दुनियां – इजराइल ने ईरान पर हमले का ब्लूप्रिंट किया तैयार? जानें किस घड़ी का कर रहा है इंतजार – #INA
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 1 अक्टूबर को इजराइल में हुए हमले का बदला लेने के लिए बेचैन हैं इसलिए अब इजराइल ने ईरान पर हमले का एक नया प्लान बनाया है, लेकिन ये प्लान इतना सीक्रेट है कि अमेरिका को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई है. आशंका जताई जा रही है कि इजराइल हमला करने में देर नहीं लगाएगा. वो किसी खास दिन के इंतजार में है, जब ईरान में बारूदी जलजला आएगा.
आखिर क्यों बेंजामिन नेतन्याहू ने इस बार अमेरिका को नए ब्लूप्रिंट की जानकारी नहीं दी और वो कौन सा खास दिन हो सकता है, जब ईरान में तबाही का बवंडर आ सकता है. दरअसल, ईरान विध्वंस की तारीख पहले भी फिक्स थी और अब भी फिक्स हो गई है. बस अंतर इतना है कि इस बार बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले का ब्लूप्रिंट बेहद गोपनीय रखा है क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू नहीं चाहते कि 16 अक्टूबर की तरह ईरान पर हमले की तारीख लीक हो जाए और ईरान अलर्ट हो जाए.
इजराइल ठीक 5 दिन पहले ईरान में तबाही मचाने की पूरी तैयारी कर चुका था. बेंजामिन नेतन्याहू के फरमान पर मोसाद और इजराइल डिफेंस फोर्स (IDF) ने ईरान ध्वंस का प्लान बना लिया था. ईरान पर बमबारी से ठीक पहले इजराइल को ऑपरेशन रोकना पड़ा. इसकी वजह थी पेंटागन से हमले का प्लान लीक हो गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू के अलावा सिर्फ टॉप कमांडर को ही हमले की तारीख और प्लान का पता है.
कहा जा रहा है कि रक्षा मंत्री योव गैलेंट को भी ईरान पर हमले के बारे में नहीं बताया गया है, लेकिन इजराइल का पैटर्न बताता है कि वो किसी खास दिन ईरान को दहला सकता है. इसलिए हो सकता है कि 23-24 अक्टूबर को हमला किया जाए क्योंकि उस दिन इजराइली पर्व ‘सिमखात तोरा’ आता है. 23 तारीख की शाम से लेकर 25 की सुबह तक ये त्योहार मनाया जाएगा. इजराइल में दो दिन छुट्टी रहेगी. उसमें से कभी भी ईरान के लिए कयामत का दिन बन सकता है.
ईरान का दावा, परमाणु युद्ध के लिए भी तैयार
ईरान पर हमले का इजराइली ब्लूप्रिंट लीक होने के बाद अब इजराइल ने वॉर प्लान पूरी तरह से बदल दिया है और इसकी जानकारी पेंटागन को भी नहीं दी है. हांलाकि अमेरिका ने प्लान लीक होने के बाद एक जांच कमेटी बनाई है. माना जा रहा है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले इजराइल, ईरान पर हमला करे, लेकिन बेंजामिन नेतन्याहू किसी भी कीमत पर ईरान को दहलाना चाहते हैं. वो एक अक्टूबर को हुए हमले का बदला लेने के लिए बेचैन हैं क्योंकि हमले में देरी इजराइल को कमजोर जता रही है. बेंजामिन हमला करके इजराइली जनता का भरोसा जीतना चाहते हैं. साथ ही अरब में अपनी धाक जमाना चाहते हैं.
16 अक्टूबर को हमले का प्लान लीक होने से ईरान सतर्क हो गया है. उसने दो बड़े फैसले लिए हैं. सबसे पहले उसने वो टारगेट सुरक्षित किए हैं, जो इजराइल के निशाने पर हैं, जबकि दूसरे फैसले में उसने चीन और रूस से हथियार मंगाए हैं, जिसमें डिफेंस सिस्टम की डिमांड की गई है. इसके जवाब में बेंजामिन का प्लान है कि हमले से ठीक पहले पेंटागन को जानकारी दी जाएगी, जिससे अमेरिका को विश्वास में लिया जा सके, यानी अरब में ऐसे युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. जो ईरान-इजराइल के बीच होगी, लेकिन वो बाद में अमेरिका वर्सेज रूसी गठबंधन से हो सकती है, जिसमें रूस के साथ ईरान-चीन और नॉर्थ कोरिया हैं.
