दुनियां – ईरान ने हूती विद्रोहियों को बनाया शक्तिशाली सैन्य संगठन, UNSC की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे – #INA

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने एक नई रिपोर्ट में हूती विद्रोहियों को लेकर बड़ा खुलासा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हूती विद्रोही ईरान, इराकी सशस्त्र समूहों और लेबनान के हिजबुल्लाह उग्रवादियों के समर्थन से स्थानीय समूह से एक शक्तिशाली सैन्य संगठन में बदल गए हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को 537 पन्नों की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने इसको लेकर यह बड़ा खुलासा किया है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान समर्थितहूती ने गाजा में इजराइल-हमास युद्ध का फायदा उठाया है. साथ ही ईरान के स्व-घोषित प्रतिरोध की धुरी में अपनी स्थिति को बढ़ाने के लिए काम किया है. ताकि इससे आगे लोकप्रियता हासिल की जा सके.हूती के खिलाफ प्रतिबंधों की निगरानी करने वाले विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दायर इस रिपोर्ट में यह बात कही है.
WW2 के बाद से इस तरह के हमले कभी नहीं हुए
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान समर्थित हमास उग्रवादियों का समर्थन करने के लिए हूती ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में जहाजों पर हमला किया. इससे एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र में ग्लोबल शिपिंग बाधित हुई है. पैनल ने कहा कि इसकी जांच से पता चला है कि हूती विद्रोही अंधाधुंध तरीके से जहाजों को लाल सागर में निशाना बना रहे हैं. इसमें कहा गया है कि हूति ने अपने नियंत्रित क्षेत्रों से 8 महीनों में कम से कम 134 हमले किए गए हैं.
इसमें कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि 15 नवंबर 2023 और 31 जुलाई 2024 के बीच लाल सागर और अदन की खाड़ी मेंहूती ने कम से कम 134 हमले किए गए थे. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा, ‘समूह के समुद्र में कार्रवाई करने से क्षेत्र में उनका प्रभाव बढ़ गया है. जहाजों पर हथियारों का उपयोग करके इस तरह के हमले द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कभी नहीं हुए थे.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि हूती ने अपने हमलों में बैलिस्टिक मिसाइल और हेटम-2 का इस्तेमाल किया. इस पांच सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र पैनल में हथियार, वित्त, क्षेत्रीय मामलों, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और सशस्त्र समूहों के विशेषज्ञ शामिल हैं. विशेषज्ञ भारत, मिस्र, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम और काबो वर्डे से हैं. पैनल के मुताबिक, सूत्रों से पता चला है कि हुति अरब प्रायद्वीप में अल-कायदा के साथ संचालन का समन्वय कर रहे हैं.
हूती लड़ाकों की संख्या अब 350,000 होने का अनुमान
हूती 2014 से यमन की सरकार के साथ गृहयुद्ध में लगे हुए हैं. इसे सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन का समर्थन प्राप्त है, जब से उन्होंने सना और उत्तरी हिस्से के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था. वहीं, 7 अक्टूबर, 2023 को इजराइल के हमलों के बाद युद्ध को समाप्त करने के लिए शांति वार्ता की उम्मीदें खत्म हो गईं. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि यमन संघर्ष, जो एक आंतरिक लड़ाई के रूप में शुरू हुआ अब एक बड़े अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल गया है.
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विशेषज्ञों के अनुसार,हूती लड़ाकों की संख्या अब 350,000 होने का अनुमान है. जबकि 2022 में यह 220,000 और 2015 में 30,000 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि हुति के सीमित क्षमताओं वाले एक स्थानीय सशस्त्र समूह से अब शक्तिशाली सैन्य संगठन में परिवर्तन हो गया है. ये 10-11 साल की उम्र के लड़कों को नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल होने के लिए मजबूर करते हैं. इन्हें स्कूलों में भर्ती उपदेश और जिहाद पर साप्ताहिक कक्षाएं दी जाती हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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