दुनियां – 2025 में क्या बदल जाएगा ग्लोबल ऑर्डर? जानें कौन हैं इसके बड़े प्लेयर्स – #INA

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के सभी नतीजे आ गए हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका की सत्ता में अपनी ऐसी जगह स्थापित कर दी है, जिससे वो अपने पहले कार्यकाल से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. ट्रंप ने सभी 7 स्विंग स्टेट्स जीतकर 538 में से 312 इलेक्टोरल वोट हासिल कर लिए हैं. वर्ल्ड डिप्लोमेसी के एपिसेंटर में बहुत बड़ी हलचल का असर न जाने कितने देशों की कूटनीति और विदेश नीति पर पड़ने वाला है. 21वीं सदी में अमेरिका में हुए ये चुनाव ग्लोबल ऑर्डर बदलने का माद्दा रखते हैं.
अमेरिका में ट्रंप का ट्रंप कार्ड चल गया है और यही वजह है कि इसका असर ग्लोबल कूटनीति पर पड़ने वाला है. लेकिन इससे पहले बदलते वर्ल्ड ऑर्डर में जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि उनकी प्राथमिकता मेक अमेरिका ग्रेट अगेन ही है.
यहां ये समझना जरूरी है कि अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया का वर्ल्ड ऑर्डर तय करता है. दुनिया किस दिशा में बढ़ेगी, उस पर असर रखता है. कौन सी जंग, कितनी, कब तक चलेगी, इसमें भी दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर व्यक्ति का मत होता है और वो इस वक्त डोनाल्ड ट्रंप ही हैं. मगर बीते कुछ सालों से अमेरिका के एकाधिकार ताकत के मैदान में और प्लेयर्स घुस आए हैं. ताकत के पैमानों पर वो खुद को स्थापित कर रहे हैं. एकाधिकार क्या, कोई अधिकार खोने को भी राज़ी नहीं होता. मगर जियो-पॉलिटिक्स में एक कहावत है.
क्या होता है वर्ल्ड ऑर्डर?
दरअसल वर्ल्ड ऑर्डर अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को ऊपर-नीचे करने वालों का एक सिस्टम है. दो देश कैसे बातचीत करते हैं, वैश्विक मामलों में फैसलों में किसकी चलती है और राष्ट्रों के बीच शक्ति का संतुलन कैसा रहेगा यह तय होता है.मगर इस बदले वर्ल्ड ऑर्डर के बड़े प्लेयर्स कौन हैं. ये समझना भी जरूरी है.
बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के बड़े प्लेयर

डोनाल्ड ट्रंप, निर्वाचित राष्ट्रपति, अमेरिका
व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति, रूस
शी जिनपिंग, राष्ट्रपति, चीन
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत
बेंजामिन नेतन्याहू, प्रधानमंत्री, इजराइल
अयातुल्लाह खामेनेई, सुप्रीम लीडर, ईरान
किम जोंग उन, राष्ट्रपति, नॉर्थ कोरिया
वोलोदिमीर जेलेंस्की, राष्ट्रपति, यूक्रेन

