Political – हरियाणा विधानसभा चुनाव: पूर्ण बुहुमत की सरकार बनेगी या त्रिशंकु होगी विधानसभा, इन 3 आंकड़ों से समझिए- #INA

हरियाणा में बहुमत की होगी सरकार या त्रिशंकु विधानसभा?

हरियाणा में विधानसभा के चुनावी चकल्लस में एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सत्ता में आने की कवायद में जुटी है तो वहीं कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापस आने की कोशिशों में लगी है. इन सबके बीच राज्य के सियासी गलियारों में एक दावे काफी सुर्खियों में है. यह दावा त्रिशंकु विधानसभा को लेकर है. इस दावे को छोटी पार्टियां और निर्दलीय चुनावी रण में उतरने वाले नेता हवा देने में जुट गए हैं. पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला इस दावे का नेतृत्व कर रहे हैं.

चौटाला के मुताबिक हरियाणा में इस बार भी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगी. सत्ता की चाभी छोटी पार्टियों के पास ही रहने वाली है.

त्रिशंकु विधानसभा होने की बात क्यों?

हरियाणा में आजाद समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला लगातार त्रिशंकु विधानसभा होने की संभावनाएं जता रहे हैं. चौटाला का कहना है कि हरियाणा में जनता किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं देगी. सरकार बनाने में जेजेपी की भूमिका अहम रहेगी.

दुष्यंत अपने दावे से इस बात को सियासी हवा दे ही रहे थे कि मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने गठबंधन की पहल शुरू कर दी है. कांग्रेस हरियाणा में 5 दलों के साथ मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है. ये दल है- आम आदमी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी (शरद) और समाजवाजी पार्टी.

इधर, दुष्यंत के चाचा और इनेलो-बीएसपी के तरफ से सीएम फेस अभय सिंह चौटाला ने भी 20 सीट जीतने का दावा किया है. अभय का कहना है कि उनकी गठबंधन को जनता इस बार बड़ी भूमिका सौंपने जा रही है.

बहुमत या त्रिशंकु, कैसी बनेगी सरकार?

1. पहले रिजल्ट की क्रोनोलॉजी समझिए

2005 से लेकर अब तक हरियाणा में 4 बार विधानसभा के चुनाव कराए गए हैं. 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी. पार्टी को 90 में से 67 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद 2009 में विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस बहुमत के आंकड़ों से दूर हो गई.

कांग्रेस को 90 में से 40 सीटों पर जीत मिली. पार्टी निर्दलीय और छोटी पार्टियों के सहारे सत्ता में आ गई. 2014 में जब चुनाव हुए तो बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए पूर्ण बहुमत हासिल कर ली.

बीजेपी को 90 में से 47 सीटों पर जीत मिली. हालांकि, इसके 5 साल बाद हुए चुनाव में बीजेपी भी बहुमत के आंकड़ों से दूर हो गई. 2019 में बीजेपी को सिर्फ 40 सीटों पर जीत मिली.

अगर इस रिजल्ट को आधार बनाकर चुनाव का पैटर्न देखा जाए तो हरियाणा में एक बार पूर्ण बहुमत और एक बार त्रिशंकु सरकार बनती है.

2. लोकसभा का रिजल्ट भी टेंशन बढ़ाने वाला

हरियाणा में हाल ही में हुए लोकसभा के चुनाव में जिस तरह के परिणाम आए हैं, वो दलों के लिए टेंशन बढ़ाने वाला है. हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं, जिसमें से 5 पर कांग्रेस और 5 पर बीजेपी को जीत मिली है, लेकिन विधानसभा वाइज जो नतीजे आए हैं, वो काफी चौंकाने वाले हैं.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 42, बीजेपी को 44 और आप को 4 सीटों पर बढ़त मिली है. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और वहां सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 46 है. इन आंकड़ों को आधार बनाकर देखा जाए तो राज्य में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल रही है.

3. निर्दलीय के परफॉर्मेस पर भी बहुत कुछ निर्भर

2009 के चुनाव में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका. इस साल के चुनाव में 9 निर्दलीय विधायक जीतकर सदन पहुंच गए. 2014 में जब बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिली तो 5 निर्दलीय ही जीतकर सदन पहुंच पाए. 2019 में बीजेपी पूर्ण बहुमत से दूर रही तो हरियाणा से 7 निर्दलीय विधायक जीतकर विधानसभा चले गए.

यानी पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी या त्रिशंकु की, यह बहुत कुछ निर्दलीय विधायकों के परफॉर्मेंस पर भी निर्भर करता है. इस बार भी हरियाणा में रणजीत चौटाला, सावित्री जिंदल, नवीन गोयल जैसे दिग्गज नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.

ये नेता पहले बीजेपी से टिकट मिलने की उम्मीद में थे. कहा जा रहा है कि कांग्रेस की टिकट घोषणा के बाद कई और बड़े नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर सकते हैं.

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