Political – बंसीलाल का सियासी वारिस कौन? तोशाम सीट पर भाई-बहन आमने-सामने, बीजेपी का बागी बिगाड़ न दे श्रुति चौधरी का खेल- #INA
हरियाणा चुनाव में तोशाम विधानसभा सीट पर मुकाबला अब काफी दिलचस्प हो गया है
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे चौधरी बंसीलाल के राजनीतिक विरासत को लेकर भाई-बहन एक दूसरे के खिलाफ उतर गए हैं. किरण चौधरी के बीजेपी में जाने के बाद तोशाम सीट का समीकरण बदल गया है. बीजेपी ने तोशाम सीट पर किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को उतारा है तो कांग्रेस ने उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. भाई बनाम बहन के बीच बिछी सियासी बिसात पर बीजेपी के टिकट न मिलने के चलते पूर्व विधायक शशि रंजन परमार निर्दलीय ताल ठोक दी है, जिससे तोशाम सीट का मुकाबला काफी रोचक बन गया है.
चौधरी बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ देश के रक्षा मंत्री रहे हैं. कांग्रेस के वह दिग्गज नेता माने जाते थे और तोशाम विधानसभा सीट उनकी कर्मभूमि रही है. दक्षिण हरियाणा के जाट चेहरा माने जाते थे. बंसीलाल के दो बेटे हैं, जिनमें बड़े बेटे महेंद्र सिंह और दूसरे बेटे सुरेंद्र सिंह है. श्रुति चौधरी बंसीलाल के छोटे बेटे दिवंगत सुरेंद्र सिंह और बीजेपी नेता किरण चौधरी की बेटी हैं. अनिरुद्ध चौधरी बंसीलाल के बड़े बेटे महेंद्र सिंह के बेटे हैं.
तोशाम सीट से 7 बार चुनाव लड़े थे बंसीलाल
तोशाम विधानसभा सीट चौधरी बंसीलाल की परंपरागत सीट मानी जाती है. बंसीलाल इस सीट से 7 बार चुनाव लड़े, जिसमें से 6 बार विधायक बनने में सफल रहे. इसके बाद उनके बेटे सुरेंद्र सिंह चार बार चुनाव लड़े, जिसमें से तीन बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. 2005 में सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी विधायक चुनी गई. 2009 से लेकर 2019 तक किरण चौधरी विधायक रही, अब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है तो पार्टी ने उनकी बेटी श्रुति चौधरी को प्रत्याशी बना दिया है.
बीजेपी ने तोशाम सीट पर चौधरी बंसीलाल की पोती तो प्रत्याशी बनाया हो तो कांग्रेस बंसीलाल के पोते को उतार दिया है. कांग्रेस ने बंसीलाल के बड़े बेटे महेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. इस तरह तोशाम सीट पर चौधरी बंसीलाल की सियासी विरासत को लेकर भाई-बहन एक दूसरे के खिलाफ मैदान में है. अनिरुद्ध के उतरने के बाद तोशाम में पूर्व मुख्यमंत्री परिवार के बीच समर्थकों का वोट बंटना तय है. ऐसे में देखना है कि बंसीलाल का सियासी वारिस कौन बनकरउभरता है?
श्रुति चौधरी के लिए नफा-नुकसान
तोशाम विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी श्रुति चौधरी का मजबूत पक्ष यह है कि उनकी मां किरण चौधरी और पिता सुरेंद्र सिंह तीन-तीन बार विधायक रह चुके हैं. श्रुति खुद भी 2009 में सांसद रही हैं. ऐसे में किरण चौधरी भी पूरी ताकत झोंकेंगी, जो अब राज्यसभा हैं. बीजेपी से चुनावी मैदान में उतरने से गैर-जाट वोटों का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है. वहीं, कमजोर पक्ष यह है कि बंसीलाल के मतदाताओं और जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा तोशाम सीट पर उनके मां और विधायक रहने के चलते सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ सकता है.
बीजेपी के पूर्व विधायक शशि रंजन परमार निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से भी श्रुति चौधरी की टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी का वोट बंटना तय माना जा रहा है, क्योंकि किरण चौधरी बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ती रही हैं. इस तरह बीजेपी कार्यकर्ताओं का विश्वास हासिल करने की चुनौती होगी तो दूसरे तरफ परमार के चुनाव में उतरने से होने वाले नुकसान का डैमेज कंट्रोल करना होगा.
अनिरुद्ध के लिए नफा-नुकसान
कांग्रेस के टिकट पर तोशाम सीट से चुनावी मैदान में उतरे अनिरुद्ध चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के इकलौते पोते होने के साथ पूर्व विधायक रणबीर महेंद्रा के बेटे हैं. ऐसे में बंसीलाल परिवार का परंपरागत वोट उनके साथ आ सकता है, क्योंकि इलाके के जाट मतदाता भी अनिरुद्ध के पक्ष में मतदान कर सकते हैं, क्योंकि वे बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं. वहीं, कमजोर पक्ष यह भी है कि अनिरुद्ध पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे है. इससे पहले वे बाढ़डा में सक्रिय रहे हैं और अब तोशाम में चुनाव के दौरान उनके लिए मतदाताओं को साधना भी बड़ी चुनौती होगी. ऐसे में देखना है कि बंसीलाल के सियासी वारिस के तौर पर कौन खुद को स्थापित करता है?
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