दुनियां – इजराइल गाजा में नहीं लगा पाया बंधकों का सुराग, लेबनान में कैसे पता लगाई दुश्मनों की लोकेशन? – #INA

इजराइल हमास की जंग को लगभग एक साल हो चुका और ये जंग क्षेत्र के दूसरे इलाके में भी फैल गई है. 7 अक्टूबर के बाद गाजा में इजराइल ने बर्बर हमले शुरू किए, इस कार्रवाई के विरोध में लेबनान, यमन, इराक और सीरिया से इजराइल पर जवाबी हमले होने लगे. इन सभी फ्रंट में से सबसे बड़ी चोट लेबनान के हिजबुल्लाह ने दी, जिसकी कार्रवाई के परिणाम स्वरूप लेबनानी बॉर्डर के पास बसे करीब 60 हजार इजराइलियों को विस्थापित होना पड़ा है और हाइफा पोर्ट को लगभग बंद करना पड़ा.
इजराइल ने हिजबुल्लाह के खतरे को जल्द ही भांप लिया था और अपनी रणनीति तैयार कर ली थी. 2024 की शुरुआत से ही उसने हिजबुल्लाह के बड़े लीडरों को निशाना बनाना शुरू किया. इजराइल ने अपने खुफिया तंत्र का लेबनान में ऐसा जाल बिछाया कि उसके पास हिजबुल्लाह की सभी मूवमेंट का खबर आने लगी और उसने जनवरी में हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर वसीम अल-तवील की हत्या के बाद से फवाद शुक्र, इब्राहिम अकील आदि के साथ साथ अब हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह को भी ठिकाने लगा दिया है.
नसरल्लाह की मौत के बाद लड़कों पर उतरे समर्थक
इजराइल ने भले ही लेबनान में हिजबुल्लाह के कई बड़े कमांडर मौत के घाट उतार दिए हो, लेकिन गाजा में उसका वो मकसद पूरा नहीं हो पाया है, जिसके लिए उसने ये जंग शुरू की थी. गाजा में अभी 100 के करीब बंधक हमास की गिरफ्त में हैं और इजराइल सेना को उनका कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है. अब सवाल आता है कि आखिर इजराइल खुफिया एजेंसियां लेबनान में कैसे कामयाब हो रही हैं और गाजा को पूरी तरह तबाह करने के बाद उनके हाथ बंधक क्यों नहीं लग पाए हैं.
लेबनान में कैसे मजबूत हुआइजराइली खुफिया तंत्र
लेबनान में इजराइल के मुखबिरों और इंटेलिजेंस के नेटवर्क को समझने के लिए हमें आज से करीब 44 साल पहले जाना होगा. 1975 के दशक में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया था और इस युद्ध में कई मिलिशिया लेबनान सेना के साथ-साथ आपस में भी लड़ रहे थे. पूरा 15 साल तक चले इस युद्ध में हिजबुल्लाह ने कई सुन्नी और ईसाई गुटों को लेबनान में धूल चटा दी और बड़े पैमाने पर कत्ल ए आम कर लेबनान में अपनी स्थिति मजबूत की.
देखते ही देखते हिजबुल्लाह ने खुद का एक मिलिशिया के साथ साथ पॉलिटिकल पार्टी और सामाजिक संगठन के रूप में भी विस्तार किया और वे लेबनान की सरकार में दखल रखने लगा.
अब हिजबुल्लाह के लीडर चुनाव भी लड़ रहे थे और उसके सदस्य लेबनान में सामाजिक कार्यों में भी लगे थे. हसन नसरल्लाह की लीडरशिप में संगठन ने नए आसमान छुए और लेबनान सेना से भी ताकतवर हिजबुल्लाह मिलिशिया बन गई. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसमें सारा योगदान हसन नसरल्लाह का ही नहीं बल्कि ईरान का भी है.
ईरान अपनी शिया इस्लामिक क्रांति का विस्तार करने के लिए हिजबुल्लाह का इस्तेमाल करता रहा और उसको हर तरह की मदद देने लगा.
हिजबुल्लाह लड़ाकों के हमलों से परेशान होकर साल 2000 में इजराइल सेना ने लेबनान के उन हिस्सों से कब्जा छोड़ दिया जहां वे 1978 से बने हुए थे. दरअसल लेबनान की ओर से इजराइल पर कई फिलिस्तीनी लड़ाके हमले करते और वापस लेबनान आ जाते, इन हमलों को रोकने के लिए 1978 में इजराइल सेना बफर जोन बनाने के मकसद से लेबनान में घुसी और सीमा से सटे इलाके पर कब्जा कर लिया.
