दुनियां – अमेरिका में क्या बच्चों को जन्म देने से डरती हैं महिलाएं? गर्भपात के बाद अब चुनाव में आया IVF का मुद्दा – #INA

5 नवंबर को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होना है, व्हाइट हाउस की रेस के लिए चुनावी अभियान तेज़ हो गया है. उम्मीदवार जनता की नब्ज़ पर पकड़ मजबूत बनाने के लिए एक से बढ़कर एक वादे कर रहे हैं. इसी कड़ी में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने मुफ्त IVF ट्रीटमेंट का दांव खेला है.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अबॉर्शन का मुद्दा हावी रहा है, जून 2022 में जब सर्वोच्च अदालत ने अबॉर्शन को मंजूरी देने वाले कानून पर रोक लगाई तब से महिलाओं के बीच यह बड़ा मुद्दा माना जाता रहा है. वहीं अब ट्रंप के मुफ्त IVF ट्रीटमेंट के वादे से सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका में यह मुद्दा क्या इतना बड़ा है जो चुनावी बाज़ी पलट सकता है.
कितना असरदार हो सकता है IVF का मुद्दा ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में IVF ट्रीटमेंट के सिंगल राउंड के लिए करीब 10 हज़ार डॉलर (करीब 8 लाख रुपये) तक का खर्च आता है. कुछ महिलाओं को IVF के तहत कई बार एक से ज्यादा राउंड के ट्रीटमेंट की ज़रूरत पड़ती है. यानी बच्चे की चाह रखने वाले दंपति के लिए यह बेहद महंगा इलाज है.
साल 2023 के pew रिसर्च सर्वे के मुताबिक अमेरिका के करीब 42 फीसदी व्यस्कों का कहना है कि उन्होंने या उनके परिचितों ने IVF ट्रीटमेंट लिया है. आमदनी के आधार पर इन आंकड़ों पर नज़र डालें तो निम्न आय वर्ग (लोअर क्लास) में 29 फीसदी, मिडिल क्लास में 45 फीसदी और अपर क्लास यानी अमीरों में यह आंकड़ा 59 फीसदी है. वहीं अमेरिका की करीब 60 फीसदी आबादी का मानना है कि IVF ट्रीटमेंट का खर्च हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होना चाहिए. यानी ट्रंप का यह चुनावी वादा एक बड़े वर्ग को सीधा टारगेट कर सकता है.
US हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस के मुताबिक अमेरिका की 15 से 49 साल की करीब 9 फीसदी विवाहित महिलाएं किसी न किसी वजह से इनफर्टिलिटी (बांझपन) का सामना करती हैं. जिसके चलते हर 8 में से एक महिला को अपने जीवन में कम से कम एक बार IVF ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ा है. इसके अलावा साल 2021 में अमेरिका में जन्मे कुल बच्चों में से करीब 2.3% बच्चे (86, 146 बच्चे) IVF से जन्मे थे. इन आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में एक बड़ी आबादी परिवार बढ़ाने के लिए IVF ट्रीटमेंट का सहारा लेती है.
महिला वोटर्स को साधने के लिए दांव!
दरअसल अमेरिकी महिलाओं के बीच हुए ताज़ा सर्वे के मुताबिक कमला हैरिस ने ट्रंप के मुकाबले 10 प्वाइंट की बढ़त बनाई हुई है, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स के राष्ट्रीय सर्वे में हैरिस की लीड 3 प्वाइंट की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अश्वेत और महिला मतदाताओं के बीच कमला हैरिस काफी पॉपुलर हैं. अबॉर्शन के अधिकार का समर्थन करने वाली कमला हैरिस को महिलाओं का काफी समर्थन मिल रहा है.
