दुनियां – गूगल, मस्क, मेटा और मोदी… भारतीयों के लिए जो 10 मुद्दे अहम, उन पर ट्रंप की राय क्या है? – #INA

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर सस्पेंस खत्म हो चुका है. डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले हैं. जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव के विजेता का आधिकारिक ऐलान होने के बाद ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ लेंगे.
दुनियाभर में चर्चा की जा रही है कि ट्रंप की जीत से क्या कुछ बदलेगा? भारत में भी इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि इमीग्रेशन, विदेश नीति और व्यापार नीति को लेकर ट्रंप का रुख क्या होगा? हालांकि वोटों की गिनती के बीच अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने कई मुद्दों को लेकर साफ संकेत दे दिए हैं.
लेकिन भारतीय जिन 10 बड़े मुद्दों पर सबसे ज्यादा चर्चा करते हैं उन्हें लेकर ट्रंप क्या सोचते हैं?
पहला मुद्दा: गूगल
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में गूगल पर चुनाव में दखलअंदाजी का आरोप लगाया था. ट्रंप ने कहा था कि गूगल अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर उनके बारे में सिर्फ ‘बुरी खबरें’ दिखाता है जबकि कमला हैरिस को लेकर यह ग्लोबल सर्च इंजन ‘अच्छी खबरें’ पेश करता है.
ट्रंप ने कुछ दिनों पहले धमकी दी थी कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो गूगल के खिलाफ आपराधिक केस चलाने और ज्यादा से ज्यादा सजा दिलाने की कोशिश करेंगे. हालांकि गूगल ने ट्रंप के आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उसने चुनावी नतीजों को किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में करने की कोशिश नहीं की है.
दूसरा मुद्दा: फेसबुक
डोनाल्ड ट्रंप और फेसबुक (मेटा) के बीच तनातनी जगजाहिर है. ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि वह फेसबुक को जनता का दुश्मन समझते हैं. 12 मार्च को जब ट्रंप ने यह बयान दिया तो फेसबुक के शेयर 4 फीसदी तक गिर गए. यानी ट्रंप का कार्यकाल फेसबुक के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला हो सकता है.
दरअसल 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल्स हिंसा के बाद मेटा ने फेसबुक और इंस्टाग्राम से ट्रंप के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था. ट्रंप पर लोगों को उकसाने और हिंसा का समर्थन करने का आरोप था. हालांकि करीब 2 साल बाद मेटा ने ट्रंप के सोशल मीडिया अकाउंट को बहाल कर दिया, जिसके बाद ट्रंप ने एक बार फिर मेटा पर निशाना साधा, उन्होंने दावा किया इन प्लैटफॉर्म्स पर उनकी गैर-मौजूदगी के कारण मेटा को अरबों का नुकसान उठाना पड़ा है.
तीसरा मुद्दा: एलन मस्क
एलन मस्क अरबपति उद्योगपति के साथ-साथ एक सेलिब्रिटी भी हैं. उनके स्पेस और इंटरनेट प्रोजेक्ट्स दुनियाभर में सुर्खियां बटोरते हैं. बुधवार को अपनी विनिंग स्पीच में डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क की जमकर तारीफ की. ट्रंप ने उन्हें एक नया सितारा और शानदार शख्स बताया.
ट्रंप ने नॉर्थ कैरोलिना में आए तूफान के दौरान स्टारलिंक की मदद और स्पेस में मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की उपलब्धियों का भी जिक्र किया. कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि ट्रंप, एलन मस्क के फैन हो चुके हैं. दोनों ने साथ मिलकर चुनाव प्रचार भी किया है. मस्क ने PAC के जरिए ट्रंप के प्रचार अभियान पर करीब 132 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं.
आने वाले दिनों में जब अमेरिका में एक बार फिर ट्रंप सरकार बनेगी तो एलन मस्क सरकार में अहम भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं.
चौथा मुद्दा: IT सेक्टर
टेक सेक्टर न केवल मार्केट बल्कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा होता है. ट्रंप की जीत आईटी सेक्टर के लिए अहम मानी जा रही है. एलन मस्क जैसा टेक-अरबपति ट्रंप का दोस्त और करीबी है, इस दोस्ती की छाप अब अमेरिकी सरकार के फैसलों में भी नजर आने वाली है. लिहाजा माना जा रहा है कि ट्रंप की नीतियां आईटी सेक्टर को बढ़ावा देने वाली होंगी. हालांकि गूगल और मेटा जैसी कंपनियों को पूर्व में ट्रंप से उलझने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है लेकिन वह व्यापार को आसान बनाने और नियंत्रण नियमों में कटौती करने और नौकरियां पैदा करने में फोकस कर सकते हैं.
ट्रंप ने टेक सेक्टर में डोमेस्टिक प्रोडक्शन के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का भी वादा किया है, उनके इस कदम से अमेरिका के IT फर्म्स को फायदा होगा. वहीं ग्लोबल ब्रोकरेज JM फाइनेंशियल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप की जीत भारत के आईटी सेक्टर पर सीमित नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
पांचवां मुद्दा: वीजा पॉलिसी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में वीजा नियमों को कड़ा कर दिया था, ट्रंप ने H-1B वीजा प्रोग्राम के लिए योग्यता पैमाने को सीमित कर दिया था, साथ ही आवेदनों की जांच बढ़ा दी गई थी. उन्होंने बुधवार को अपने बयान में इमीग्रेशन के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि उन्हें किसी के अमेरिका आने से दिक्कत नहीं है लेकिन लोगों को इसके लिए लीगल रास्ते का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल मतलब है वीजा नियमों में और सख्ती.
