दुनियां – पश्तून तहाफुज मूवमेंट क्या है, जिस पर पाकिस्तान ने लगाया बैन? – #INA
पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की सरकार ने पश्तून तहाफुज मूवमेंट (PTM) पर बैन लगा दिया है. पीटीएम पाकिस्तान में पश्तूनों के अधिकार की लड़ाई लड़ता है. यह पाकिस्तान का एक ऐसा राजनीतिक दल है जो लंबे अरसे से पाकिस्तानी हुकूमत और सेना को कड़ी चुनौती दे रहा था. सरकार ने इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है.
पाकिस्तान में पश्तून एक अलग जातीय समूह है जिसकी अपनी पश्तो भाषा है, इनकी ज्यादातर आबादी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पाई जाती है. आरोप है कि पाकिस्तानी सेना तालिबान से लड़ाई की आड़ में पश्तून समुदाय के लोगों के खिलाफ अत्याचार करती है, इसी अत्याचार को रोकने के लिए पश्तून तहाफुज मूवमेंट की स्थापना की गई थी.
क्या है पश्तून तहाफुज मूवमेंट?
2014 में स्थापित यह संगठन तालिबान और उसके स्थानीय सहयोगी TTP के खिलाफ पाकिस्तान में जारी कार्रवाई से प्रभावित पश्तूनों के अधिकारों की वकालत करता है. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में इसका खासा प्रभाव है.
20 साल की उम्र में मंजूर पश्तीन ने इस संगठन की स्थापना की थी, हालांकि उनका दल चुनावी राजनीति में भरोसा नहीं करता लेकिन यह पाकिस्तानी हुकूमत और सेना की मनमानी का पुरजोर विरोध करता रहा है, यही वजह है कि पाकिस्तान में इस संगठन के लिए लगातार समर्थन बढ़ता जा रहा है.
सेना और सरकार को दे रहे चुनौती
पश्तून तहाफुज मूवमेंट लगातार पाकिस्तानी सेना के अत्याचार और सरकार के मनमाने फैसलों के खिलाफ आवाज़ उठाता रहा है. इसी साल जुलाई में पीटीएम के कार्यकर्ताओं ने पेशावर से करीब 25 किलोमीटर दूर एक रैली निकाली, यह रैली खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई और सरकार के नए टैक्स लगाने के खिलाफ थी.
जानकारी के मुताबिक 11 अक्टूबर को भी पश्तून तहाफुज मूवमेंट सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करने वाला था, माना जा रहा है कि शहबाज सरकार ने इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन और संगठन को कुचलने के लिए व्यवस्थित तरीके से पश्तून तहाफुज मूवमेंट के खिलाफ ये कार्रवाई की है.
BLA की महरंग बलोच ने जताई चिंता
वहीं बलोच एक्टिविस्ट महरंग बलोच ने पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर चिंता जताते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास बताया है. उन्होंने कहा है कि शाहबाज सरकार का ये कदम दिखाता है कि वह शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन और लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने की बैन हटाने की मांग
मानवाधिकारों को लेकर आवाज उठाने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पाकिस्तान सरकार के इस फैसले पर चिंता जताई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि पीटीएम को बैन करना और एक्टिविस्ट को टारगेट कर अल्पसंख्यकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ एंटी टेरिरिज्म लॉ का इस्तेमाल करना आजादी के अधिकारों का अपमान है. एमनेस्टी ने पाकिस्तान सरकार से तुरंत इस फैसले को पलटने और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को आपराधिक करार देने से रोकने की मांग की है.
PTM नेता की मौत पर हुआ था बवाल
पश्तून तहाफुज मूवमेंट की लोकप्रियता और समर्थन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में 7 जुलाई को PTM के वरिष्ठ सदस्य गिलामन वजीर की हत्या कर दी गई थी जिसके बाद पाकिस्तान और जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. उत्तरी वजीरिस्तान में जन्मे गिलामन वजीर एक कवि थे, बताया जाता है कि उनका बचपन आतंकवाद के साये में बीता लेकिन उनकी कविताएं शांति का संदेश देती थीं.
यह भी पढ़ें-टुकड़े-टुकड़े होगा पाकिस्तान, आजाद होगा बलूचिस्तान?
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link