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.
क्या बोले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री?
गजेन्द्र सिंह खींवसर ने बताया- रिपोर्ट के अनुसार प्रथम दृष्टया पंजीकरण करने में कुछ प्रक्रियागत खामियां सामने आई हैं. साथ ही, पंजीकरण में लापरवाही एवं अनियमितता से संबंधी तथ्य भी सामने आए हैं. इसे देखते हुए रजिस्ट्रार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है. खींवसर ने यह भी कहा है कि फर्जी पंजीकरण होना गंभीर मामला है. हम इसकी तह तक जाएंगे. राज्य सरकार भ्रष्टाचार पर शून्य बर्दाश्त की नीति पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग में भी इसी नीति के आधार पर काम सुनिश्चित किया जा रहा है. एक सरकारी बयान के अनुसार, फर्जी पंजीकरण मामले में जांच समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कार्मिकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी भी स्तर पर अनियमितताएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी.
पांच सदस्यीय समिति में कौन?
पांच सदस्यीय समिति में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान, परियोजना निदेशक पीसीपीएनडीटी महिपाल सिंह, अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, वित्तीय सलाहकार वीना गुप्ता और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह शामिल हैं. समिति ने मंगलवार शाम को अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है. शीघ्र ही, कमेटी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर आवश्यक कार्रवाई भी की जाएगी.
कुछ फर्जी डॉक्टरों के नाम उजागर
रिपोर्ट में कुछ फर्जी डॉक्टरों के नाम भी उजागर किए गए हैं. डॉ. सरिमुल एच मजूमदार, डॉ. रामकिशोर महावर, डॉ. गीता कुमारी, डॉ. देवेंद्र नेहरा, डॉ. शांतनु कुमार, डॉ. पंकज यादव, डॉ. महेश कुमार गुर्जर आदि. इन फर्जी डॉक्टरों ने न तो कभी मेडिकल की पढ़ाई की और न ही इंटर्नशिप की. बावजूद इसके इनको सरकारी मुहर लगाकर डॉक्टर होने का प्रमाण पत्र बांट दिया गया.
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