इस बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने इजराइल को एटमी धमकी देकर ईरान के तेवर जता दिए हैं कि ईरान परमाणु युद्ध के लिए भी तैयार है. न्यूक्लियर धमकी के अलावा ईरान ने हिंद महासागर और भूमध्य सागर में मैरीटाइम वॉर एक्सरसाइज शुरू की है, जिसमें कई अरब देश शामिल हैं. इस दौरान ईरान ने 16 मिनट की एक फिल्म जारी करके अपनी शक्ति की नुमाइश की है, जिससे वो बता सके कि अब ईरान पश्चिमी देशों का मुकाबला करने में सक्षम है.
इजराइल ने टारगेट किए फिक्स
ईरान में हमले के लिए इजराइल 4 टारगेट फिक्स कर लिए हैं. पहला टारगेट IRGC हेडक्वार्टर है, जहां से ईरानी प्रॉक्सी संगठनों को हमले की कमांड दी जाती है. दूसरा टारगेट ईरान के न्यूक्लियर सेंटर हैं. इजराइल उन्हें तबाह करके ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोक देना चाहता है. तीसरे टारगेट पर ईरान की ऑयल रिफाइनरी हैं,जहां हमले करके इजराइल ईरान को आर्थिक नुकसान पहुंचाना चाहता है. चौथे टारगेट खामेनेई कॉम्पलेक्स है, जहां ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई रहते हैं.
इन ठिकानों को बचाने के लिए ईरान ने 4 लेयर सुरक्षा घेरा बनाया है, जिसमें पहली लेयर में रूस से मिले डिफेंस सिस्टम S-400 लगाए गए हैं. दूसरी लेयर में साइलेंट हंटर एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किए गए हैं, जिन्हें चीन से मंगाया गया है, जबकि तीसरी लेयर में Su-35 फाइटर जेट हैं, जो रूस ने भेजे हैं. आखिरी यानी चौथी लेयर में ईरान ने फतह-110 मिसाइल लगाई है, जिससे इजराइल के हमले नाकाम किए जा सकें.
लेबनान, गाजा, सीरिया और यमन में जिस तरह से इजराइल हमले कर रहा है और ईरानी प्रॉक्सी संगठनों की टॉप लीडरशिप को खत्म कर रहा है, उससे ईरान की धड़कने जरूर बढ़ी हुई हैं क्योंकि इजराइल पर दो बार हमला करके उसने बेंजामिन का पारा बढ़ा दिया है. इसलिए ईरान बेहद सतर्क है. इस बार पेंटागन से प्लान लीक भी नहीं होगा, यानी बेंजामिन क्या करने वाले हैं. इसके सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं, जबकि 16 अक्टूबर को जो ब्लूप्रिंट बनाया था.
उसके मुताबिक इजराइल जबरदस्त हमला करके ईरान के ऑयल रिफाइनरी और एटमी सेंटर को उड़ाने वाला था. हमले में IDF लॉन्ग रेंज मिसाइल से हमला करने वाला था, लेकिन अब नया प्लान पुराने से एकदम अलग हो सकता है. अब बॉम्बर और एयर टू सरफेस मिसाइल से हमला हो सकता है, जिसमें टारगेट परमाणु संयंत्र और तेल रिफाइनरी पहले की तरह हो सकते हैं.
ईरान पर हमले के लिए इजराइल नई तकनीक
ईरान में 7 न्यूक्लियर सेंटर हैं, जिसमें 3 अंडरग्राउंड न्यूक्लियर लैब हैं, जबकि ईरान में 10 ऑयल रिफाइनरी हैं. इन ठिकानों पर हमला करने के लिए 16 गोल्डन हॉरिजन मिसाइल और 40 रॉक्स मिसाइल वॉर रेडी कर दी हैं. दोनों ही एयर टू सरफेस मिसाइल हैं. अभी तक इनका इस्तेमाल इजराइल ने नहीं किया है, यानी ये पहली बार होगा, जब ईरान पर हमले के लिए इजराइल नई तकनीक के हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.
अगर ईरानी ठिकानों पर इजराइल ने हमला कर दिया, तो ईरान पलटवार जरूर करेगा. वो पूर्वी भूमध्य सागर में मौजूद इजराइल के गैस फील्ड को उड़ा सकता है. पेंटागन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इजराइल की तरफ से ऑयल रिफाइनरी पर हमला हुआ तो ईरान भी इजराइल के तेल ठिकानों को तबाह करने से पीछे नहीं हटेगा. ईरान के पलटवार का मतलब है, अरब में परमाणु युद्ध की शुरुआत क्योंकि अमेरिका भी इस युद्ध में कूद सकता है और अमेरिका के आने का मतबल है कि नाटो की अरब में एंट्री. वैसे भी अमेरिका पहले कई बार कह चुका है कि इजराइल को सुरक्षित रखना उसकी जिम्मेदारी है और वो ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वो हद परमाणु बम का इसतेमाल भी हो सकती है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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