दुनियां – इजराइल नहीं, लेक मचाएगी तबाही…ईरान के 50 लाख लोगों की जान पर बन आई – #INA
ईरान-इजराइल के साथ तनाव और अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से आर्थिक संकट से गुजर रहा है. साथ ही ईरान सरकार मानवाधिकार और महिला अधिकारों की बात करने वाले संगठनों के निशाने पर रहती है. अब ईरान के लिए एक और बड़ा संकट आ खड़ा हुआ. ये संकट किसी देश से नहीं बल्कि ईरान की उर्मिया झील से है.
एक समय में मध्य पूर्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील से मशहूर उर्मिया झील अब सूख रही है. इस झील में सर्दियों और वसंत के दौरान लगभग एक अरब घन मीटर पानी जमा होता था, लेकिन अब ये पूरी तरह से सूख गई है. जिसकी वजह से आसपास रहने वाले करीब 50 लाख लोगों का जीवन संकट में आ गया है.
The tragic evolution of #LakeUrmia
This is how excessive water use dried up Irans largest inland water body, one of the worlds largest hypersaline lakes.#WaterBankruptcy
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— Kaveh Madani (@KavehMadani) May 11, 2022
दूसरी बार सूखी झील
पिछले कुछ सालों में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब ये झील पूरी तरह से सूख गई है. सरकार ने इसके जल स्तर को फिर से भरने के लिए कई कोशिशें की, लेकिन वे सभी नाकाम साबित हुई हैं. सैटेलाइट इमेजरी से झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों में एक विशाल सफेद नमक की परत देखी जा सकती है, जो अत्यधिक वाष्पीकरण (Evaporation) की वजह से है.
झील का ये संकट लंबे समय से पड़ रहे सूखे और स्थानीय लोगों की ओर से पानी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल और झील की सहायक नदियों पर बांधों के निर्माण के कारण आया है.
20 सालों में 95 फीसद पानी सूखा
जानकारों का मानना है कि उर्मिया झील के सिकुड़ने वजहों में जमीन के पानी का बिना रुकावट इस्तेमाल, साथ ही झील के पानी के लिए मुख्य स्रोत कहे जाने वाले ज़रीनेह रुड से सेब के बागों की सिंचाई के लिए पानी की दिशा मोड़ना है. झील सिर्फ 20 सालों में अपना 95 फीसद पानी खो चुकी है और अब विलुप्त होने की कगार पर है.
खेती और पर्यटन के लिए बढ़ी मुसीबत
उर्मिया झील के पूरी तरह सूख जाने से स्थानीय कृषि और पर्यटन पर बुरा असर पड़ रहा है, झील के सिकुड़ने से ये पहले से ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. झील के सूखने के बाद इसके तल से उठने वाली धूल और नमक की आंधी अब क्षेत्र के लाखों लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही है.
झील का जलस्तर सालों से लगातार घट रहा है, सितंबर 2023 में 1,270 मीटर से भी कम के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था, जो मई 1995 में दर्ज किए गए इसके सर्वोच्च स्तर से आठ मीटर कम है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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