खबर फिली – किस्मत से हुई थी इस एक्टर की बॉलीवुड में एंट्री, खड़े-खड़े मिल गई थी पहली फिल्म, बाद में दिए कई ब्लॉकबस्टर – #iNA @INA
दादा मुनि के नाम से पहचान बनाने वाले दिग्गज एक्टर अशोक कुमार ने लंबे समय तक बॉलीवुड पर राज किया है. हालांकि, वो फिल्मों में इत्तफाक से आए थे, वैसे इसे इत्तेफाक नहीं बल्कि किस्मत का नाम देना ज्यादा सही रहेगा. अशोक कुमार ने साल 1936 में ‘जीवन नैया’ से फिल्मी दुनिया में एंट्री ली थी.
‘दादामुनी द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ अशोक कुमार’ में उनकी जिंदगी के बारे में कई बातें बताई गई हैं. अशोक कुमार भागलपुर के एक बंगाली परिवार में पले-बढ़े, इनका असल नाम कुमुद कुमार गांगुली था. फिल्मों में एंट्री उन्होंने अपने एक दोस्त के जरिए किया था. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की, जहां उनकी मुलाकात शशधर मुखर्जी से हुई. दोनों काफी अच्छे दोस्त बन गए, कुछ वक्त के बाद अशोक ने उनके साथ अपनी एकलौती बहन की शादी कर दी.
अचानक मिल गई फिल्म
शशधर 1934 में न्यू थिएटर में लेबोरेटरी असिस्टेंट का काम किया उसी दौरान उन्होंने अशोक कुमार को भी अपने पास बॉम्बे टॉकीज बुला लिया. साल 1936 में बॉम्बे टॉकीज की फिल्म ‘जीवन नैया’ पर काम चल रहा था, जिसमें पहले एक्टर नजम उल हसन को कास्ट किया गया था. लेकिन किन्हीं वजहों से एक्टर ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया. बॉम्बे टॉकीज के मालिक ऐसी स्थिति में काफी परेशान हो गए, उसी वक्त उनकी नजर अशोक कुमार पर गई. अशोक को देखने के बाद से उन्होंने उनसे फिल्म में बतौर लीड एक्टर काम करने को कहा. फिल्म रिलीज होने के बाद से हिट साबित हुई.
शुरू किया प्रोडक्शन हाउस
इसके बाद से उन्होंने ‘अछूत कन्या’ में बॉलीवुड की बिंदास ड्रैगन लेडी देविका रानी के साथ काम किया. इन फिल्मों में काम करने के बाद अशोक कुमार ने इंडस्ट्री में खुद की एक पहचान बना ली. एक्टिंग में अपनी किस्मत आजमाने के बाद उन्होंने फिल्म मेकर के तौर पर अपना सफर शुरू किया. अशोक कुमार प्रोडक्शन के बैनर तले पहली फिल्म ‘समाज’ बनी, हालांकि ये फिल्म फ्लॉप हो गई. अगले 3 सालों तक उन्होंने कई फिल्में बनाई, लेकिन लगातार मिल रही असफलता की वजह से प्रोडक्शन हाउस बंद हो गया. उन्हें उनके फिल्मी सफर के लिए दादा साहेब फाल्के और पद्मश्री अवॉर्ड मिला. 10 दिसंबर 2001 में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
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