दुनियां – ईरान में हिजाब का विरोध ‘मनोवैज्ञानिक रोग’? इलाज के लिए क्लिनिक खोलने की तैयारी में सरकार – #INA
ईरान के एक सरकारी इस्लामी निकाय ने तेहरान में ‘हिजाब क्लिनिक’ खोलने के प्लान का ऐलान किया है. महिलाओं के लिए तय ड्रेस कोड के तहत अनिवार्य हिजाब का उल्लंघन करने वाली महिलाओं का इस ‘हिजाब क्लिनिक’ में इलाज किया जाएगा.
आरोप हैं कि अधिकारी इसके जरिए ईरान में हिजाब का विरोध करने वालों को मानसिक रूप से बीमार मानने का नया हथकंडा अपना रहे हैं. तेहरान में खुलने वाले पहले हिजाब क्लिनिक की इंजार्च मेहरी तालेबी दारस्तानी का कहना है कि यह क्लिनिक हिजाब हटाने वालों के लिए वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक इलाज मुहैया कराएगा.
हिजाब विरोधियों का होगा ‘इलाज’!
ईरान के पहले हिजाब क्लिनिक की इंचार्ज दारस्तानी का कहना है कि, ‘इस सेंटर की स्थापना हिजाब का विरोध करने वालों के वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक इलाज के लिए किया जाएगा. खास तौर पर टीनेज जेनरेशन, युवा वयस्क और वो औरतें जो अपनी सामाजिक और इस्लामिक पहचान की चाह रखती हैं.’ उनका कहना है कि इस सेंटर में आना वैकल्पिक है.
उन्होंने हिजाब क्लिनिक को लेकर कहा है कि यह प्रोजेक्ट गरिमा, शालीनता, शुद्धता और हिजाब को बढ़ावा देने के रोडमैप के साथ तैयार किया गया है.
विवादों में रह चुकी हैं तालेबी दारस्तानी
तालेबी दारस्तानी इससे पहले भी कई बार विवादों में रहीं हैं, उन्होंने स्टेट टेलीविजन पर बाल विवाद का समर्थन और प्रचार किया था, 2023 में उन्हें ईरान के मिनिस्ट्री ऑफ लेबर्स इन्सपेक्शन सेंटर की हेड के पद से अस्पष्ट परिस्थितियों में बर्खास्त कर दिया गया था.
मानवाधिकार समूहों ने जताया विरोध
ईरान के प्रमुख एक्टिविस्ट्स और मानवाधिकारों की वकालत करने वालों ने हिजाब के विरोध को रोग बताने के इस सरकारी प्रयास का विरोध जताया है. उन्होंने सरकार के इस प्रयास को अपमानजनक और विरोध को तोड़-मरोड़कर पेश करने वाला करार दिया है. ईरान के साइकैट्रिक और मनोवैज्ञानिक समुदाय ने लोगों के विरोध को चुप कराने के लिए मानसिक स्वास्थ्य के इलाज का सहारा लेने पर आलोचनात्मक प्रतिक्रिया दी है.
जब विरोध में छात्रा ने उतार दिए थे कपड़े!
कुछ दिनों पहले तेहरान में एक यूनिवर्सिटी छात्रा ने ड्रेस कोड के पालन को लेकर किए गए जबरन प्रयास के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए यूनिवर्सिटी परिसर में अपने कपड़े उतार दिए थे. बाद में अधिकारियों ने बताया कि छात्रा को हिरासत में ले लिया गया है और उसे मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट के लिए भेज दिया गया है. ईरान के अधिकारियों ने देश में महिला अधिकारों, उनके जीवन की आजादी और एंटी-हिजाब आंदोलन का समर्थन करने वालों को उन्मादी करार दिया है. यह आंदोलन सितंबर 2022 में पुलिस कस्टडी में एक युवती महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुआ था.
हिजाब क्लिनिक का ‘मास्टरमाइंड’ कौन?
ईरान में हिजाब के विरोध को मनोवैज्ञानिक रोग बताने के प्रयास के पीछे जो शख्स है वह सुप्रीम लीडर खामेनेई का बेहद खास है. दारस्तानी का कार्यालय ईरान के ‘प्रमोशन ऑफ वर्च्यू एंड प्रिवेंशन ऑफ वॉइस’ हेडक्वार्टर का हिस्सा है. इस निकाय का काम समाज में सख्त धार्मिक मापदंडों को परिभाषित करने और लागू करवाने के लिए जिम्मेदार है, खासतौर पर महिलाओं को ड्रेस कोड का पालन करवाने के लिए.
इस विभाग को मोहम्मद सालेह हाशमी गोलपायगनी लीड करते हैं, जिनकी नियुक्ति सीधे सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने की है. साल 2023 में अमेरिका, ब्रिटेन और EU ने सालेह हाशमी को मानवाधिकारों के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कई अन्य संस्थाओं और व्यक्तियों समेत प्रतिबंधित किया था. यह कदम 2022 के हिजाब विरोधी आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से की गई बर्बर कार्रवाई के जवाब में उठाया गया था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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