दुनियां – नसरल्लाह की मौत का कैसे बदला लेगा ईरान, क्या US और रूस होंगे आमने-सामने? – #INA
नसरल्लाह की हत्या के बाद क्या ईरान खामोश रहेगा. इसकी उम्मीद बहुत कम है. ईरान में इजराइल से बदले की मांग उठ रही है और रूस को अरब वॉर शुरू करने का एक अच्छा मौका भी दिख रहा है. दूसरी तरफ इजराइल ने भी अमेरिका से मदद मांगी है. ईरान और इजराइल की जंग हुई तो यहां सीधे तौर पर अमेरिका और रूस का आमना-सामना हो सकता है, फिलहाल ईरान विकल्पों पर विचार कर रहा है.
सुप्रीम लीडर खामेनेई को फैसला करना है कि हमला प्रॉक्सी के जरिए किया जाएगा या फिर ईरानी की सेना का इस्तेमाल होगा. ईरान की संसद में युद्ध को लेकर मंथन हुआ है और रूसी प्रधानमंत्री भी रणनीति बनाने के लिए तेहरान की यात्रा करने वाले हैं.
इन धमाकों का बदला कैसा होगा?
धमकियों के दौर के बीच कई आशंकाएं दोनों तरफ की तैयारियां को लेकर कई देशों को डरा रही हैं. पहला सवाल है क्या नसरल्लाह की मौत महाविनाश की वजह बनेगा? क्या ईरान और इजराइल के बीच सीधे जंग का वक्त आ चुका, क्या अमेरिका और रूस मिडिल ईस्ट में आमने-सामने भिड़ेंगे? ऐसी आशंकाएं इसलिए क्योंकि हथियार और ताकत के मामले में अब इजराइल और ईरान में कोई फासला नहीं है. इजराइल की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका है तो ईरान के साथ रूस और चीन जैसे देश हैं.
एक बड़े संघर्ष से पहले मुलाकातों और बैठकों का दौर शुरू हो गया है. इजराइल पर हमले की सूरत में अमेरिका क्या करेगा इसे राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जाहिर कर दिया है. बाइडने ने नसरल्लाह की मौत पीड़ितों के लिए इंसाफ है बताया है और कहा है कि हिजबुल्लाह, हमास, हूती और ईरान समर्थित किसी भी आतंकवादी समूहों के खिलाफ इजराइल के एक्शन का अमेरिका पूरी तरह से समर्थन करता है, यानी अब हूती पर मिसाइलों की बरसात हो या फिर सीरिया में एयरस्ट्राइक, या फिर लेबनान पर दर्जनों बार हिजबुल्लाह के ठिकानों पर प्रहार. अमेरिका हर समय इजराइल के साथ है.
जंग में यूएस को शामिल करना चाहता है ईरान
दूसरी तरफ ईरान का दोस्त रूस भी एक्शन में आ चुका है. इजराइल ऐसा माहौल बना रहा है ताकि अमेरिका को युद्ध में सीधे तौर पर शामिल किया जा सके. रूस ईरान का पक्ष ले रहा है, तो दूसरी तरफ पुतिन ने अपने दूत को तेहरान भेज दिया है. रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन तेहरान जाएंगे. ईरान से आगे की रणनीति पर रूसी पीएम चर्चा करेंगे. रूस ईरान की बैठक में वॉर का प्लान तैयार हो सकता है.
रूस के साथ चीन ने भी ईरान का साथ दिया है. नसरल्लाह पर हमले को लेबनान की संप्रभुता पर हमला बताया है. ईरान को दो शक्तिशाली देशों का समर्थन है और माना जा रहा है कि ईरान में हमले की तैयारी शुरु हो गई है. अब ईरान की मिसाइलों का जखीरा इजराइल पर बरसने वाला है, या फिर घातक ड्रोन इजराइली ठिकानों पर गिरेंगे ये फैसला बाकी है, लेकिन ईरान फिलहाल एक दोराहे पर खड़ा है और फैसला नहीं कर पा रहा है.
पहला विकल्प इजराइल पर सीधा हमले का है और दूसरा विकल्प प्रॉक्सी संगठनों के जरिए इजराइल पर प्रहार का है. खामेनेई को इन्हीं दो विकल्पों में से एक को चुनना होगा. हांलाकि ईरान के कुछ लीडर्स इजराइल से सीधी जंग के पक्ष में हैं और इसके अलावा रूस का उकसावा भी है. इन तमाम खतरों के बीच अमेरिका अपनी तैयारी पूरी कर चुका है. इजराइल पर हमला हुआ तो कुछ ही देर में अमेरिका बड़ा पलटवार करने की स्थिति में है.
