दुनियां – बांग्लादेश: शेख हसीना को राहत, अवामी लीग पर बैन लगाने की याचिका वापस ली गई – #INA
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी के लिए एक राहत भरी खबर है. दरअसल उनकी पार्टी अवामी लीग और कई अन्य दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका मंगलवार को वापस ले ली गई है.
सोमवार को छात्र आंदोलन के नेताओं ने ढाका हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अदालत से अवामी लीग और 10 अन्य दलों की राजनीतिक गतिविधियां रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की थी, जिसे मंगलवार को वापस ले लिया गया.
छात्र नेताओं ने दायर की थी याचिका
अदालत के अधिकारियों और वकीलों ने बताया कि छात्र आंदोलन के तीन शीर्ष नेताओं और समन्वयकों सरजिस आलम, हसनत अब्दुल्ला और हसीबुल इस्लाम ने याचिका को वापस लेने का फैसला किया है. याचिका में 2014, 2018 और 2024 में हुए तीन आम चुनावों पर भी सवाल उठाया गया था, जिनमें हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सत्ता में आई थी.
छात्र नेताओं की इस याचिका पर सुनवाई के लिए ढाका हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इसे सूचीबद्ध किया था, लेकिन मंगलवार की सुबह कार्यवाही शुरू होते ही याचिका को वापस ले लिया गया. जिसके बाद न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और न्यायमूर्ति शिकदर महमूदुर राजी की पीठ ने आदेश दिया कि याचिका को सूची से हटा दिया जाए.
अवामी लीग समेत 11 दलों पर बैन की मांग
भेदभाव विरोधी आंदोलन को लीड करने वाले छात्र नेताओं ने अवामी लीग समेत 11 राजनीतिक दलों पर बैन लगाने की मांग की थी. इसमें जातीय पार्टी (इरशाद), जातीय पार्टी (मंजू), गणतंत्र पार्टी, वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश (CPB), लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी, बिकल्प धारा बांग्लादेश, बांग्लादेश तरीकत फेडरेशन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश और जातीय समाजतांत्रिक दल शामिल थे. छात्र नेताओं की इस याचिका से कई राजनीतिक दलों में आक्रोश देखा गया, कुछ ने माफी की मांग की तो वहीं जातीय पार्टी (इरशाद) ने कानूनी तरीकों से इस मामले को सुलझाने की बात कही थी. लेकिन छात्र नेताओं की ओर से इस याचिका को वापस लेने से अब इन दलों ने राहत की सांस ली है.
अवामी लीग के छात्र संगठन पर बैन
फिलहाल शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग इस मुसीबत से बच गई हो लेकिन मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में बनी अंतरिम सरकार ने उसके छात्र विंग पर बैन लगा दिया है, सरकार की ओर से कहा गया है कि बांग्लादेश छात्र लीग के अलावा फिलहाल किसी राजनीतिक दल पर प्रतिबंध का फैसला नहीं लिया गया है.
आंदोलन के चलते छिन गई ‘कुर्सी’
दरअसल बांग्लादेश में जून के अंत में आरक्षण विरोधी आंदोलन की शुरुआत हुई, यह आंदोलन जुलाई के मध्य तक आते-आते हिंसक हो गया. छात्रों ने सत्ताधारी अवामी लीग समर्थित छात्र लीग पर हमला करने का आरोप लगाया था, हिंसक आंदोलन में सैंकड़ों लोगों की जान चली गई, जिसके बाद छात्र शेख हसीना से इस्तीफे की मांग करने लगे. हिंसक होते आंदोलन के बीच 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वह अपनी जान बचाने के लिए भारत आ गईं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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