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दुनिया में घातक Mpox की एंट्री से WHO की उड़ी नींद… पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित, पाकिस्तान में तीन मामले आए सामने
अफ्रीका के कई देशों में एममॉक्स के मामले सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। अफ्रीका के बाद स्वीडन में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए बुधवार को WHO ने बैठक की थी। WHO प्रमुख वे इस वायरस की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से अधिक उत्पादन करने की अपील की है।
HighLights
- साल 2024 में 14,000 से अधिक मामले आए सामने
- विश्व स्वास्थ्य संगठन खर्च करेगा 15 मिलियन डॉलर
- प्रभाव रोकने के लिए दो टीकों का हो रहा उपयोग
एजेंसी, नई दिल्ली (Monkey Pox)। अफ्रीका में फैल रहे एमपॉक्स के मामलों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) की चिंता बढ़ा दी है। इसके चलते इस बीमारी को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Public Health Emergency) घोषित किया गया है। WHO के अनुसार, इस साल एमपॉक्स के 14,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि 524 लोगों की मौत हो चुकी है। 2023 के मुकाबले ये मामले काफी अधिक है।
इन देशों में एमपॉक्स का असर
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) और पड़ोसी बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा में एमपॉक्स के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ ने अफ्रीका में इसके और अधिक फैलने की आशंका जाहिर की है।
बुधवार को हुई बैठक
इस वायरस के खतरे को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बुधवार को बैठक की थी। WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने बताया कि क्लेड्स नामक विभिन्न वायरस के कारण एमपॉक्स का प्रकोप देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा, पिछले साल डीआरसी में क्लेड 1बी वायरस फैला था, जो “मुख्य रूप से यौन नेटवर्क के माध्यम से” हुआ था। यह काफी घातक है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है।
Today, the Emergency Committee on #mpox met and advised me that in its view, the situation constitutes a public health emergency of international concern. I have accepted that advice.@WHO is on the ground, working with the affected countries, and others at risk, through our…
— Tedros Adhanom Ghebreyesus (@DrTedros) August 14, 2024
WHO ने उठाए ये कदम
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने बताया कि इस वायरस के प्रकोप को समझने और इसका समाधान करने के लिए प्रभावित देशों की सरकारों, अफ्रीका सीडीसी और अन्य साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही ब्लड सैंपल भी लिए जा रहे हैं।
15 मिलियन डॉलर होंगे खर्च
टेड्रोस के अनुसार वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए क्षेत्रीय प्रतिक्रिया योजना बनाई गई है। इसके तहत निगरानी और तैयारी के लिए 15 मिलियन डॉलर की जरूरत होगी। फिलहाल इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आपातकालीन निधि से 1.45 मिलियन डॉलर दिए गए है। आगामी दिनों में और राशि जारी की जाएगी।
दो टीकों की ले रहे मदद
एमपॉक्स वायरस से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ फिलहाल दो प्रकार के टीकों की मदद ले रहा है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने एमपॉक्स वैक्सीन बनाने वाली कपंनियों से अधिक उत्पादन करने की अपील की है, ताकि निम्न आय वाले देशों में भी वैक्सीन पहुंचाई जा सके।
स्वीडन में भी एमपॉक्स की दस्तक
विश्व स्वास्थ्य के अनुसार, स्वीडन में भी एमपॉक्स का पहला मामला दर्ज किया गया है। अफ्रीका के बाहर इस वायरस का यह पहला मामला है। स्वीडिश स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो स्वीडन का एक व्यक्ति अफ्रीका में रहते हुए इस वायरस की चपेट में आया था। फिलहाल उसका इलाज चल रहा है और स्थिति नियंत्रण में हैं।
यूरोप में भी खतरा
WHO का मानना है कि रूस में इस तरह के मामलों का कोई असर नहीं होगा, लेकिन यूरोप में एमपॉक्स के मामले सामने आ सकते हैं।
पाकिस्तान में भी सामने आए मामले
पाकिस्तान में भी मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए हैं। बताया गया कि ये सभी लोग यूएई से लौटे थे।
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सौजन्य से jagran. com
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