इन महिला मतदाताओं में सेंध लगाने के लिए ट्रंप ने IVF ट्रीटमेंट को लेकर बड़ा वादा किया है. उन्होंने कहा है कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो IVF उपचार का पूरा खर्च सरकार उठाएगी या फिर इसके लिए बीमा कंपनियों को मजबूर किया जाएगा. अमेरिका में IVF ट्रीटमेंट पर भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ती है लिहाज़ा ट्रंप का वादा एक बड़ी आबादी पर असर डाल सकता है.
अबॉर्शन और IVF के मुद्दे में कोई कनेक्शन है?
अबॉर्शन का वैसे तो IVF से सीधा-सीधा कोई कनेक्शन नहीं है, लेकिन अमेरिका के संदर्भ में देखा जाए तो यह काफी हद तक एक-दूसरे से जुड़े हो सकते हैं. दरअसल IVF की ज़रूरत बांझपन की समस्या के कारण आती है, और बांझपन की कई वजहें हो सकती हैं. इनमें से एक वजह है एक निश्चित समय तक गर्भ धारण न करना भी हो सकता है. ज्यादातर डॉक्टर्स विवाहित महिलाओं को 30 साल की उम्र से पहले ही गर्भधारण की सलाह देते हैं, जिससे महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ आने वाली समस्याओं का सामना न करना पड़े. वहीं 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में इनफर्टिलिटी का रिस्क ज्यादा होता है. इसके अलावा खान-पान, स्मोकिंग, अल्कोहल जैसे कई फैक्टर्स इसके पीछे हो सकते हैं. बांझपन सिर्फ महिलाओं में ही नहीं बल्कि पुरुषों में भी हो सकता है, लिहाज़ा इसके लिए किसी एक खास वजह को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है.
अमेरिका में अबॉर्शन के प्रमुख कारण
वहीं अमेरिका में साल 2020 में कुल 6 लाख 20 हजार 327 अबॉर्शन कराए गए थे, इनमें से 93 फीसदी अबॉर्शन 13 हफ्तों की प्रेग्नेंसी (शुरुआती 3 महीनों) में हुए थे. सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक प्रेग्नेंसी को आगे न बढ़ाने का फैसला किसी महिला का बेहद निजी फैसला होता है. कई बार इसके पीछे एक से ज्यादा कारण हो सकते हैं.
CDC के एक अध्ययन के मुताबिक 40 फीसदी लोग आर्थिक कारणों की वजह से अबॉर्शन कराना चाहते हैं. वहीं 36 फीसदी लोगों का कहना है कि वह भावनात्मक और आर्थिक तौर पर बच्चे के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए उन्होंने अबॉर्शन का फैसला लिया. इनमें से कई लोगों का यह भी मानना होता है कि बच्चे पैदा करने के लिए अभी उनकी उम्र नहीं हुई है. इसके अलावा 31 फीसदी लोगों ने अबॉर्शन के पीछे अपने पार्टनर के व्यवहार या रिश्ते का स्टेबल ना होना वजह बताया है. इसके अलावा भी अबॉर्शन के पीछे लोगों के कई तरह के कारण और मजबूरियां हो सकती हैं.
अमेरिका में अबॉर्शन को लेकर क्या है क़ानून?
1973 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध रो बनाम वेड केस में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के अबॉर्शन का कानूनी अधिकार दिया था. इस कानून के मुताबिक महिलाएं प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में अबॉर्शन करा सकती थीं. इसके बाद के 3 महीनों में अबॉर्शन पर रोक लगाई जा सकती थी, वहीं प्रेग्नेंसी के अंतिम 3 महीनों में अबॉर्शन कराना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था.
लेकिन जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और अबॉर्शन से जुड़े कानून को राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में ला दिया. इससे अमेरिका के कई राज्यों में अबॉर्शन को प्रतिबंधित कर दिया, कुछ राज्यों में तो 6 हफ्ते की प्रेग्नेंसी में भी अबॉर्शन कराना प्रतिबंधित है, जबकि कई बार 6 हफ्तों में तो महिलाओं को प्रेग्नेंसी का पता भी नहीं चल पाता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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