धर्म-कर्म-ज्योतिष – Karmo Ka Fal: कर्मों का फल मिलता है, कैसे, कब और कहां यहां जानिए #INA

Karmo Ka Fal: बहुत समय पहले, एक राज्य में एक राजा था. वह अक्सर सोचता था कि वह राजा क्यों बना. इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए एक दिन उसने अपने राज्य के बड़े ज्योतिषियों को आमंत्रित किया. जब ज्योतिषी दरबार में उपस्थित थे, राजा ने यह प्रश्न उनके सामने रखा, उसी समय जब मैं पैदा हुआ था, उसी समय कई अन्य लोग भी पैदा हुए होंगे, उनमें से मैं राजा क्यों बना, दरबार में उपस्थित किसी भी ज्योतिषी ने इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया.

एक पुराने ज्योतिषी ने राजा को बताया कि राज्य के बाहर एक जंगल में रहने वाला महात्मा उनके प्रश्न का उत्तर दे सकता है. राजा तुरंत महात्मा से मिलने के लिए जंगल की ओर निकल पड़े. जब वह महात्मा के पास पहुंचा तो उसने देखा कि वह कोयला खा रहा था. राजा चकित रह गया. लेकिन उस समय राजा की सिर्फ अपने प्रश्न का उत्तर पाना चाहता था. उसने बिना समय गवाए अपना प्रश्न महात्मा के सामने रख दिया. प्रश्न सुनकर महात्मा ने कहा, हे राजा, मैं इस समय भूख से पीड़ित हूं, मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकता. आप उस पहाड़ पर चले जाएं वहां एक महात्मा हैं वो आपकी मदद करेंगे.

राजा आगे दूसरे पहाड़ की ओर चल पड़ा. जब वहां पहुंता तो वो महात्मा अपने ही मांस को चिमटे से फाड़कर खा रहा था. राजा ने उनसे वही प्रश्न दोहराया. प्रश्न सुनकर महात्मा ने कहा, हे राजा, मैं आपका प्रश्न नहीं बता सकता. मैं भूख से पीड़ित हूं. इस पहाड़ी के नीचे एक गांव है. वहां एक पांच साल का बच्चा रहता है. वह जल्द ही मरने वाला है. आप उससे अपने सवाल का जवाब पाएं.

राजा गांव गया और बच्चे से मिला. बच्चा मौत के कगार पर था. राजा का प्रश्न सुनकर वह हंसने लगा. राजा बच्चे को हंसते देखकर हैरान था, लेकिन वह शांति से अपने प्रश्न का उत्तर पाने का इंतजार करने लगा. बच्चे ने कहा, राजा, मेरे पिछले जीवन में मैं, आप और दो महात्मा, जिनसे आप पहले मिले थे, भाई थे. एक दिन, हम सभी भाई भोजन कर रहे थे.

एक साधु हमारे पास आया और भोजन मांगने लगा. सबसे बड़े भाई ने उससे कहा, अगर मैं तुम्हें अपना खाना दूंगा, तो क्या मैं अंगारे खाऊंगा? साधु ने कहा तथास्तु और आगे बढ़ गया और आज वह अंगारे खा रहा है. जब साधु दूसरे भाई के पास गया तो दूसरे भाई ने कहा कि अगर मैं तुम्हें अपना खाना दूंगा तो क्या मैं अपना ही मांस फाड़कर खाऊंगा? साधु ने उससे भी तथास्तु कहा और आगे बढ़ गया और आज वह अपना ही मांस फाड़कर खा रहा है.

जब साधु ने मुझसे खाना मांगा, तो मैंने कहा कि अगर मैं तुम्हें अपना खाना दूंगा, तो क्या मैं भूख से मर जाऊं भूखे ऋषि ने भी मुझसे कहा, तथास्तु और आज मैं मौत के कगार पर हूं, लेकिन आपने दया दिखाई और भूखे ऋषि को अपना भोजन दिया जिससे वह खुश हुआ. ऋषि ने आपको राजा बनने का आशीर्वाद दिया. इस पुण्य का ही गौरव है कि आप इस जीवन में राजा बने.

यह कहकर बच्चा मर गया. राजा को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था और वह अपने राज्य की ओर चल पड़ा. अच्छे कर्म अच्छे परिणाम देते हैं, इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें और दूसरों की जितनी हो सके मदद करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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