दुनियां – समंदर में जिन हमलों से डगमगा गई थी पूरी दुनिया की सप्लाई चेन, उसमें सामने आया रूस का हाथ – #INA
गाजा युद्ध की शुरुआत से यमन के हूती विद्रोहियों ने पूरी दुनिया की नाक में दम कर रखा है. हूती विद्रोहियों के हमलों की वजह से लाल सागर से होने वाली सप्लाई चेन ठप हो गई. इजराइल जाने वाले जहाजों को निशाना बनाने के चलते पिछले एक साल में अरबों का नुकसान हुआ लेकिन अब इसके पीछे रूस का हाथ होने का दावा किया जा रहा है.
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है रूस ने यमन के हूती विद्रोहियों को सैटेलाइट इमेज मुहैया कराई, जिसके चलते वह लाल सागर में सटीक निशाना लगाने में कामयाब रहे. WSJ ने मामले से जुड़े एक व्यक्ति और दो अज्ञात यूरोपियन डिफेंस अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है.
ईरान के जरिए हूती विद्रोहियों की मदद!
रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने ईरानी बिचौलियों के जरिए लाल सागर में सप्लाई से जुड़ी सैटेलाइट तस्वीरें हूती विद्रोहियों को दी, जिसके बाद मिसाइल और ड्रोन से जहाजों को निशाना बनाया गया.
इन हमलों के चलते लाल सागर से सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई, इसके बाद हूती विद्रोहियों को जवाब देने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन ने लाल सागर में नौसैनिक गठबंधन तैनात किया और यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बम बरसाए.
नॉन-प्रॉफिट संस्था, आर्म्ड कॉन्फ्लिक्ट लोकेशन एंड इवेंट डाटा (ACLED) के अनुसार, हूती विद्रोहियों ने जंग की शुरुआत से लेकर इस साल 20 सितंबर के बीच लाल सागर में 130 हमले किए हैं. इनमें से ज्यादातर हमले कमर्शियल जहाजों पर किए गए, जिसमें 4 नाविकों की मौत हो गई और 2 जहाज लाल सागर में ही डूब गए. इसके अलावा पिछले साल नवंबर में हूती विद्रोहियों ने फिल्मी अंदाज में एक जहाज को हाईजैक कर लिया था, जो अब तक उनके कब्जे में है.
लाल सागर में दहशत फैलाने वाले हूती कौन हैं?
हूती यमन का विद्रोही गुट है, जिसका यमन के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा है. पिछले साल हमास के हमले के बाद से शुरू हुए गाजा युद्ध के बाद से उन्होंने लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. हूती विद्रोहियों के मुताबिक ये हमले गाजा युद्ध में प्रताड़ित हो रहे फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता को दर्शाते हैं.
पश्चिमी प्रतिबंधों का बदला ले रहे पुतिन?
वॉल स्ट्रीट जनरल की ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई जब रूस में ब्रिक्स समिट का आयोजन हुआ. दुनिया की करीब आधी आबादी का नेतृत्व करने वाले ब्रिक्स समूह में भारत, चीन, ईरान समेत 9 देश शामिल हैं. इस समिट के आयोजन के जरिए रूस ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को दिखाने की कोशिश की वह अब भी मजबूत और ताकतवर है.
वहीं इससे पहले अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर यूक्रेन के साथ संघर्ष बढ़ाने का भी आरोप लगाया था. इसमें कहा गया था कि नॉर्थ कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की मदद के लिए अपने सैनिक भेजे हैं.
दरअसल फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, इसके जरिए रूस को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर अलग-थलग करने की कोशिश की गई. जिसके चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस अलगाव को खत्म करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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