दुनियां – पाकिस्तान ने क्यों कहा भगत सिंह आतंकी हैं? अतीत के गौरव को मिटा रहा आतंक को पालने वाला मुल्क – #INA
आतंक परस्त पाकिस्तान ने शर्मनाक हरकत की. हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करने वाले पाकिस्तान के लिए आतंकी नहीं हैं, बल्कि देश की आजादी के लिए जान कुर्बान वाले शहीद भगत सिंह आतंकी हैं. कुछ ऐसा ही दावा पाकिस्तान के पंजाब सरकार ने लाहौर हाईकोर्ट में किया है. लादेन को शहीद बताने वाले पाकिस्तान ने भगत सिंह का अपमान किया है.
1931 में अविभाजित भारत के लाहौर में जिस जगह पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी, उस चौक का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने मांग हो रही है. इसी को लेकर लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई थी, जिस पर पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया. पाकिस्तान की इस हरकत पर भारत में गुस्सा है और पाकिस्तान से माफी की मांग हो रही है.
पूरा मामला क्या है?
पाकिस्तान की पंजाब सरकार ने भगत सिंह को आतंकी बताया है. दरअसल, लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह रखने की मांग की गई थी. ये मांग पाक के भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने की और चौक पर मूर्ति लगाने के लिए आवाज उठाई. इसको लेकर पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा कि भगत सिंह क्रांतिकारी नहीं बल्कि अपराधी थे. आज की परिभाषा के तहत वो एक आतंकवादी थे.
पंजाब सरकार की ओर पूर्व सेना के अफसर तारिक मजीद ने कोर्ट में जवाब दिया. तारिक ने कहा कि भगत सिंह ने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या की थी. इसलिए उन्हें और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दी गई. खास बात ये है कि चौक का नामकरण करने और मूर्ति लगाने की योजना रद्द कर दी गई है. लाहौर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को अगली सुनवाई होगी.
पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब हो गया- कांग्रेस
भगत सिंह के अपमान पर भारत में गुस्सा गहरा गया है. कांग्रेस ने पाकिस्तान पर हमला बोला है और कहा है कि पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब हो गया है. कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि पाकिस्तान सरकार माफी मांगे. पाकिस्तान ने बहुत निंदनीय काम किया है. शहीद ए आजम भगत सिंह पर उन्होंने एक हलफनामा दिया है. अपने हाईकोर्ट में एक चौक बनना था, जिसका नाम भगत सिंह के नाम पर रखना था. उन्होंने कहा कि वो एक आतंकवादी थे, ये घटिया मंसूबा है. पाकिस्तान का चेहरा बेनकाब हो गया.
गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि इतिहास में जब देश आजाद हुआ तो सारे लोगों ने मिलकर लड़ाई लड़ी है. पाकिस्तान में कभी ऐसी बात नहीं हुई. वहां भी शहीद भगत सिंह का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता रहा है, लेकिन इस सरकार ने इतना गलत काम करना, इसकी मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. पाकिस्तान के मंसूबे जो दूसरे देशों के लिए हैं वो साफ हो रहे हैं क्योंकि आतंकवाद उनका पुराना धंधा है. उनको ये भी नहीं पता कि शहीद कौन और आतंकवादी कौन है. पाकिस्तान सरकार को माफी मांगनी चाहिए, मैं अपनी सरकार से मांग करता हूं. सरकार इसमें हस्तक्षेप करके पाकिस्तान को माफी मांगने के लिए मजबूर करे.
भगत सिंह के अपमान पर पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब हो चुका है, ऐसे में कुछ सवाल हैं जो शहबाज शरीफ सरकार से पूछे जाना जरूरी हैं.
क्या भगत सिंह पर पाकिस्तान का असली चेहरा सामने आ गया?
क्या आतंकी मुल्क भगत सिंह के योगदान को भूल चुका है?
क्या लादेन को शहीद बताने वाला पाक शहीदों की कुर्बानी भूल गया?
क्या आजादी के लिए जान देने वाले महापुरुषों को आतंकी कहेगा पाक?
भगत सिंह की विरासत पर हक जताता है तो सम्मान क्यों नहीं देता?
भगत सिंह का पाक कनेक्शन?
भगत सिंह पाकिस्तान के लाहौर से गहरा नाता है. उनका जन्म लायलपुर के गांव बंगा में हुआ था. 1977 में शहर का नाम फैसलाबाद हुआ. उन्होंने लाहौर के DAV से शुरुआती पढ़ाई की और लाहौर के नेशनल कॉलेज से भी पढ़ाई की. उनका पुश्तैनी घर आज भी लाहौर में मौजूद है. वहीं, भारत में पंजाब का खटकर कलां पैतृक गांव है. अब सवाल ये है कि फिर भगत सिंह का अपमान पाकिस्तान क्यों कर रहा है?
शादमान चौक का भगत सिंह कनेक्शन?
शादमान चौक और भगत सिंह का क्या नाता है? दरअसल, 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को शादमान चौक पर फांसी दी गई थी. भगत सिंह फाउंडेशन कई साल से चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने की मांग कर रहा है. 2018 में लाहौर हाईकोर्ट ने चौक का नाम भगत सिंह रखने को कहा था. इस साल 2024 आदेश न मानने पर कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जार किया. नोटिस का जवाब देने के लिए सरकार ने नवंबर तक का वक्त मांगा था. अब पंजाब सरकार ने हलफनामा देकर भगत सिंह को आतंकी बताया. उस वक्त पंजाब सरकार ने कोर्ट से समय की मांग की थी.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link