दुनियां – बाइडेन की विदाई और विश्व युद्ध-3 की घड़ी आई? जानें क्यों तेज हुई ये चर्चा – #INA
वाशिंगटन, पेरिस, लंदन से लेकर मॉस्को तक विश्व युद्ध की आशंकाएं भड़क उठी हैं. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के बेटे जूनियर ट्रंप से लेकर फ्रांस के अधिकारियों तक ने कहा है कि बाइडेन ने तीसरे विश्व युद्ध की रणनीतिक बिसात बिछा दी है. ये आशंकाएं इसलिए जोर पकड़ रही हैं क्योंकि बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देशों के हथियारों से रूसी जमीन पर हमले की छूट दे दी है. इस घोषणा के साथ ही रूसी संसद ने परमाणु सिद्धांतों का हवाला देते हुए अमेरिका से सीधी जंग की अंतिम चेतावनी जारी कर दी है. यूक्रेन रूसी धरती पर मिसाइल हमलों की तैयारी में जुट गया है.
यूक्रेन जिस अनुमति का इंतजार कई महीने से कर रहा था, उस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुहर लग चुकी है. रिपोर्ट है कि बाइडेन ने यूक्रेन को रूसी धरती पर अमेरिकी हथियारों से हमले की मंजूरी दे दी है. यूक्रेन महीनों से कह रहा था कि अमेरिकी और पश्चिमी देशों की मिसाइलों का प्रतिबंधों के साथ इस्तेमाल करना ऐसा है जैसे एक हाथ पीठ पर बांधकर जंग लड़ना.
यूक्रेन को रूस पर हमले करने की छूट मिल गई
अब यूक्रेन के हाथ खोल दिए गए हैं. बाइडेन प्रशासन के फैसले के बाद यूक्रेन को अमेरिकी मिसाइलों से रूसी धरती पर हमले करने की छूट मिल गई है. यूक्रेन अमेरिका की ATACMS मिसाइल से रूसी एयरबेस, सैन्य बेस पर हमले करने के लिए आजाद है. इसके साथ ही फ्रांस की स्कैल्प और ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो क्रूज मिसाइल से भी रूसी धरती पर हमले किए जाएंगे.
अभी तक यूक्रेन इन मिसाइलों का इस्तेमाल ईस्टर्न फ्रंटलाइन तक कर रहा था. यानी यूक्रेनी धरती पर बनाए रूसी मोर्चों पर इन मिसाइलों से हमले किए जा रहे थे. अब ये मिसाइलें रूसी धरती पर बरसने को तैयार हैं और यूक्रेन ने रूस पर बड़े हमलों की तैयारी शुरू कर दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के इस फैसले को तीसरे विश्व युद्ध का मैनहटन प्रोजेक्ट कहा जा रहा है. अमेरिका का मैनहटन प्रोजेक्ट ही दूसरे विश्व युद्ध को परमाणु विनाश तक ले गया था और बाइडेन के फैसले तुलना उसी से की जा रही है.
क्या था मैनहटन प्रोजेक्ट?
अमेरिका ने 13 अगस्त 1942 को मैनहटन प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इसी प्रोजेक्ट के तहत धरती का पहला परमाणु बम बनाया गया. इसके बाद 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए. उस बम धमाके से दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हो गया लेकिन बाइडेन के फैसले से उलट होने की आशंका है. अगर रूसी धरती पर धमाके हुए तो पुतिन तीसरे विश्वयुद्ध का बिगुल बजा सकते हैं. यूक्रेन फिलहाल तीन लॉन्ग रेंज मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है.
यूक्रेन को मिलीं मिसाइलें
अमेरिका से मिली ATACMS यानी आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम की रेंज 300 किलोमीटर तक है. इसके साथ फ्रांस से मिली स्कैल्प क्रूज मिसाइल की रेंज भी 300 किलोमीटर है. ब्रिटेन से मिली क्रूज मिसाइल स्टॉर्म शैडो की रेंज भी इन दोनों मिसाइलों जितनी है. इन मिसाइलों से रूसी धरती पर हमले की अनुमति मिलने का मतलब है पश्चिमी रूस में बड़ा विनाश क्योंकि रूस के बहुत से बेस और एयरबेस सहित कई हथियार गोदाम यूक्रेन की रेंज में आ रहे हैं.
