Political – Jammu Kashmir Assembly Election: इंजीनियर राशिद ने जमात-ए-इस्लामी से मिलाया हाथ, क्या PDP-NC के लिए मुसीबत बनेगा ये गठबंधन?- #INA
बारामुला सांसद इंजीनियर राशिद.Image Credit source: PTI
जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर को पहले चरण का मतदान होगा. इससे पहले प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी और बारामुला के सांसद इंजीनियर राशिद की पार्टी एआईपी ने हाथ मिलाया है. यह गठबंधन पहले चरण के मतदान से दो दिन पहले हुआ है. इसका ऐलान राशिद और आठ सदस्यीय जमात पैनल के प्रमुख गुलाम कदानी के बीच हुई बैठक के बाद किया गया.
जमात के मुख्य चुनाव प्रभारी शमीम अहमद ने कहा है कि दोनों पार्टियों ने विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन किया है. अब जमात ने कश्मीर घाटी में नौ उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतारा है. घोषणा की है कि वह जैनापोरा से निर्दलीय उम्मीदवार एजाज अहमद का भी समर्थन करेंगे. दूसरी ओर राशिद की एआईपी ने 34 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनमें से 33 घाटी में और एक जम्मू में चुनाव लड़ रहा है.
इंजीनियर राशिद की पार्टी चुनाव आयोग में पंजीकृत नहीं थी, इसलिए उनके उम्मीदवार भी स्वतंत्र रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. एआईपी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और कुलगाम में जमात उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. जमात कश्मीर में एआईपी उम्मीदवारों का समर्थन करेगी. एक बयान जारी करके कहा गया है, जिन क्षेत्रों में एआईपी और जमात दोनों ने उम्मीदवार उतारे हैं, वहां गठबंधन ने दोस्ताना मुकाबले के लिए सहमति जताई है. खासतौर पर लंगेट, देवसर और जैनापोरा जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में. अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में एक-दूसरे का समर्थन किया जाएगा.
क्या होगा प्रभाव?
यह गठबंधन क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोर्चा बनकर उभरा है. इसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) जैसी स्थापित पार्टियों के लिए चुनौती बन सकता है. पीडीपी जहां अकेले चुनाव लड़ रही है, वहीं जेकेएनसी कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है.
गठबंधन का एनसी और पीडीपी के पारंपरिक सत्ता आधारों पर कुछ असर पड़ सकता है. खासकर दक्षिण कश्मीर में पीडीपी के गढ़ में. पीडीपी का समर्थन ऐतिहासिक रूप से जमात कार्यकर्ताओं से आता रहा है और इस नए गठबंधन के साथ, पुलवामा और कुलगाम जैसे क्षेत्रों में पीडीपी के वोट काफी प्रभावित होंगे.
एनसी के सामने चुनौती
एनसी को उत्तरी और मध्य कश्मीर में भी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जहां इंजीनियर राशिद की एआईपी को समर्थन प्राप्त है. अगर इन क्षेत्रों में जमात का प्रभाव राशिद की लोकप्रियता के साथ सफलतापूर्वक जुड़ जाता है तो चुनावी नतीजों में महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा सकता है. इस गठबंधन में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक क्षेत्र में यथास्थिति को बाधित करने की क्षमता है.
मगर, यह जमात के भीतर मौजूदा दरार को भी गहरा कर सकता है. यह संगठन 1990 के दशक से ही आंतरिक विभाजन से जूझ रहा है. जमात के कुछ सदस्य चुनावी मैदान में उतरने के फैसले से असहज हैं, क्योंकि यह पिछले 37 वर्षों से चुनावी राजनीति से दूर रहा है. उस समय जमात चुनावों के बहिष्कार के आह्वान को लागू करने वाले अग्रणी संगठनों में से एक था.
महिला ब्रिगेड को एक्टिव करने की योजना
इस बार के चुनावों में जमात संगठन की महिला शाखा को सक्रिय करने की योजना बना रहा है, जो महिलाओं के मुद्दों पर विचार करेगी और उनका समर्थन हासिल करने के लिए उनसे बातचीत करेगी. जमात का कहना है कि वह सिर्फ जीत या हार के लिए नहीं, बल्कि यह दिखाना चाहता है कि वह मौजूद है. यह मुख्यधारा के नेताओं के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि कश्मीर में उनके पिछले राजनीतिक कार्यों के प्रति लोगों में काफी नाराजगी है. जमात को खासकर इंजीनियर राशिद की जमानत पर रिहाई के बाद भी लाभ हो सकता है, क्योंकि इसे जन समर्थन मिल रहा है.
जमात पर केंद्र सरकार की तरफ से पुलवामा हमले के बाद 28 फरवरी 2019 को प्रतिबंध लगा दिया गया था और इसके कई नेता अभी भी जेल में बंद हैं. जमात पर बैन को इस साल फिर से पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया. उधर, खिसकते आधार से चिंतित पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अगस्त 2024 में जेईआई पर प्रतिबंध को हटाने की मांग की थी. प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले का विरोध किया था. पहले चुनावी मुकाबला मुख्य रूप से एनसी और पीडीपी के बीच होता था. मगर, इस बार नए राजनीतिक खिलाड़ियों के उभरने के साथ बहुकोणीय हो गया है.
महबूबा मुफ्ती का आरोप
जम्मू-कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों के नेताओं, जैसे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने स्वतंत्र उम्मीदवारों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है. उन पर बीजेपी के एजेंट होने या क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने से रोकने की चाल होने का आरोप लगाया है. अब्दुल्ला ने कहा है कि बीजेपी चुनाव के बाद निर्दलीय और छोटे राजनीतिक संगठनों के साथ समझौता करने की योजना बना रही है. महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि जेल में बंद इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी बीजेपी की प्रॉक्सी है.
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