दुनियां – भूख-गरीबी के खिलाफ ग्लोबल अलायंस, भारत ने किया ब्राजील का समर्थन, देखें फोटो – #INA

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 19वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा और अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन का शुभारंभ हुआ. इस मौके पर सभी देशों के नेताओं ने एकजुटता दिखाई और प्रतीकात्मक ग्रुप फोटो से भूख और गरीबी के खिलाफ लड़ाई का मैसेज दिया.
फोटो में मेजबान देश ब्राजील के राष्ट्रपति के अलावा पीएम मोदी, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज को पहली कतार में देखा गया. इनके ठीक पीछे फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज सरीखे नेताओं को देखा गया.
भूख और गरीबी के खिलाफ ग्लोबल अलायंस
भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के शुभारंभ पर, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने कहा कि एफएओ के अनुसार, 2024 में 733 मिलियन लोग अभी भी अल्पपोषण का सामना कर रहे होंगे. यह ऐसा है जैसे ब्राजील, मैक्सिको की आबादी, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और कनाडा संयुक्त रूप से भूखे रह रहे थे. ये वे महिलाएं, पुरुष और बच्चे हैं, जिनके जीवन, शिक्षा, विकास और भोजन के अधिकारों का दुनिया में हर दिन उल्लंघन किया जाता है जो प्रति वर्ष लगभग 6 बिलियन टन भोजन का उत्पादन करता है, यह उस दुनिया में अस्वीकार्य है, जहां सैन्य खर्च 2.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचता है.

Prime Minister Narendra Modi, Brazils President Luiz Inácio Lula da Silva and other world leaders at family photo after the launch of Global Alliance against Hunger and Poverty at the 19th G-20 summit, Rio de Janeiro, Brazil
(Source: DD News) pic.twitter.com/pB1WH4TUZ8
— ANI (@ANI) November 18, 2024

शिखर सम्मेलन में ग्रुप फोटो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य नेताओं ने 19वें जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में एक ग्रुप फोटो खिंचवाई. यह तस्वीर भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के शुभारंभ के बाद ली गई थी.
ब्राजील की पहल का स्वागत
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे पीढ़ी के लिए एक तस्वीर बताया. इससे पहले दिन में पीएम मोदी ने भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन स्थापित करने की ब्राजील की पहल का स्वागत किया. इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक दक्षिण चल रहे संघर्षों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से गंभीर रूप से प्रभावित है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी चिंताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
भारत की सफलता का जिक्र
हम भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के लिए ब्राजील की पहल का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि यह नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अपनाए गए खाद्य सुरक्षा के लिए डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांतों को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ‘सामाजिक समावेशन और भूख और गरीबी के खिलाफ लड़ाई’ पर जी20 सत्र में अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने पिछले दशक में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में भारत की सफलता पर प्रकाश डाला.
ब्राजील की पहल का समर्थन
उन्होंने ब्राजील की पहल के लिए भारत के समर्थन की भी पुष्टि की. खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत की उपलब्धियों के बारे में बोलते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि बैक टू बेसिक्स एंड मार्च टू फ्यूचर पर आधारित देश का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण परिणाम दे रहा है. उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाए गए उपायों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें बताया गया कि 800 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है, और 550 मिलियन से अधिक लोग दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से लाभान्वित होते हैं.
250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला
उन्होंने कहा कि पहले सत्र के विषय के संबंध में, मैं भारत के अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा करना चाहूंगा. पिछले 10 वर्षों में, हमने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. 800 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है. दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से 550 मिलियन से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं. अब, 70 वर्ष से अधिक आयु के 60 मिलियन वरिष्ठ नागरिक भी मुफ्त स्वास्थ्य बीमा के लिए पात्र होंगे.
ग्लोबल साउथ के देश सबसे अधिक प्रभावित
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ग्लोबल साउथ का विकास उनकी अनूठी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, वैश्विक संघर्षों के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देश सबसे अधिक प्रभावित है. हमारी चर्चाएं तभी सफल हो सकती हैं जब हम ग्लोबल साउथ की चुनौतियों और प्राथमिकताओं पर विचार करें. जिस तरह हमने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को स्थायी जी-20 सदस्यता प्रदान करके वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बुलंद किया, उसी तरह हम वैश्विक शासन संस्थाओं में सुधार करना जारी रखेंगे.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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