ये 2025 के वर्ल्ड ऑर्डर के बड़े प्लेयर हैं, जिनसे दुनिया का दृष्टिकोण बदल सकता है. ये बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के वो कैरेक्टर हैं जिनमें शक्ति और सामर्थ्य के साथ महायुद्ध के संकेत छुपे हैं. सिर्फ भारत ही इकलौता देश है जो पूरी दुनिया में वसुधैव कुटुम्बकम की बात करता है, शांति की बात करता है, स्थिरता की बात करता है. वरना इस लिस्ट के बाकी 7 प्लेयर युद्ध की विभीषिका में घिरे हुए हैं और इन सब में शक्ति संतुलन का केंद्र बिंदु भारत ही है.
पुतिन ने भी दी ट्रंप को बधाई
सबसे पहले पुतिन की बात करते हैं. 6 नवंबर को जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए थे तब पुतिन ने कहा था कि वो जांचेंगे, परखेंगे तब ट्रंप को बधाई के बारे में सोचेंगे, लेकिन सिर्फ 2 दिनों के अंदर पुतिन का ट्रंप प्रेम दिखने लगा. पुतिन ने एक कार्यक्रम में सवाल पूछे जाने पर ट्रंप को हिम्मतवाला और साहसी बताते हुए नए कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दी. यहां पुतिन ने ट्रंप को बधाई जरूर दी लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि रूस, अमेरिका के आगे कहीं से भी कम है.
रूस की ताकत वाली फाइल
रूस ढाई साल से भी ज्यादा वक्त से युद्ध लड़ रहा है. इसके बावजूद रूस के पास अच्छा इकोनॉमिक नेटवर्क है.
रूस दुनिया के बाजार में तेल और गैस बेचता है. सैंक्शंस के बावजूद रूस के पास प्राइवेट आर्मीज का नेटवर्क है.
रूस की अर्थव्यवस्था चीन और भारत के सहयोग से मजबूत हो रही है.
यानी हम कह सकते हैं कि एक डिक्लाइनिंग पावर के बावजूद रूस के पास युद्ध को लम्बे समय तक खींचने के लिए न तो पैसों की कमी है और न ही हथियारों की है. ऐसे में अगर रूस पर युद्ध थोपा गया तो पुतिन पीछे नहीं हटेंगे. वहीं दूसरी तरफ ट्रंप कह चुके हैं कि राष्ट्रपति बनने के बाद वो सीधे पुतिन और जेलेंस्की से बात करेंगे. ट्रंप ने भी वादा किया था कि वो चुनाव जीतते ही रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने को लेकर फैसला करेंगे. ट्रंप ये भी वादा कर चुके हैं कि वो युद्ध में नहीं बल्कि शांति में विश्वास करते हैं.
चीन के तेवरों में भी कमी आई है
2025 का दूसरा बड़ा प्लेयर चीन है. चीन और अमेरिका में कैसे संबंध हैं, ये बात किसी से छुपी नहीं है. जिस तरह ट्रंप की ताकत पहले से कई गुना बढ़ गई है, उसे देखते हुए चीन के तेवरों में भी कमी आई है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ट्रंप को बधाई संदेश भेजा है. बधाई संदेश की भाषा देखकर लगता है कि जिनपिंग, ट्रंप 2.0 को हल्के में नहीं ले रहे हैं. यानी जिनपिंग अमेरिका से अपने रिश्ते सुधारने के लिए न सिर्फ इतिहास की दुहाई दे रहे हैं बल्कि सुनहरे भविष्य की कामना भी कर रहे हैं. ऐसे में ताइवान के मुद्दे पर चीन, अमेरिका से कैसे निपटता है, ये तो वक्त ही बताएगा.
अब बात नए प्लेयर की करते हैं, वो है भारत. इस अष्टकोण में भारत ही इकलौता ऐसा देश है जिसका सम्मान हर देश करता है. युद्ध के बावजूद भारत ने अपनी विदेश नीति से ऐसा ग्लोबल संतुलन स्थापित किया है, जिसमें कोई भी देश भारत के खिलाफ जाने की हिमाकत नहीं कर सकता और पुतिन का ये बयान इसका सबसे बड़ा प्रमाण है.
भारत ने एक साथ कईयों को साध रखा है
बीते दशकों में भारत के वजन में इजाफा हुआ है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकार यहां तक कहते हैं कि भारत की कूटनीति बहुत चालाकी वाली रही है. भारत ने इस बदलते ग्लोबल ऑर्डर में अमेरिका, रूस और चीन, तीनों देशों को एक साथ साधा है. रक्षा के क्षेत्र में रूस के साथ लंबे संबंध, फिर QUAD जैसे फोरम्स के जरिए अमेरिका के साथ घनिष्ठ साझेदारी है. ये बैलेंसिंग एक्ट भारत को चीन के प्रभाव से बचाता है और भारत सभी के साथ खुलकर काम करने को तैयार है.
पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं, चुनाव के दौरान ट्रंप ने पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया था और कहा था कि वो भारत और हिंदुओं से बहुत प्यार करते हैं, लेकिन एक युद्ध पश्चिम एशिया में भी छिड़ा हुआ है और दूसरे तनाव वाले इलाकों में शांति के लिए ट्रंप ने क्या वादा किया है वो देखते हैं.

ट्रंप ने कहा है कि युद्ध को रोकने के लिए कदम उठाएंगे
ट्रंप ने कहा- ईरान को न्यूक्लियर देश नहीं बनने देंगे
ट्रंप ने नेतन्याहू को गाजा का युद्ध खत्म करने के लिए कहा है

चीन-ताइवान
ट्रंप चीनी विस्तारवाद के खिलाफ
ताइवान को ज्यादा ताकत देने के पक्ष में ट्रंप
नॉर्थ कोरिया-साउथ कोरिया
ट्रंप-किम के बीच कभी भी खुल सकती है हॉटलाइन
नॉर्थ कोरिया से बातचीत के पक्ष में ट्रंप
यानी अमेरिका में ट्रंप की सत्ता वाली ट्रिपल सेंचुरी के साथ ही ग्लोबल समीकरणों की धुरी भी बदल सकते हैं और इसमें नए प्लेयर्स बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं..
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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