दुनियां – ताइवान की घेराबंदी, एक्शन में फाइटर प्लेन… क्या अटैक की तैयारी में है चीन? – #INA
मिडिल ईस्ट और यूक्रेन-रूस के बाद जंग का तीसरा फ्रंट खुल रहा है. इस युद्ध का सेंटर ताइवान होगा. ताइवान की घेराबंदी करके चीन ने अपनी मौकापरस्त नीति का पूरा सबूत दे दिया है. एक तरफ चीन ताइवान में बारूद बरसा कर बाइडेन को नए मोर्चे पर जंग में फंसाना चाहता है. तो दूसरी तरफ चीन ताइवान पर कब्जा करने की फिराक में है. युद्ध के लिए चीन की तैयारियों के बाद ताइवान में हाई अलर्ट है.
चीन-ताइवान के बीच जंग का माहौल बन रहा है. दरअसल चालबाज चीन अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आता. एक बार फिर चीनी सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश की. ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के लड़ाकू विमान, वॉरशिप और जहाज ताइवान की सीमा के करीब देखे गए.
ताइवान ने दिया जवाब
ताइवान ने भी चीन की हरकतों का माकूल जवाब दिया. लेकिन सवाल है कि क्या ताइवान की घेराबंदी चीन की मौकापरस्ती है…? क्या चीन ने अरब युद्ध और यूक्रेन युद्ध को देखते हुए ताइवान की घेराबंदी शुरु की है. ताकि अमेरिका पर दबाव बनाया जा सके? सवाल ये भी है कि अरब में तनाव और यूक्रेन में बारूदी हाहाकार के बीच चीन ने ताइवान के पास युद्धाभ्यास क्यों किया.
चीन ने की एक्सरसाइज
चीन ने ताइवान के पास ‘ज्वॉइंट स्वॉर्ड-2024 नाम से एक्सरसाइज’ की. कुल 9 जगहों पर चीन ने अपनी सेना तैनात की. इस मिलिट्री ड्रिल में चीन की नेवी और एयरफोर्स शामिल हुई. चीन के नेवी की जंगी वॉरशिप ‘लियाओनिंग’ भी इस युद्धाभ्यास में शामिल की गई. चीन की ज्यादातर कोशिश ताइवान के प्रमुख बंदरगाहों पर नाकाबंदी करने की थी. इस एक्सरसाइज के बाद चीन ने ताइवान को चारों तरफ से घेर लिया है. चीन इस मिलिट्री ड्रिल के बहाने ताइवान के आसपास बारूद बरसा रहा है. साथ ही तेजी के साथ ताइवान की सीमा के करीब आ रहा है. चीन के कई युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर ताइवान को घेरे हुए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के 153 एयरक्राफ्ट ताइवान के पास देखे गए. इसमें 111 एयरक्राफ्ट ने मीडियन लाइन को पार किया. मीडियन लाइन को चीन सीमा रेखा नहीं मानता है.
ताइवान पर दावा जताता है चीन
चीन ताइवान पर अपना दावा जताता रहा है. चीन अक्सर ताइवान को डराने-धमकाने की कोशिश में भी जुटा रहता है. जब भी चीन ताइवान को घेर कर युद्धाभ्यास करता है तो दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ जाता है. चीन के युद्धाभ्यास में उसकी आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, रॉकेट फोर्स और उसकी दूसरी फोर्सेस ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है कि इस युद्धाभ्यास का मकसद चीनी सेनाओं की युद्ध क्षमताओं को परखना और ताइवान को चेतावनी देना है, लेकिन चीन के युद्धाभ्यास से अमेरिका की भी टेंशन बढ़ गई है.
ताइवान के लिए खतरे की घंटी
चीन की घेराबंदी ताइवान के लिए खतरे की घंटी है. हालांकि चीन के खतरे को देखते हुए ताइवान ने अपने एयरफोर्स को रेडी-टू-अटैक मोड में रखा है और चीन को जवाबी हमले की चेतावनी भी दे दी है. ताइवान की सेना ने चीन के युद्धाभ्यास के बाद अपने ड्रोन और मिसाइलों तैनात कर दी हैं. ताइवान के ड्रोन और मिसाइलें समुद्री सीमा के पास चीन की सेना को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं. ताइवान स्ट्रेट में ताइवान के ड्रोन चीन की सेना के हर कदम पर बराबर निगाह रखे हुए हैं.इसके अलावा ताइवान ने अपने वॉरशिप, लड़ाकू विमान और एंटी-शिप मिलाइलें भी तैनात कर दी हैं..
ताइवान ने मनाया था राष्ट्रीय दिवस
चीन के आक्रामक रवैये के बावजूद हाल ही में ताइवान ने अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया. इस दौरान ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा था कि ताइवान किसी का गुलाम नहीं है, वो एक आजाद देश है. ताइवान के प्रेसिडेंट ने अपनी स्पीच में ये भी कहा था कि चीन को कोई अधिकार नहीं है कि वो उसके अंदरुनी मामलों में दखल दे. नेशनल डे के दौरान ताइवान के प्रेसिडेंट के भाषण के बाद चीन बौखला गया. ताइवान के राष्ट्रपति की स्पीच पर आपत्ति जताते हुए चीन ने तीखी प्रतिक्रिया जताई. इसके तुरंत बाद चीन ने ताइवान को चारों ओर से घेरकर युद्धाभ्यास शुरू कर दिया.
टेंशन में ताइवान
पिछले 72 घंटों में चीन की हरकतों से ताइवान टेंशन में है, क्योंकि ताइवान के पास युद्धाभ्यास के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंंग बॉर्डर के उस इलाके में पहुंच गए, जो ताइवान से बिल्कुल सटा हुआ है. माना जा रहा है कि जिनपिंग वहां जंग की तैयारियों का जायजा लेने के लिए गए. कहा जा रहा है कि जिनपिंग दो दिन तक वहां रुके.चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, जिनपिंंग मंगलवार दोपहर अचानक दक्षिण पूर्वी फुजियान प्रांत के डोंगशान काउंटी पहुंच गए. इसके बारे में किसी को पहले से जानकारी नहीं दी गई थी. यह इलाका ताइवान से काफी नजदीक है. पहले भी चीन की आर्मी पीएलए इस इलाके में मिलिट्री ड्रिल के जरिये ताइवान को धमकाने की कोशिश करती रही है.
क्या है ग्रे जोन
अभी तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है. असल में ग्रे-जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है, लेकिन हमले का डर हमेशा बनाए रखता है. ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। कहा जा रहा है कि चीन इस पैंतरे में माहिर है, जिसके तहत वो सीधे युद्ध नहीं करता, लेकिन अपनी ताकत दिखाकर ताइवान पर मानसिक दबाव बनाना चाहता है.
– Tv9ब्यूरो
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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