अमेरिका की क्या थी तैयारी?
अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में किसी भी जंग से निपटने की तैयारी बहुत पहले ही कर ली थी. पिछले सोमवार को अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर USS ट्रूमैन को मिडिल ईस्ट की तरफ भेजा था. इसके साथ 2 डिस्ट्रॉयर और क्रूजर युद्धपोत भी है. US का एयरक्राफ्ट कैरिय वर्जीनिया से मिडिल ईस्ट के लिए चला था. इसके साथ मिसाइल प्रहार करने वाले तीन युद्धपोत हैं. माना जा रहा है कि ये इजराइल के करीब ही गश्त लगाएगा. इसके अलावा अमेरिका का यूएसएस अब्राहम लिंकन भी ओमान की खाड़ी में है, ये भी इजराइल की सुरक्षा के लिए किया गया है.
मिडिल ईस्ट में 2 अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर मौजूद हैं. दोनों पर दर्जनों फाइटर जेट से तैनात हैं. बेड़े में कई मिसाइल कैरियर हैं. अनुमान के मुताबिक, मिडिल ईस्ट में इस वक्त अमेरिका के 40 हजार सैनिक मौजूद हैं. 12 युद्धपोत भी मिडिल ईस्ट में हैं. 4 लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन की तैनाती है और 1 अमेरिकी पनडुब्बी भी इसी इलाके में महीनों से मौजूद है.
अमेरिका की ऐसी तैयारियों की वजह से ही ईरान इजराइल पर हमले की हिम्मत नहीं कर पा रहा है, लेकिन पुतिन चाहते हैं कि अमेरिका मिडिल ईस्ट में भी युद्ध में शामिल हो ताकि यूक्रेन में जीत आसान हो सके. अब इजराइल को ही लगातार अमेरिका को हथियारों की सप्लाई करनी पड़ रही है. फिलहाल ईरान में जंग को लेकर दो खेमा बन गया है. ईरान का कट्टरवादी गुट इजराइल पर हमले की मांग कर रहा है, लेकिन ईरान के नए राष्ट्रपति का गुट संयम बरतने की नसीहत दे रहा है.
ईरान का कट्टरवादी गुट मिसाइल प्रहार की गुजारिश कर रहा है, जबकि राष्ट्रपति नेतन्याहू के जाल में फंसने से बचना चाहते हैं. आखिरी फैसला सुप्रीम लीडर खामेनेई को लेना है. हालांकि ईरान की सरकार पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह है इजराइल के एक्शन पर लगातार ईरान की चुप्पी है. ईरान ने इस्माइल हानिया की मौत का बदला नहीं लिया. फवाद शुक्र की मौत का बदला भी अभी बाकी है. प्रॉक्सी संगठनों में ईरान को लेकर नाराजगी बढ़ रही है.
प्रॉक्सी संगठनों को मजबूती देना चाहता है ईरान
माना जा रहा है कि ईरान इस वक्त नरसल्लाह की मौत से बने माहौल का फायदा उठाना चाहता है और प्रॉक्सी संगठनों को मजबूती देना चाहता है. हिजबुल्लाह के नेतृत्व पर फैसला होते ही इजराइल पर हमले का एक्शन शुरु हो सकता है. इसके लिए हिजबुल्लाह तक घातक मिसाइलों का जखीरा पहुंचाने का प्लान तैयार हुआ है. सीरिया में ईरान के घातक हथियार पहुंचाए जाएंगे. हूती को भी हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बड़े नेता के बदले बड़े नेता को टारगेट करने का प्लान है.
नसरल्लाह हिजबुल्लाह का चीफ था, और हानिया हमास का नेतृत्व कर रहा था इसलिए अब इजराइल के पीएम नेतन्याहू या फिर किसी मंत्री को टारगेट करने का अभियान छेड़ा जा सकता है. सरकारी इमारतों और सेना के मुख्यालयों को भी हिज्बुल्लाह और हूती मिसाइलों से टारगेट करने की कोशिश करेगा. यही वजह है कि इजराइल में जल्द अमेरिका से एयर डिफेंस की मिसाइलें भेजी जा रही हैं. लाल सागर में तैनाती बढ़ाई जा रही है और ईरान की हर हरकत पर सैटेलाइट से नजर रखी जा रही है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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