साल 2006 के बाद इजराइल ने बदली अपनी रणनीति
अब तक इजराइल अधिकारी अमेरिका इंटेलिजेंस और कुछ अपने एजेंटों के सहारे हिजबुल्लाह से निपटने की कोशिश कर रहे थे. 2006 में हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच चली लगभग 38 दिन की जंग में हिजबुल्लाह ने इजराइल सेना को बुरी तरह हरा दिया और इजराइल सेना को लेबनानी क्षेत्र से और पीछे हटना पड़ा.
इस हार के बाद इजराइल की बड़ी किरकिरी हुई और हिजबुल्लाह की शिया वर्ल्ड के साथ-साथ सुन्नी वर्ल्ड में भी लोकप्रियता बढ़ने लगी.
लेबनान में हिजबुल्लाह विरोधियों से मिला इजराइल
गृह युद्ध के बाद हिजबुल्लाह ने कई संगठनों को खत्म कर दिया था लेकिन उन संगठनों के लोग अभी भी लेबनान में रहते थे और हिजबुल्लाह से बदला लेने की आग में तड़प रहे थे. इजराइल की खुफिया एजेंसियों ने इन्हें ही अपना पियादा बनाना शुरू किया.
जानकार मानते हैं कि लेबनान में मौजूद यही लोग आज इजराइल के लिए जसूसी का काम कर रहे हैं. इजराइल ने लेबनान में इस तरीका का नेटवर्क बना लिया है कि उसको हिजबुल्लाह की हर हरकत का पता चल रहा है.
इंसानी, सैटेलाइट और तकनीकी तीनों इंटैलिजेंस को जोड़तोड़ी हिजबुल्लाह की कमर
इजराइल के ने ड्रोन, सैटेलाइट, कम्यूनिकेशन डिवाइस और लेबनान में मौजूद अपने जासूसों को मिलाकर ऐसा जाल तैयार किया कि उसको हिजबुल्लाह के हर मूवमेंट की खबर मिलती रहती है.
सैटेलाइट- इजराइल के पास अमेरिका की मदद से ऐसी सैटेलाइट तस्वीरे पहुंचती हैं, जिनसे वे लेबनान के किसी भी शहर, इलाकें की साफ लाइव तस्वीरें देख सकता हैं. जानकार कहते हैं जिस तकनीक का इस्तेमाल नासा (NASA) करती है, उसी तरह की तकनीक की मदद से इजराइल लेबनान में रॉकेट, फैक्ट्रियों, वाहनों के मूवमेंट पर नजर रखता है.
कम्युनिकेशन डिवाइस- कम्यूनिकेशन डिवाइस ज्यादातर पश्चिमी देशों में बनाए जाते हैं और आज के समय में हिजबुल्लाह के कड़े निर्देशों के बावजूद उसके कमांडरों के परिवार सदस्यें इन डिवाइस का इस्तेमाल होता ही है, इन डिवाइस की मदद से भी इजराइल को कई जानकारियां पहुंच जाती है.
गाजा में इजराइली सैनिक
जासूसी नेटवर्क- जानकार मानते हैं कि इजराइली खुफिया तंत्र में हिजबुल्लाह से गृह युद्ध में हारे लोग या उनकी आइडोलिजी से आपत्ति रखने वाले लोग बढ़ी तादाद में शामिल है. यही लोग लेबनान में हिजबुल्लाह के लीडर्स की लोकेशन, प्लान की जानकारी इजराइलतक पहुंचा रहे हैं.
हमास पर काबू क्यों नहीं?
इजराइल ने सबसे बड़े रेसिस्टेंस ग्रुप हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है, लेकिन गाजा में उसको अपने बंधक नहीं मिल पा रहे हैं. हमास एक बहुत छोटा रेसिस्टेंस ग्रुप है और तीन तरफ ले इजराइल से घिरा है.
गाजा में ऐसा कोई गुट नहीं है, जो हमास के विरोध में हो. गाजा में इजराइल के पास जासूसी की भारी कमी है और वे छोटे से गाजा में हमास की उन सुरंगों का पता नहीं गा पाया है, जहां बंधक मौजूद हैं. अब देखना होगा इजराइल बंधकों को रिहा कराने के लिए कोई नया प्लान लाता है या अपना सारा फोकस लेबनान पर ही शिफ्ट करता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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