दुनियां – पहले चीन की तारीफ, अब मौकापरस्त… आखिर पाकिस्तान के मन में क्या? – #INA

पाकिस्तान में इन दिनों लोग चीन को जमकर कोस रहे हैं. पाकिस्तान में चीन को मौकापरस्त बताया जा रहा है. ये वही मुल्क है जहां चीन के लिए तारीफों के पुल बांधे जाते रहे. जहां के हुक्मरान बीजिंग जाने पर गर्व महसूस करते हैं, लेकिन क्या अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान से नजरें फेर ली हैं. ब्रिक्स में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क्या मिले पाकिस्तान के सीने पर सांप लोटने लगा. ऐसा क्या हुआ कि जिस पाकिस्तान में कल तक चीन की तारीफें होती थी, अब उसी मुल्क में उसे मौकापरस्त बताया जा रहा है?
रूस के कजान में हुई ब्रिक्स समिट ने पाकिस्तान के लोगों का भी ध्यान खींचा. इसकी दो बड़ी वजह हैं. एक तो इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंबे समय बाद चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई. दूसरी वजह ये है कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तान को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया.
कभी चीन की तारीफ में कसीदे गढ़ते थे
इस बैठक के बाद अब पाकिस्तानियों को अब लगने लगा है कि चीन उस पर नहीं बल्कि भारत से अपने रिश्ते ठीक करने पर ध्यान दे रहा है. ये वही पाकिस्तान है जहां के हुक्मरान चीन की तारीफ में कसीदे गढ़ते थे. हाल ही SCO समिट के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चीन के लिए किस कदर बिछ गए थे पूरी दुनिया ने देखा.
पाकिस्तानियों को ऐसा लग रहा है, जैसे चीन ने उनको ठगा है. पाकिस्तानियों को लग रहा है कि चीन वैसे तो हमारा सच्चा दोस्त बनता है, लेकिन ब्रिक्स में पीएम मोदी के साथ शी जिनपिंग की गर्मजोशी तो कुछ और ही संकेत दे रहा है. वैसे एक साल पहले जब पाकिस्तान के कार्यवाहक पीएम अनवारुल हकर बीजिंग गए थे तो वो भी चीन में अटूट विश्वास जता रहे थे लेकिन जनता अब कुछ और कह रही है.
ब्रिक्स में पाकिस्तान को पूछा तक नहीं गया
पाकिस्तान का दर्द ये भी है कि हम तो चीन के स्वागत में कालीन बिछाते हैं, लेकिन ग्लोबल मंच पर वो हमारी मदद खुलकर नहीं कर रहा है. इसे आप ऐसे समझिए कि इस बार ब्रिक्स में कजाकिस्तान, अल्जीरिया और यहां तक कि युगांडा जैसे 13 देशों को डायलॉग पार्टनर बनाया गया. इनमें कई देश तो पाकिस्तान से छोटे हैं, लेकिन इनको ब्रिक्स में पूछा गया और उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. पाकिस्तानियों को लगता है कि चीन की मौजूदगी के बावजूद उसकी ब्रिक्स में कोई इज्जत नहीं रह गई जबकि शहबाज शरीफ कह रहे हैं.
पाकिस्तानी एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा कि शी जिनपिंग के बीआरआई, चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट का विस्तार किया जाना चाहिए. इसके जरिए सड़क, रेल और डिजिटल आधारभूत ढांचे पर फोकस करना चाहिए. बेल्ट एंड रोड रीजन के लिए बेहतर साबित होगा.
जो चीनी हैं वो ये समझते हैं कि हम अपने ताल्लुकात भारत से बेहतर करें. ये समय नहीं है कि हम पाकिस्तान के लिए भारत से लड़ते रहें या ताल्लुकात खराब करें. इसलिए उसने सोचा कि भारत से द्विपक्षीय मसले ठीक करो और देखा जाएगा पाकिस्तान के लिए क्या होता है क्या नहीं होता है?
चीन के दोस्ताना व्यवहार में दिखने लगी है कमी?
जिस चीन के दम पर पाकिस्तान सीना फुलाए घूम रहा था, भारत को आंख दिखाता था. उस चीन को भी ये समझ आ गया है कि फायदा पाकिस्तान नहीं भारत के साथ मिलकर चलने से है. चीन भी मान चुका है कि भारत उभरता हुआ सुपर पावर है. आर्थिक तौर पर शक्तिशाली हो रहा है. शायद यही डर पाकिस्तानियों को भी सता रहा है कि इसलिए उसे चीन के दोस्ताना व्यवहार में कमी दिखने लगी है.
दरअसल भारत की ग्लोबल छवि और कूटनीतिक ताकत चीन को अब अच्छे से समझ आ गई है. उसे मालूम है जब दुनिया में जंग के दो मोर्चे खुले हैं तब भी पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक सभी देशों को भारत से ही शांति की उम्मीद है. अगर पश्चिम एशिया की बात करें तो भारत का दोस्त इजराइल भी है और ईरान भी. इस रीजन में बरसते बारूद के बीच भी भारत का समीकरण बना हुआ है.
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर भी भारत की स्थिति बिल्कुल साफ है
अगर रूस-यूक्रेन की ओर देखें तो वहां भी यही सीन है. वो भारत ही है जो पुतिन के सामने बैठकर शांति का संदेश देता है और फिर जेलेंस्की भी भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हैं. यहां तक कि रूस के खिलाफ खड़े अमेरिका के साथ भी भारत के अच्छे ताल्लुकात हैं.
डिप्लोमैटिक और ग्लोबल लेवल पर चीन अब तक ऐसी छवि नहीं बना सका. इसलिए उसे भी अब लगने लगा है कि अगर भविष्य में आगे बढ़ना है तो भारत के साथ रहने में ही भलाई है. इसे चीन का कूटनीतिक तौर पर 360 डिग्री यू टर्न कह सकते हैं.
ऐसे में यही कहा जा सकता है कि चीन का भरोसा पाकिस्तान से उठ गया या फिर उसे समझ आ चुका है कि फायदा भारत के साथ रहने में है. किसी दहशतगर्दी को समर्थन देने वाले मुल्क के साथ नहीं. शायद ड्रैगन का यही रंग देखकर पाकिस्तान दंग है. भले ही वहां के हुक्मरान कुछ भी कहें.
(ब्यूरो रिपोर्ट..टीवी9 भारतवर्ष)

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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