दुनियां – मार्क्सवादी नेता अनुरा दिसानायके होंगे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति, सोमवार को लेंगे शपथ – #INA

मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने रविवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है. देश के चुनाव आयोग ने दूसरे दौर की मतगणना के बाद अनुरा कुमारा दिसानायके विजेता घोषित कर दिया. प्राप्त जानकारी के अनुसार अनुरा कुमारा दिसानायके सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करेंगे. वो श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति होंगे.
मार्क्सवादी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी के नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके ने समागी जना बालवेगया (एसजेबी) के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा को पराजित कर यह जीत हासिल की थी.
बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे ते. वह मतगणना के पहले दौर में ही बाहर हो गये थे.
दो साल पहले जनविद्रोह के बाद विक्रमसिंघे बने थे राष्ट्रपति
बता दें कि लगभग दो साल पहले श्रीलंका में जनद्रोह के बाद संसद की ओर से रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति बनाया गया था. रानिल विक्रमसिंघे ने पिछले दो सालों के दौरान आर्थिक सुधार पर जोर दिया था और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुानव लड़ रहे थे, लेकिन वह पहले दौर की मतगणना में भी जीत हासिल नहीं कर पाएं.
चुनाव परिणाम के बाद निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके मैं श्रीलंका के प्यारे बच्चे को आपकी देखभाल में सौंप रहा हूं. मैं चाहता हूं कि नए राष्ट्रपति के रूप में आपकी देखरेख में बच्चे को सुरक्षित रूप से उसके गंतव्य तक पहुंंचाया जाए.
शनिवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान हुआ था, लेकिन मतगणना के पहले चरण में किसी विजेता को आवश्यक 50 फीसदी से अधिक मत नहीं मिले थे. इस कारण चुनाव आयोग ने दूसरे चरण की मतगणना का आदेश दिया था. दूसरे चरण की मतगणना में मार्क्सवादी नेता अनुरा दिसानायके विजयी हुए.
AKD के नाम से जाने जाते हैं दिसानायके
दिसानायके को श्रीलंका में AKD के नाम से जाना जाता है. उनकी पार्टी JVP के लिए राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतना बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है. यह पार्टी लंबे समय से हाशिये पर थी. दिसानायके श्रीलंका के पहले मार्क्सवादी पार्टी के नेता हैं, जो श्रीलंका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं.
दिसानायके ने भ्रष्टाचार विरोधी और राजनीतिक संस्कृति में बदलाव का दावा किया था. इसने युवा मतदाताओं को बहुत प्रभावित किया. वे आर्थिक संकट के बाद से व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहे हैं. युवाओं ने दिसानायके के पक्ष में जमकर मतदान किया.
उत्तर मध्य प्रांत के ग्रामीण थंबुत्तेगामा से ताल्लुक रखने वाले दिस्सानायके कोलंबो उपनगरीय केलानिया विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की है. वह साल 1987 में एनपीपी की मातृ पार्टी जेवीपी में शामिल हुए थे, जब उनका भारत विरोधी विद्रोह चरम पर था.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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