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वीजा नियमों की सख्ती से भारत के आईटी सेक्टर के लोग प्रभावित नहीं होंगे बल्कि इससे असंगठित क्षेत्रों के कर्मियों पर असर होगा.
छठा मुद्दा: हॉलीवुड
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से हॉलीवुड नर्वस है. हॉलीवुड को डेमोक्रेट समर्थक माना जाता है. व्हाइट हाउस की रेस के शुरुआती दिनों में जो बाइडेन ने जॉर्ज क्लूनी और जूलिया रॉबर्ट के साथ मिलकर 30 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया था. वहीं ट्रंप, स्क्रीन पर अपने चित्रण को लेकर खुले तौर पर काफी सेंसेटिव हैं. उनके वकीलों ने फिल्म ‘द अप्रेंटिस’ के मेकर्स को एक उल्लंघन पत्र सौंपा था. 11 अक्टूबर को रिलीज हुई यह फिल्म ट्रंप के जीवन पर बनाई गई है जिसमें कुछ विवादित घटनाओं को भी दिखाया गया है.
ट्रंप ने वकीलों ने फिल्म मेकर्स को चेतावनी दी है कि ट्रंप उनके खिलाफ हरसंभव कानूनी कार्रवाई करेंगे. हॉलीवुड का मानना है कि ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनने पर हर उस व्यक्ति को टारगेट करेंगे जिसका कंटेट उन्हें पसंद नहीं.
सातवां मुद्दा: NATO
अमेरिका समेत 31 देशों के समूह NATO को लेकर ट्रंप आलोचनात्मक रहे हैं. उन्होंने फरवरी में अपने एक बयान में कहा था कि वह नाटो के उन सहयोगियों की का बचाव नहीं करेंगे जो रक्षा पर पर्याप्त खर्च करने में असफल रहे हैं और रूस को उन देशों पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
दरअसल ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी नाटो सहयोगियों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी, खास तौर पर जर्मनी को लेकर. ट्रंप ने जर्मनी पर आरोप लगाया कि वह अपने डिफेंस पर पर्याप्त खर्च नहीं कर रहा है और इसके लिए वॉशिंगटन पर निर्भर बना हुआ है. ट्रंप ने नाटो से सामूहिक रक्षा सिद्धांत पर भी सवाल खड़े किए थे.
आठवां मुद्दा: चीन
डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने चीन की टेंशन बढ़ा दी है. ट्रंप ने अपने प्रचार के दौरान चीन को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार करने के संकेत दे दिए थे. उनके राष्ट्रपति बनने से चीन के साथ ट्रेड से लेकर ताइवान मुद्दे तक में बदलाव देखने को मिल सकता है.
ट्रंप ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह अमेरिकी उत्पादों पर काफी सरचार्ज लगाता है, उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन के आयात पर 60% से ज्यादा टैरिफ लगाएंगे, साथ ही चीन के लिए मोस्ट-फेवर्ड ट्रेडिंग नेशन का स्टेटस भी खत्म करेंगे. इससे अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ने की भी आशंका जताई जा रही है.
नौवां मुद्दा: कश्मीर
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की मीटिंग से इतर पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद ट्रंप ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह ऑफर दिया था.
ट्रंप ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को लेकर अगर हम कोई मदद कर सकते हैं तो निश्चित तौर पर मैं वह करना चाहूंगा. उन्होंने कहा कि हम इस मामले पर करीब से नजर रख रहे हैं. हालांकि ट्रंप ने कहा था कि वह तभी इस मामले की मध्यस्थता करेंगे जब भारत और पाकिस्तान दोनों राज़ी होंगे. उन्होंने कश्मीर मामले को जटिल मुद्दा बताया था, लेकिन कहा था कि अगर उनसे कहा जाएगा तो वह इसे सुलझाने में मदद कर सकते हैं.
5 अगस्त 2019 को जब भारत सरकार ने कश्मीर से 370 हटाया था इसके बाद भी पाकिस्तान लगातार मामले को UN और ICJ तक ले जाने की धमकियां दे रहा था. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बात करने के बाद कहा था कि इस मामले में उनकी मध्यस्थता की जरूरत नहीं है क्योंकि मामला मोदी के नियंत्रण में है.
दसवां मुद्दा: नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता सरहदों में बंधी नहीं है, वह दुनियाभर के पॉपुलर लीडर्स में से एक हैं. वहीं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती भी काफी मशहूर है. डोनाल्ड ट्रंप जब 2020 में भारत आए तो अहमदाबाद में उसके स्वागत में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, इससे पहले 2019 के सितंबर में पीएम मोदी अमेरिका दौरे पर थे, तो उनके लिए ‘हाउडी मोदी’ मेगा इवेंट का आयोजन कराया गया था. इससे दोनों लीडर्स की घनिष्ठता और मजबूत रिश्तों का पता चलता है.
वहीं राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया है. ट्रंप ने कहा था कि मोदी एक बहुत अच्छे इंसान और शानदार व्यक्ति हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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