दुनियां – श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न, क्या रानिल विक्रमसिंघे की फिर होगी वापसी? – #INA

श्रीलंका के दिवालियापन होने के बाद शनिवार को आयोजित पहला राष्ट्रपति चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. राष्ट्रपति चुनाव में देश के सभी 22 जिलों में कोई भी हिंसा की खबर नहीं आई है. शाम चार बजे तक पोलिंग का समय था. उसके बावजूद भी कई मतदान केंद्रों पर लाइनें देखी गई. चुनाव अधिकारियों ने मतदाताओं को मतदान की अनुमति दी. उसके बाद फिलहाल मतों की गिनती जारी है.
अधिकारियों का कहना है कि शाम चार बजे मतदान समाप्त हो गया था. उसके बाद ही डाक मतों का गणना शुरू हो गई है. डाक मत सरकारी कर्मचारियों, चुनाव अधिकारी, सेना और पुलिस अधिकारियों द्वारा डाले जाते हैं. यह मतदान वोटिंग के चार दिन पहले होता है. उसके बाद शाम छह बजे से मतों की गणना शुरू हुई है. मतगणना पर सभी की की नजर है.
रानिल विक्रमसिंघे के लिए अग्निपरीक्षा
यह चुनाव मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के लिए अग्निपरीक्षा है. लोगों की निगाहें चुनाव परिणाम पर टिकी हुई है कि क्या रानिल विक्रमसिंघे की फिर से वापसी होगी? आर्थिक तंगी के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने आर्थिक सुधार शुरू की थी.
विक्रमसिंघे इस चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं और आर्थिक सुधार को उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान मुद्दा बनाया था. बता दें कि अप्रैल 2022 के मध्य में श्रीलंका आर्थिक संकट में फंस गया था.
वहां संप्रभु डिफॉल्ट की घोषणा की गई थी. लगभग गृह-युद्ध जैसी स्थितियों और महीनों के सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश को भागना पड़ा था और एक सप्ताह बाद संसद द्वारा रामिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था. अब वह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव में प्रतिद्वंद्विता कर रहे हैं.
चुनाव परिणाम पर विश्व की नजर
चुनाव में स्थानीय और विदेशी करीबी 8,000 चुनाव पर्यवेक्षकों को तैनात किया गया है. इसमें राष्ट्रमंडल, यूरोपीय संघ, दक्षिण एशियाई देशों के सात पर्यवेक्षक और चुनाव के एशियाई नेटवर्क के 116 अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक शामिल हैं. चुनाव के दौरान पीपुल्स एक्शन फॉर फ्री एंड फेयर इलेक्शन की ओर से 4,000 स्थानीय पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई है.
श्रीलंका का राष्ट्रपति का यह चुनाव काफी दिलचस्प है, क्योंकि साल 1982 के बाद से अब तक हुए सभी राष्ट्रपति चुनावों में सबसे अधिक 38 उम्मीदवार मैदान में हैं.
चुनाव के लिए 13,400 से अधिक मतदान केंद्र बनाये गये थे और 2,00,000 से अधिक अधिकारियों की तैनाती की गई थी. स्कूल, बौद्ध मंदिर हॉल और सामुदायिक केंद्रों में पोलिंग स्टेशन बनाये गये थे और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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