Political – नसीहत और नाराजगी में फंसा हरियाणा का पेच, 5 सवालों में उलझी AAP-कांग्रेस गठबंधन की डोर- #INA
5 सवालों में सिमटी AAP-कांग्रेस गठबंधन की तस्वीर
हरियाणा में तमाम माथापच्ची के बावजूद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में सीट शेयरिंग को लेकर समझौता नहीं हो पाया है. वो भी तब, जब नामंकन दाखिल करने में सिर्फ 5 दिन का वक्त बचा है. हरियाणा में 90 सीटों के लिए 12 सितंबर तक पर्चा दाखिल किया जाएगा. गठबंधन न होने की स्थिति में अब दोनों दलों के बीच नसीहत और नाराजगी का दौर शुरू हो गया है. शनिवार को आप के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने यहां तक कह दिया कि हमें हल्के में ना लें.
ऐसे में आइए हरियाणा में दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर उलझी गुत्थी, जाटलैंड की पॉलिटिक्स को इन 5 सिनेरियो में समझते हैं…
1. हरियाणा में आप और कांग्रेस का गठबंधन होगा?
यह अभी फाइनल नहीं है. दोनों पार्टियों के बीच समझौते को लेकर 3 दौर से ज्यादा की बातचीत हो चुकी है. कांग्रेस की तरफ से केसी वेणुगोपाल और दीपक बाबरिया तो आप की तरफ से संदीप पाठक और राघव चड्डा बातचीत कर रहे हैं.
आप के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने कहा है कि अभी बातचीत फाइनल नहीं हुई है, इसलिए हम कुछ नहीं कह सकते हैं. कहा जा रहा है कि 1-2 दिन में दोनों पार्टियां इस पर फाइनल फैसला ले लेगी.
2. आप और कांग्रेस गठबंधन में कहां फंसा है पेच?
कांग्रेस हरियाणा में बड़ी पार्टी है और उसे आप के लिए सीट छोड़नी है. आप 2024 में कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी है. उसे उस वक्त 10 में से 1 सीट मिली थी. आप का कहना है कि जो सीट उसे मिली थी, उसके अधीन विधानसभा की 10 सीटें हैं, इसलिए उसे कम से कम लड़ने के लिए 10 सीटें दी जाए.
कांग्रेस उसे 4 सीट देने को ही तैयार है. पार्टी का कहना है कि उसे लोकसभा चुनाव में सिर्फ 4 सीटों पर बढ़त मिली थी, इसलिए उसे 4 सीट ही दी जाएगी. कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों में सीट कौन सी होगी, उस पर भी मतभेद है.
आप जिन सीटों पर दावेदारी कर रही है, उनमें से कई सीटें कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के गढ़ की है. अगर इन सीटों को आप को दिया जाता है तो सुरजेवाला की नाराजगी बढ़ सकती है.
3. गठबंधन नहीं होने की कुछ और भी वजह है?
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पार्टी के 3 बड़े नेता गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. इनमें भूपिंदर हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला का नाम प्रमुख हैं. हुड्डा और शैलजा तो सार्वजनिक तौर पर अकेले लड़ने की पैरवी कर चुके हैं. तीनों ही नेता कांग्रेस के क्षेत्रीय क्षत्रप हैं.
इन नेताओं का तर्क है कि आप का हरियाणा में जनाधार नहीं है. इसके बावजूद पार्टी ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है.
4. आम आदमी पार्टी का हरियाणा में जनाधार है?
आप के संगठन महामंत्री संदीप पाठक ने कांग्रेस को इशारों ही इशारों में नसीहत देते हुए कहा है कि हमें हल्के में न लिया जाए. ऐसे में सवाल उठता है कि आप हरियाणा में कितनी मजबूत है?
दरअसल, 2020 में दिल्ली चुनाव में जीत हासिल करने के बाद आप ने राष्ट्रीय दर्जा हासिल करने का अभियान चलाया. इसी अभियान के तहत आप को पंजाब में जीत मिली, जबकि गुजरात में उसने उलटफेर किए.
आप हरियाणा में अभी ज्यादा मजबूत तो नहीं है, लेकिन उसका जनाधार ठीक-ठाक है. हालिया लोकसभा चुनाव में उसे हरियाणा में 5 लाख 76 हजार के आसपास वोट मिले थे. उसे विधानसभा की 4 सीटों पर बढ़त मिली थी.
5. दोनों में गठबंधन नहीं हुआ तो क्या होगा?
गठबंधन को लेकर जिस तरह से दोनों की ओर से अपने-अपने पक्ष में पतंग उड़ाए जा रहे हैं, उससे कहा जा रहा है कि दोनों के बीच गठबंधन नहीं भी हो सकता है. ऐसी स्थिति में आप अकेले चुनाव लड़ सकती है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस अगर अकेले चुनाव लड़ती है को पार्टी 50 सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है.
कांग्रेस सीपीआई और सीपीएम के साथ-साथ सपा और एनसीपी के साथ चुनाव मैदान में उतर सकती है. पार्टी इन दलों को सांकेतिक आधार पर सीट दे सकती है.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link