Political – वो 16 नाम जो मोदी के तीनों कार्यकाल में बने मंत्री, इनमें 10 लगातार एक दशक से मंत्रिमंडल का हिस्सा- #INA
जो पिछले एक दशक से लगातार मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार यानी 10 जून को 71 मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर नई सरकार के कामकाज की औपचारिक शुरुआत कर दी. मोदी की यह शुरुआत उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड से थोड़ी अलग है. 2014 में जब उन्होंने अपनी पहली दफा केंद्र में सरकार बनाई तो उनका मंत्रिमंडल 45 साथियों का था जो अगले पांच बरस के दौरान कैबिनेट विस्तार के अलग-अलग स्वरुपों से होता हुआ 75 तक पहुंचा.
2019 में उनकी पार्टी और गठबंधन सहयोगियों के सांसदों की संख्या भी बढ़ी और मंत्रिमंडल में उनका प्रतिनिधित्व भी. दूसरे मंत्रिमंडल की शुरुआत भी मोदी ने 57 मंत्रियों से की जो कैबिनट विस्तार के बाद 77 तक गई. इस दफा चूंकि भाजपा बहुमत के आंकड़े से 32 पीछे रह गई तो ‘मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ का नारा देने वाले पीएम को एक बड़े मंत्रिमंडल से शुरुआत करनी पड़ी.
मोदी ने नए मंत्रिमंडल में 11 मंत्री सहयोगी दलों के बनाए हैं. कुल 6 पूर्व मुख्यमंत्री इस कैबिनेट का हिस्सा हैं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि मोदी के तीनों मंत्रिमंडल का बारीकी से अध्ययन करने पर मालूम होता है कि इस बार कुल 16 ऐसे नेता हैं जो कुछ महीने के लिए ही सही पर मोदी के सभी कार्यकाल में मंत्री बने हैं. इन 16 में से भी 10 ऐसे हैं जो बिना किसी गैप के लगातार एक दशक से मंत्री पद पर काबिज हैं. (टेबल 1 और 2)
जो 10 साल से बिना किसी गैप के मंत्री
राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी
भारत में प्रधानमंत्री पद के बाद जिन पदों की सबसे अधिक महत्ता समझी जाती है, उनमें गृह मंत्रालय एक है. नरेंद्र मोदी जब पहली बार प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने राजनाथ सिंह को अपने मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बनाया. पहले कार्यकाल में गृह मंत्रालय संभालने वाले राजनाथ सिंह दूसरे कार्यकाल में रक्षा मंत्री बना दिए गए. तीसरे कार्यकाल में भी मोदी ने सिंह को रक्षा मंत्रालय ही का जिम्मा सौंपा है.
मोदी सरकार के वो चुनिंदा मंत्रालय जिनमें पिछले एक दशक में फेरबदल नहीं हुआ, उनमें सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय है. नितिन गडकरी 26 मई, 2014 से लगातार इस मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे हैं. 2009 से 2013 के बीच भाजपा के अध्यक्ष रहे गडकरी नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में शिपिंग, जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण विभाग, एमएसएमई जैसे महकमें रख चुके हैं. इस बार भी उन्हें सड़क, परिवहन और राजमार्ग की जिम्मेवारी दी गई है.
निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल
नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त, कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण का सफर शुरू हुआ. लेकिन तीन बरस ही के बाद मोदी ने उन्हें रक्षा मंत्री का पद दे दिया. यह अपने आप में काफी महत्त्वपूर्ण था. मोदी के दूसरे कार्यकाल में सीतारमण सीधे कैबिनेट मंत्री बनीं और कॉर्पोरेट, वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभाला. अब मोदी 3.0 में भी वह वित्त मंत्रालय के तौर पर अपनी भूमिका निभाती दिखेंगी.
पीयूष गोयल भी लगातार पिछले एक दशक के दौरान निर्मला सीतारमण ही की तरह केंद्र में मंत्री रहे हैं. पहले कार्यकाल में कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार उन्हें मिला जो बाद में कैबिनेट में तब्दील हो गया. गोयल ने रेलवे का जिम्मा भी कुछ समय के लिए संभाला. मोदी के दूसरे कार्यकाल में वह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के साथ उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का जिम्मा संभालते रहे.
धर्मेन्द्र प्रधान और गिरिराज सिंह
धर्मेन्द्र प्रधान मोदी के पहले कार्यकाल में सबसे पहले पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मामलों के मंत्री बने. पहले तो उन्हें स्वतंत्र प्रभार मिला और फिर कैबिनट मंत्री हो गए. मोदी के दूसरे कार्यकाल में उन्हें स्टील, स्कील डेवलपमेंट और शिक्षा मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय मिले और इस तरह वह लगातार मंत्री पद पर आसीन रहे.
गिरिराज सिंह बिहार के इकलौते ऐसे नेता हैं जो मोदी के तीनों कार्यकाल में मंत्री बने हैं. 2014 में एमएसएमई मंत्रालय के राज्य मंत्री के तौर पर जो सफर शुरू हुआ, वह बाद में स्वतंत्र प्रभार में बदल गया. गिरिराज सिंह को दूसरे कार्यकाल के दौरान नए नवेले पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय का जिम्मा मिला. बाद में उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय का भी महकमा दे दिया गया.