यूक्रेन की रेंज में रोस्तोव ऑन डॉन, वोरोनिश और कुर्स्क के एयरबेस आ रहे हैं. अब यूक्रेन को 300km तक रूसी धरती पर हमले की करने की क्षमता मिल चुकी है. उसकी रेंज में 50 से ज्यादा रूसी बेस, एयरबेस और हथियार डिपो आ रहे हैं. इस वक्त यूक्रेन का सबसे बड़ा टारगेट कुर्स्क क्षेत्र है. इस वक्त कुर्स्क एयरबेस पर रूसी वायुसेना एक्टिव है. कुर्स्क की जंग में नॉर्थ कोरिया के जवान भी शामिल हैं.
इसीलिए माना जा रहा है कि यूक्रेन सबसे ज्यादा हमले रूस के कुर्स्क पर करेगा. हालांकि, रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर में ही पुतिन का आत्मरक्षा प्लान लागू कर दिया गया है. रूस ने इस आशंका को देखते हुए यूक्रेन की रेंज से फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर हटा दिए हैं. इसके साथ साथ आर्टिलरी और सैन्य वाहन भी यूक्रेनी रेंज के पीछे ले जाए जा चुके हैं. यूक्रेनी सीमा पर बने हथियार डिपो भी खाली करके नए डिपो रेंज के बाहर बना दिए हैं.
सितंबर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, अगर रूसी धरती पर पश्चिमी देशों के हथियारों से हमले होते हैं तो इसे अमेरिका-रूस की सीधी जंग माना जाएगा. ऐसी स्थिति में रूस अपनी संपूर्ण शक्ति का प्रयोग करने पर विचार करेगा. नए नियमों के तहत किसी भी गैर-परमाणु देश के समर्थन से रूस के विरुद्ध आक्रामकता को रूस पर संयुक्त हमले के रूप में माना जाएगा और विश्वसनीय जानकारी मिलने पर रूस परमाणु हथियारों के उपयोग की संभावना पर भी विचार करेगा.
प्रतिबंध हटाने का मतलब तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ना
17 नवंबर को बाइडेन का फैसला आने के साथ ही रूस ने इस प्रतबिद्धता को दोहराया है. रूस के उच्च सदन के उप प्रमुख ने कहा है कि अमेरिका के प्रतिबंध हटाने का मतलब तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ना है. रूस त्वरित हमले के लिए तैयार है. बाइडेन की सत्ता के पास 60 दिन का वक्त बचा है और विदाई से पहले बाइडेन के इस फैसले को अधीरता के तौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिकी राजनीतिक जगत में भी इसे खतरनाक फैसला कहा गया है. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बेटे डॉनल्ड ट्रंप जूनियर ने कहा है कि अमेरिका का मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स मेरे पिता की वापसी से पहले तीसरा विश्व युद्ध सुनिश्चित करना चाहता है. अमेरिका के नेता नहीं चाहते कि मेरे पिता शांति स्थापना करके मानव सभ्यता को सुरक्षा दें.
हमले शुरू हुए तो पलटवार तय
अगर रूसी जमीन पर पश्चिमी हथियारों से हमले शुरू हुए तो पलटवार तय माने जा रहे हैं. यूरोप में रूस के पहले दो टारगेट फ्रांस और ब्रिटेन बन सकते हैं. रूस के नॉर्थ सी फ्लीट की 3 सबमरीन इस वक्त फ्रांस और ब्रिटेन के पास मौजूद हैं। ये हाइपरसोनिक परमाणु मिसाइलों के साथ गश्त लगा रही हैं और रूस पर हमले होते ही पुतिन न्यूक्लियर कोड रिलीज कर सकते हैं. यही दोनों देश यूक्रेन को स्कैल्प और स्टॉर्म शैडो की सप्लाई कर रहे हैं. यूरोप के देश भी ये मानकर चल रहे हैं कि रूस के साथ सीधी जंग की आशंका जोर पकड़ती जा रही है. इसीलिए ब्रिटेन ने नई मिसाइल का टेस्ट किया है.
ब्रिटेन ने नई कटिंग Edge क्रूज मिसाइल स्पीयर का टेस्ट किया है. इसे स्वीडन में यूरोफाइटर टायफून से दागा गया। मिसाइल ने 100 किलोमीटर दूर टारगेट पर सटीक हमला किया. यूरोप के देश ट्रंप की वापसी से पहले-पहले आत्मरक्षा की तैयारियों में जुट गए हैं. अब ट्रंप की वापसी से पहले बाइडेन भी लॉन्ग रेंज हमलों का फैसला ले चुके हैं. इसीलिए तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष.
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link