दुनियां – लेबनान में शांति के लिए अमेरिका के ‘दुश्मन’ से मदद मांग रहा इजराइल! नेतन्याहू के मंत्री ने किया गुपचुप दौरा – #INA
लेबनान में हिजबुल्लाह के साथ संघर्षविराम के लिए इजराइल, अमेरिका के दुश्मन से मदद मांग रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने स्ट्रैटजिक मिनिस्टर को रूस के गुप्त दौरे पर भेजा था. उनका यह दौरा लेबनान में युद्ध विराम तक पहुंचने के इजराइल की कोशिशों का हिस्सा बताया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्ट्रैटजिक मिनिस्टर रॉन डर्मर ने पिछले सप्ताह गुप्त रूप से रूस का दौरा किया था, हालांकि उनके कार्यालय ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. मंत्री डर्मर का मॉस्को दौरा 4 दिनों का था, जिसमें उन्होंने रूस से इस मामले में शामिल होने और डील तक पहुंचने में मदद के लिए मनाने की कोशिश की.
Ynet आउटलेट की रिपोर्ट के अनुसार रूस दौरे के बाद मंत्री रॉन डर्मर अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत के लिए वॉशिंगटन पहुंच चुके हैं. वह राष्ट्रपति जो बाइडेन और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात करेंगे.
इजराइल-हिजबुल्लाह के बीच रूस कराएगा डील?
वहीं क्रेमलिन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने Kan News से कहा है कि रूस, इजराइल और लेबनान के बीच सीजफायर डील तक पहुंचने में मदद करने के लिए तैयार है. अधिकारी ने कहा कि रूस आम नागरिकों की हत्या रोकने और सिविलियन इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाही से बचाने के लिए सहायता और सहयोग के लिए तैयार है.
रूस के पश्चिम-विरोधी देशों के साथ अच्छे संबंध हैं, खासतौर पर हिजबुल्लाह का समर्थन करने वाले ईरान का वह मजबूत सहयोगी है. लिहाजा माना जा रहा है कि क्रेमलिन लेबनान में डील के लिए हिजबुल्लाह को मना सकता है.
सीजफायर समझौते का ड्राफ्ट तैयार- रिपोर्ट्स
वहीं पूरे मामले से जुड़े हुए अधिकारियों का कहना है कि युद्धविराम समझौते तक पहुंचने की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है. रिपोर्ट के अनुसार इस समझौते से जुड़े कई मुद्दों पर ड्राफ्ट तैयार है लेकिन उन्हें अंतिम रूप देना बाकी है. इसमें सबसे अहम मुद्दा है कि अगर हिजबुल्लाह समझौते को तोड़ता है और दोबारा हथियारबंद होता है तो अमेरिका प्रतिबद्ध है इजराइल को किसी भी तरह की कार्रवाई करने की स्वतंत्रता होगी.
रूस से क्या मदद चाहता है इजराइल?
इससे पहले 24 अक्टूबर को एक रूसी प्रतिनिधिमंडल ने इजराइल का दौरा किया था. नेतन्याहू के कार्यालय के एक सूत्र ने बताया है कि रूसी प्रतिनिधिमंडल का दौरा हमास से जुड़ा नहीं था. दरअसल सीरिया में एक बड़े प्लेयर के तौर पर रूस की मौजूदगी है और इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच लड़ाई को खत्म करने के लिए एक कूटनीतिक व्यवस्था में उसका सहयोग एक ऐसे सौदे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है जो ईरान समर्थित समूह को फिर से हथियारबंद होने से रोके.
सीरिया, तेहरान का सहयोगी है और ईरान से लेबनान स्थित हिजबुल्लाह तक हथियार सप्लाई का प्रमुख रूट है. इजराइल का कहना है कि उसके सैन्य हमले में हिजबुल्लाह के नेतृत्व, बुनियादी ढांचे और हथियार भंडार को भारी नुकसान हुआ है. लेकिन वह चाहता है कि हिजबुल्लाह के साथ डील होने पर वह दोबारा ईरान से हथियार हासिल न कर पाए लिहाजा वह इसके लिए रूस से मदद चाहता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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