दुनियां – अमेरिका के ‘दुश्मन’ के साथ क्या खिचड़ी पका रहा सऊदी अरब? इजराइल की भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें – #INA

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बीच मिडिल ईस्ट के समीकरण काफी बदल चुके हैं. सऊदी अरब और ईरान की नजदीकी से अमेरिका और इजराइल की टेंशन बढ़ सकती है. सऊदी इस क्षेत्र में अमेरिका के सबसे अहम और मजबूत सहयोगियों में से एक है, साथ ही वह दुनियाभर के मुस्लिम मुल्कों की आवाज समझा जाता है.
ऐसे में सऊदी अरब और ईरान की करीबी इस क्षेत्र में अमेरिकी हितों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. सोमवार को रियाद में अरब-इस्लामिक समिट का आयोजन हुआ. वैसे तो यह समिट गाजा और लेबनान में जारी इजराइली हमलों को लेकर बुलाई गई थी लेकिन इस दौरान सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ईरान का नाम लेकर चौंका दिया है.
ईरान के समर्थन में सऊदी अरब!
अरब-इस्लामिक समिट के दौरान क्राउन प्रिंस ने इजराइल से ईरान की संप्रभुता का सम्मान करने और उस पर हमला न करने को कहा. साथ ही उन्होंने इस समिट के आयोजन के लिए ईरान के प्रस्ताव का आभार जताया. उन्होंने गाजा और लेबनान में जारी इजराइली हमलों को नरसंहार बताया. यह पहला मौका है जब सऊदी क्राउन प्रिंस ने इजराइल-ईरान के बीच जारी तनातनी में ईरान का पक्ष लिया है. एक अलग अंदाज में नजर आ रही सऊदी और ईरान की यह दोस्ती अचानक नहीं हुई है, कभी एक-दूसरे से दुश्मनी रखने वाले इन दोनों मुल्कों के बीच क्या खिचड़ी पक रही है ये समझने के लिए बीते दिनों हुए कुछ घटनाक्रमों पर नजर डालनी होगी.
समिट से पहले पेजेश्कियान की कॉल
अरब-इस्लामिक समिट के लिए ईरान की ओर से डिप्टी प्रेसीडेंट ने हिस्सा लिया. लेकिन समिट से पहले राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने सऊदी क्राउन प्रिंस को कॉल किया. सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) के मुताबिक पेजेश्कियान ने इस समिट की मेजबानी करने के लिए किंगडम के फैसले की तारीफ की. उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बताया कि वह समिट में व्यक्तिगत तौर पर शामिल नहीं हो पाएंगे लेकिन वह ईरान के पहले डिप्टी प्रेसीडेंट को अपने प्रतिनिधि के तौर पर भेज रहे हैं.
सऊदी चीफ ऑफ स्टाफ का तेहरान दौरा
सऊदी अरब के चीफ ऑफ स्टाफ ने रविवार को तेहरान का अप्रत्याशित दौरा किया. इस दौरान उन्होंने अपने समकक्ष मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी समेत कई अधिकारियों से मुलाकात की. सऊदी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ फय्याद अल-रूवइली और बाघेरी के बीच मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा और सैन्य क्षेत्र में संबंध विकसित करने के अवसरों पर चर्चा हुई. सऊदी अरब के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक दोनों के बीच क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर सहयोग करने पर भी चर्चा की गई.
न्यूज एजेंसी Fars के मुताबिक ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी ने अगले साल होने वाली ईरानी नौसेना के अभ्यास में सऊदी नेवी को शामिल होने का न्योता दिया है. उन्होंने कहा कि, ‘हम चाहते हैं सऊदी अरब की नेवी अगले साल होने वाली ईरान की नैवल एक्सरसाइज में शामिल हो, चाहे प्रतिभागी के तौर पर या ऑब्जर्वर के तौर पर.’
सऊदी-ईरान के रिश्तों का नया अध्याय?
ईरान मामलों के एक्सपर्ट्स तौहीद असादी का कहना है कि सऊदी और ईरानी सेना प्रमुखों के बीच हुई मुलाकात को दोनों देशों के संबंधों को एक कदम आगे बढ़ने के तौर पर माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों देश आपसी भरोसा कायम करने में जुटे हैं जिससे क्षेत्र में उभरने वाले सामूहिक खतरे से मिलकर लड़ा जा सके.
असादी ने कहा कि, ‘यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में चुनाव जीत चुके हैं और उन्होंने मिडिल ईस्ट में शांति का वादा किया था. हालांकि तनाव बढ़ने की आशंका अब भी मौजूद है, लिहाजा ईरान और सऊदी अरब कोशिश कर रहे हैं कि सब कुछ सही दिशा में रहे.’
एक दशक में कैसे बदले रिश्ते?
ईरान और सऊदी अरब के बीच बीते करीब एक दशक से तनाव का दौर जारी था, लेकिन पिछले साल मार्च में चीन की मध्यस्थता में दोनों देशों ने तल्खी भुलाकर आगे बढ़ने का फैसला किया और कूटनीतिक संबंध बहाल किए. दरअसल 2016 में सऊदी अरब ने एक शिया मुस्लिम लीडर निम्र अल-निम्र को फांसी की सजा दी थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया. वहीं सीरिया और यमन के संघर्ष में दोनों देश अलग-अलग गुटों के साथ खड़े थे. लेकिन हाल के दिनों में सऊदी और ईरान के रिश्तों में एक बदलाव देखने को मिल रहा है.
दूसरी ओर इजराइल के साथ सऊदी अरब के रिश्ते सामान्य होना अब बेहद मुश्किल है. सऊदी अरब ने साफ कर दिया है कि आजाद फिलिस्तीन के बिना वह इजराइल के साथ किसी भी तरह का डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित नहीं करेगा. ऐसे में सऊदी अरब की ईरान से बढ़ती नजदीकी अमेरिका और इजराइल दोनों के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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