दुनियां – लद गए ट्रूडो के अच्छे दिन! खालिस्तानियों को खुश करने के बाद भी नहीं बचा पाएंगे कुर्सी! – #INA

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के अच्छे दिन लगता है लद गए. उनकी कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कनाडा की मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक लिबरल पार्टी के कम से कम 30 सांसदों ने एक दस्तावेज पर साइन किया है जिसमें ट्रूडो को पद छोड़ने के लिए कहा गया है. संभावना है कि लिबरल कॉकस की बैठक में यह मुद्दा उठाया जाएगा.
लिबरल सांसद सीन केसी सार्वजनिक रूप से पुष्टि कर चुके हैं. उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वह ट्रूडो के इस्तीफे के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. लिबरल पार्टी के कुछ सदस्यों ने कहा कि जो सांसद ट्रूडो का समर्थन कर रहे हैं, अगर वे असंतुष्टों को चुप करा देंगे तो वे गलती करेंगे. हालांकि, यह ट्रूडो ही हैं जो अंतिम निर्णय लेंगे क्योंकि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे सांसद उन्हें पद से हटा सकें.
क्या ट्रूडो को सांसदों की मांगों के आगे झुकना चाहिए. वह या तो अपने तत्काल इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं या फिर से चुनाव न लड़ने का अपना इरादा बता सकते हैं. अब तक वह इस बात पर अड़े रहे कि उनकी पद छोड़ने की कोई योजना नहीं है.
खालिस्तानियों के लिए भारत से पंगा ले रहे ट्रूडो
ट्रूडो एक ओर जहां अपने देश में संकट में हैं. वहीं भारत में भी वह निशाने पर हैं. वह खालिस्तानियों को खुश करने के लिए भारत से पंगा ले रहे हैं. वह भारत पर उंगली उठा रहे हैं. खालिस्तानी निज्जर की हत्या में वह भारत का हाथ बताते हैं. हालांकि उनके आरोपों को भारत खारिज कर चुका है. ट्रूडो के कारण कनाडा और भारत के रिश्तों में कड़वाहट पैदा हो गई है. भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त को भी वापस लिया.
दोनों ओर से एक्शन और रिएक्शन
भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया था और घोषणा की थी कि वह कनाडा में अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को वापस बुला रहा है. कनाडा ने भी दावा किया कि उसने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है.
निज्जर की बात करें तो पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया था.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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