Political – J&K चुनावः ‘जम्हूरियत’ को लेकर श्रीनगर की उदासी, 4 चुनाव से सबसे कम वोटिंग यहीं, इस बार हालात बदलेंगे?- #INA

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव

अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल को याद करते हुए जम्मू कश्मीर बरबस ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ का नारा दोहराने लगता है. जम्हूरियत यानी डेमोक्रेसीः लोकतंत्र. जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की मजबूती या कमजोरी का अंदाजा भारत के दूसरे हिस्सों के लोग यहां पड़ने वाले वोट से आंकते रहे हैं. अव्वल तो चुनाव और वोटिंग प्रतिशत ही केवल लोकतंत्र की जड़ों का पैमाना नहीं. लेकिन फिर भी एक पल को इसे मान भी लिया जाए तो जिस जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को सही मायने में बहाल करने की कसमें सभी खाते रहें हैं, वहां की राजधानी श्रीनगर ही इसको लेकर बहुत उदासीन नजर आती है. इसकी गवाही यहां हुए पिछले 4 विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत है.

अगर आप यह समझने की कोशिश करें कि जम्मू कश्मीर की वो कौन सी विधानसभा सीटें हैं जहां वोटिंग फीसदी पिछले 4 विधानसभा चुनावों में बेहद कम रही, तो आपको एक दिलचस्प कहानी मालूम होती है. पिछले 4 विधानसभाओं की ही पड़ताल इसलिए क्योंकि हालिया परिसीमन से पहले आखिरी दफा 1995 में के. के. गुप्ता कमीशन की देखरेख में डिलीमिटेशन हुआ था. जब सीटों की संख्या 76 से बढ़ाकर 87 की गई थी. उसके बाद 4 चुनाव हुए हैं. जिनमें सीटों की बनावट, बाउंड्री लगभग एक रही. हैरानकुन बात यह थी कि बीते चार चुनाव यानी इन दो दशकों में श्रीनगर जिले के अंतर्गत आने वाली 7 सीटों पर वोटिंग कभी भी 30 फीसदी को पार नहीं कर पाई.

इन सीटों पर दूसरे चरण में 25 सितंबर को वोटिंग

यह तब जब 1996 से लेकर 2014 के बीच जम्मू कश्मीर में औसतन 44 फीसदी से लेकर 66 फीसदी तक मतदान हुए मगर इन इलाकों में इस औसत का भी आधा वोट नहीं पड़ सका. श्रीनगर की ये 7 विधानसभा सीटें थीं – हजरतबल, जदीबल, ईदगाह, खानयार, हब्बा कदल, अमीरा कदल, बटमालू. इन 7 सीटों पर चार चुनावों में हुए मतदान का औसत – हजरतबल (22), जदीबल (15), ईदगाह (19), खानयार (15), हब्बा कदल (13), अमीरा कदल (14) और बटमालू में 17 फीसदी रहा है. श्रीनगर जिले में कुल 8 सीटें हैं. यहां की इकलौती सीट जिसने कुछ हद तक इस मिथक को तोड़ा, वह सोनावार विधानसभा थी. यहां पिछले चार चुनावों में औसतन 32 फीसदी वोटिंग हुई है.

इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायने में अलग है. यह चुनाव केवल अनुच्छेद 370 हटाए जाने और एक राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिए जाने के बाद ही नहीं हो रहा है. यह नए परिसीमन के बाद भी पहला चुनाव है. यह चुनाव इन 7 विधानसभा सीटों के लिहाज से भी अलग है. श्रीनगर के अंतर्गत आने वाली इन सीटों की बनावट इस बार बदल गई है. कुछ पुरानी सीटें अब नए नाम और इलाके के साथ वजूद में आ गई हैं. मसलन – हजरतबल, जदीबल, ईदगाह, खानयार, हब्बा कदल तो अब भी अस्तित्त्व में हैं लेकिन अमीरा कदल, बटमालू और सोनावार की जगह अब चन्नापुरा, लाल चौक और सेंट्रल शालटेंग ने ले ली है. इन सभी सीटों पर दूसरे चरण में 25 सितंबर को वोटिंग होनी है.

जम्मू-कश्मीर में पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर को हो गई थी. 24 सीटों पर 61.38 फीसदी वोट पड़े थे. अब दूसरे चरण की जिन 26 सीटों पर वोटिंग होनी है, उनमें से 15 कश्मीर में हैं. ये 15 सीटें – श्रीनगर, गांदरबल और बड़गाम जिले की हैं.श्रीनगर की 8 में से 7 सीटों पर वोटिंग प्रतिशत पिछले चार चुनावों में किस तरह बेहद खराब रही है, इस का हाल हमने बताया. लोग इस बार वोटिंग के दिन घर से बाहर न निकलने वाले अपनी रवायत को तोड़ेगे?

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