Political – Haryana Assembly Election: कंगना का किसानों पर बयान और हरियाणा में चुनाव, क्या इस बार गलत हो गई टाइमिंग?- #INA

कंगना रनौत

हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद और बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं. सांसद बनने के बाद कंगना ने कई बार अपने बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढ़ाई है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा इसपर उनको सलाह भी दे चुके हैं. इस बीच, कंगना का एक और बयान सुर्खियां बटोर रहा है. इस बार उन्होंने कृषि विधेयक को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि किसानों के हित में निरस्त कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. कंगना ने ये बयान ऐसे समय दिया है जब हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं और राज्य में किसान किसी भी पार्टी का भविष्य तय करने में अहम होते हैं.

कंगना रनौत ने कहा कि किसान भारत के स्तंभ हैं और उन्हें अपनी समृद्धि के लिए कृषि कानूनों की मांग करनी चाहिए. कंगना के इस बयान से कांग्रेस को बीजेपी पर हमले करने का मौका मिल गया. उसने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें कंगना कह रही हैं कि कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है. वे किसानों के हित में हैं. किसानों को (कृषि कानूनों को वापस लाने की) मांग करनी चाहिए ताकि वे समृद्ध हो सकें. केवल कुछ राज्यों ने कृषि कानूनों पर आपत्ति जताई. मेरा आग्रह है कि किसानों के हित में कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए.

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि अगर बीजेपी उनकी टिप्पणी का समर्थन नहीं करती है तो उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, किसानों पर हमला करने के लिए कंगना को प्रॉक्सी के रूप में इस्तेमाल करना एक सोची-समझी चाल है. बीजेपी को किसानों और कृषि कानूनों पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. इन विनाशकारी कानूनों पर जोर देने के बजाय, कंगना को राजनीति से दूर जाना चाहिए और अपने बॉलीवुड करियर को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

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कंगना के बयान से बीजेपी ने किया किनारा

कंगना के इस बयान से बीजेपी ने भी किनारा कर लिया है. पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि बीजेपी उनके बयान का समर्थन नहीं करती है. कंगना पार्टी की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी उनके बयान की निंदा करती है.

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कंगना रनौत का केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए कृषि बिलों पर दिया गया बयान वायरल हो रहा है. मैं साफ कर देना चाहता हूं कि ये बयान उनका निजी बयान है. कंगना रनौत बीजेपी की ओर से ऐसा बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं. हम इस बयान की निंदा करते हैं.

हरियाणा में अहम हैं किसान मतदाता

कंगना ने ये बयान ऐसे समय दिया है जब हरियाणा में चुनाव हो रहे हैं. उनका इस बयान से बीजेपी को नुकसान होता है या नहीं, ये नतीजे आने के बाद ही साफ होगा, लेकिन इतना तो तय है कि सूबे में किसानों मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और वो किसी भी पार्टी का भविष्य तय करने में अहम होते हैं. चुनाव के बीच किसान के कुछ यूनियन बीजेपी सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वे किसानों के साथ अन्याय, बेरोजगारी और महंगाई पर सरकार को घेर रहे हैं. हाल ही में कुरुक्षेत्र में किसानों की महापंचायत हुई थी, जिसमें उन्होंने राज्य में बीजेपी को सबक सिखाने और 3 अक्टूबर को पूरे देश में रेल ट्रैक जाम करने की घोषणा की.

हरियाणा में किसानों के समर्थन के बिना चुनाव जीतना नामुकिन है. यही वजह है कि बीजेपी ने तुरंत इस पर काम करना शुरू कर दिया. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने किसानों के घर-घर जाकर उन्हें केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की बीजेपी सरकार द्वारा किसानों के हितों में उठाए गए फैसलों के बारे में जानकारी देने का फैसला किया है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, जहां बड़े नेता बड़ी-बड़ी रैलियां करके किसानों को लुभाने का प्रयास करेंगे, दोनों सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताएंगे और साथ ही बीजेपी के संकल्प पत्र में किए गए वादों को भी गिनाएंगे. वहीं स्थानीय स्तर पर बीजेपी के नेता एवं कार्यकर्ता घर घर जाकर किसानों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे और इसके लिए बाकायदा एक अभियान चलाया जाएगा.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हुआ था नुकसान!

लोकसभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी को काफी नुकसान हुआ. राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 5 पर ही जीतने में सफल रही. जानकारों की मानों तो किसानों की नाराजगी के कारण बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा. पार्टी फिर से वही गलती नहीं दोहराना चाहती और यही वजह है वो किसानों को लुभाने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे. बीजेपी की कोशिश जहां लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की है तो कांग्रेस 10 साल का सूखा खत्मा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है.

कंगना ने कब-कब बढ़ाई पार्टी की मुश्किलें

कंगना रनौत पहले भी अपने बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढ़ा चुकी हैं. उन्होंने कृषि बिल के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन पर कहा था कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के नाम पर बांग्लादेश जैसी अराजकता भारत में भी हो सकती थी. बाहरी ताकतें अंदरूनी लोगों की मदद से हमें नष्ट करने की योजना बना रही हैं. यदि हमारे नेतृत्व की दूरदर्शिता नहीं होती तो वे सफल हो गए होते.

वह जातीय जनगणना पर भी बयान दे चुकी हैं. उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि गरीब, किसान और महिलाएं तीन जातियां हैं. इसके अलावा चौथी कोई जाति नहीं होनी चाहिए. रामनाथ कोविंद देश के दलित राष्ट्रपति बने, द्रौपदी मुर्मू देश की आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं. हम ऐसे उदाहरणों को क्यों नहीं देखते. आरक्षण को लेकर मैं अपनी पार्टी के स्टैंड पर कायम हूं, लेकिन मुझे लगता है महिलाओं की सुरक्षा, किसान और गरीबों के लिए काम करना जरूरी है.

कंगना रनौत ने कहा, अगर हमें विकसित भारत की तरफ जाना है तो गरीब, महिला और किसानों की ही बात होनी चाहिए, लेकिन अगर हमें देश को जलाना है, नफरत करना है या फिर एक-दूसरे से लड़ना-मरना है तो जाति की गणना होनी चाहिए.

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