किरेन रिजिजू और श्रीपद येसो नाइक
अरुणाचल पश्चिम सीट से 2014 में पहली बार चुनकर आने वाले किरेन रिजिजू मोदी के पहले कार्यकाल में गृह राज्य मंत्री रहे. दूसरे कार्यकाल में उनके मंत्रालय में खूब फेरबदल हुई. युवा और खेल मामलों के मंत्री के तौर पर रिजिजू का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ. बाद में वह कानून और न्याय मंत्री भी बने लेकिन फिर एक शाम उनसे यह मंत्रालय लेकर अचानक भू-विज्ञान मंत्रालय दे दिया गया.
रिजिजू ही की तरह तुलनात्मक तौर पर एक छोटे से राज्य गोवा से आने वाले श्रीपद येसो नाइक मोदी के पहले मंत्रिमंडल में आयुष मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे. दूसरे कार्यकाल में नाइक को पोर्ट्स, शिपिंग मामलो का राज्य मंत्री बना दिया गया. साथ ही, वह पर्यटन विभाग के भी राज्य मंत्री के तौर पर काम करते रहे.
जितेन्द्र सिंह और रॉव इन्द्रजीत सिंह
इस पूरी सूची में जितेन्द्र सिंह का नाम भी काफी अहम है. नितिन गडकरी ही की तरह वह भी ऐसे मंत्री में शुमार हैं जिन्हें भले कोई और मंत्रालय मिलता या फिर छिनता रहा हो मगर पीएमओ के राज्य मंत्री के तौर पर वह 2014 ही से लगातार काबिज हैं. यहां उनके जिम्मे कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के अलावा और भी कई अहम पद है.
पिछले चार लोकसभा चुनाव से लगातार हरियाणा की गुरुग्राम सीट से सांसद चुने जा रहे रॉव इन्द्रजीत सिंह मोदी के उन दस मंत्रियों में से एक हैं जो एक दशक से अपने पद पर काबिज हैं. प्लानिंग मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का जो पद सिंह को साल 2014 में मिला, वह तब से अब तक लगातार जारी है. वहीं मोदी के दूसरे कार्यकाल से लगातार उनके पास सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय का भी स्वतंत्र प्रभार है.
तो इस तरह ये 10 ऐसे मंत्री हो गए जो पिछले 1 दशक से नरेंद्र मोदी के साथ मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं. अब आते हैं उन 6 नेताओं पर जो पिछले एक दशक के दौरान आते-जाते रहे. या यूं कहें कि वह कुछ ही समय के लिए सही पर पीछे के दोनों कार्यकाल में मंत्री रहें और अब मोदी के तीसरे मंत्रिमंडल में भी मंत्री बनाए गए हैं.
जो पिछले 10 बरस में आते जाते रहे
वीरेन्द्र कुमार खटिक – मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के बड़े नेता और 8 बार से सांसद चुने जा रहे वीरेन्द्र कुमार खटिक नरेंद्र मोदी के तीनों ही मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे हैं. मोदी ने जब अपने पहले कार्यकाल के दौरान कैबिनेट विस्तार किया तो सितंबर 2017 में जिन लोगों को मंत्री बनाया, उनमें खटिक भी शामिल थे. उन्हें पहले तो अल्पसंख्यक मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया. बाद में दूसरे कार्यकाल के दौरान भी उन्हें कैबिनेट विस्तार के समय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय का जिम्मा मिला.
मनसुख एल. मंडाविया – मंडाविया पहले कार्यकाल की शुरुआत ही से मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं थे. सरकार बनने के करीब दो बरस के बाद उन्हें पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया. बाद में उन्हें इस मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. हाल के बरसों में वह स्वास्थ्य – परिवार कल्याण मंत्री और केमिकल – फर्टिलाइजर मामलों के मंत्री के तौर पर जाने गए हैं.
सर्बानंद सोनेवाल – सोनेवाल नरेंद्र मोदी के पहले मंत्रिमंडल ही में जगह पा गए थे. तब उन्हें युवा और खेल मामलों का मंत्रालय मिला था. बाद में वह असम के हो गए और इस तरह मोदी मंत्रिमंडल से उन्हें एक गैप मिल गया. मोदी के दूसरे कार्यकाल में सोनेवाल ने आयुष मंत्री और पोर्ट्स, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री के तौर पर वापसी की और मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान इस पद पर बने रहे.
गजेन्द्र सिंह शेखावत – शेखावत भी वीरेन्द्र कुमार खटिक ही की तरह मोदी के पहले कार्यकाल में कैबिनेट विस्तार के समय मंत्री बने. तब उन्हें कृषि और किसान कल्याण मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया. मोदी के दूसरे कार्यकाल में जल शक्ति मंत्रालय बना और पूरे पांच साल तक शेखावत ही के जिम्मे यह मंत्रालय रहा.
हरदीप सिंह पुरी – विदेश सेवा के अधिकारी रहे हरदीप सिंह पुरी 2017 में वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद आवासीय और शहरी मामलों के मंत्री बने जो दूसरे कार्यकाल में भी जारी रहा. दूसरे कार्यकाल में पुरी को पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय का भी जिम्मा मिल गया. यह मंत्रालयय पहले धर्मेन्द्र प्रधान के पास होता था.
अर्जुन राम मेघवाल – बीकानेर लोकसभा सीट से 2009 से लगातार सांसद चुने जा रहे मेघवाल मोदी के पहले मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे. बाद में प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्हें भारी उद्योग मंत्रालय का जिम्मा मिला. हाल में वह राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में तब आए जब कानून मंत्रालय का जिम्मा किरेन रिजिजू से लेकर पिछले साल मेघवाल को दे दिया गया.
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