Political – हरियाणा: 13 दिन की नाराजगी का 8 दिन में कैसे डैमेज कंट्रोल करेंगी कुमारी सैलजा?- #INA
कुमारी सैलजा
हरियाणा विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच कुमारी सैलजा की नाराजगी ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी थी. 12 सितंबर को कांग्रेस के कैंडिडेटों की आखिरी लिस्ट आने के बाद से सैलजा ने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी और पूरी तरह खामोशी इख्तिार कर रखी थी. सैलजा की चुप्पी को बीजेपी से लेकर बसपा तक ने दलित स्वाभिमान से जोड़कर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने का दांव चला. चुनाव की मजबूरी को समझते हुए कांग्रेस नेतृ्त्व ने उन्हें मना लिया है और अब राहुल गांधी के साथ हरियाणा चुनाव प्रचार में उतर रही हैं. सवाल उठता है कि पिछले 13 दिन तक उनकी चुप्पी से कांग्रेस को हुए सियासी नुकसान की भरपाई सैलजा अगले 8 दिनों में कैसे कर पाएंगी?
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोटर काफी निर्णायक माने जा रहे हैं. कांग्रेस का पूरा दारोमदार दलित वोटों पर टिका है तो बीजेपी से लेकर इनेलो-बसपा और जेजेपी-आसपा गठबंधन दलित वोटों में सेंधमारी के लिए बेताब हैं. ऐसे में कांग्रेस टिकट वितरण में हुड्डा को खास तवज्जे दी गई है और हुड्डा खेमे के समर्थकों की ओर से की गईं टिप्पणियों से कांग्रेक की दलित चेहरा माने जाने वाली सैलजा नाराज होकर चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी. बसपा और बीजेपी ने कुमारी सैलजा के बहाने दलित वोटों को साधने का दांव चल रहे हैं और कांग्रेस के खिलाफ चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटे हुए थे.
कांग्रेस में ऑल इज वेल
कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में होने वाले सियासी नुकसान को भांपते हुए हुए कुमारी सैलजा को मनाने का काम किया. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से सैलजा ने मुलाकात कर ऑल इज वेल का संकेत दिया. इसके बाद कुमारी सैलजा ने खुद साफ कर दिया था कि वो 26 सितंबर को नरवाना से प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी. राहुल गांधी के साथ सैलजा हरियाणा चुनाव में प्रचार में उतर रही हैं. पहली चुनावी रैली असंध से उम्मीदवार शमशेर सिंह के पक्ष में माहौल बनाने के लिए राहुल-सैलजा और हुड्डा एक साथ नजर आएंगे.
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डैमेज कंट्रोल में जुटी पार्टी
शमशेर सिंह को कुमारी सैलजा का करीबी माना जाता है. ऐसा में माना जा रहा है कि राहुल गांधी कुमारी सैलजा के सियासी मान को बनाए रखने के लिए उनके करीबी कैंडिडेट से अपने अभियान की शुरुआत कर रहे हैं ताकि बीजेपी और बसपा द्वारा बनाए जा रहे दलित विरोधी माहौल को काउंटर किया जा सके. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा को लेकर घमासान को लेकर पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है और दलित समुदाय को सियासी संदेश देने का प्लान बनाया है. इसके साथ ही भूपेंद्र हुड्डा को भी साधकर रखने की स्ट्रैटेजी है.
कुमारी सैलजा को साइड लाइन
हरियाणा में करीब 21 फीसदी दलित मतदाता हैं. राज्य की कुल 90 में से दलित समाज के लिए 17 विधानसभा सीटें सुरक्षित हैं, लेकिन सियासी प्रभाव उससे कहीं ज्यादा सीटों पर है. इस तरह दलित वोटर किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा का सियासी प्रभाव पंचकूला, अंबाला, यमुना नगर, हिसार और सिरसा की करीब 20 विधानसभा सीटों पर है. ऐसे में सैलजा के चुनावी कैंपेन से दूरी बनाए रखने के चलते दलितों और उनके समर्थकों के बीच यह संदेश गया है कि कांग्रेस पार्टी हुड्डा को सियासी तवज्जो देने के चलते सैलजा को साइड लाइन कर दिया गया है.
कांग्रेस का हुआ नुकसान
वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर कहते हैं कि कांग्रेस हरियाणा में सत्ता का वनवास खत्म करना चाहती है. ऐसे में कुमारी सैलजा ने दो हफ्ते तक चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर कांग्रेस का ही नुकसान करने का काम किया है. सैलजा को कांग्रेस ने सबकुछ दिया है, लेकिन सांसद बनाया, मंत्री बनाया और संगठन में अहम पद दिया. इसके बाद भी सैलजा चुनाव में जुटने के बजाय कोपभवन में थीं. हरियाणा की जनता कांग्रेस को जिताने पर लगी है, लेकिन कांग्रेस के नेता फिर भी अड़े बैठे हैं कि हम नहीं जितेंगे. इस तरह हरियाणा में उन्होंने जितना नुकसान कांग्रेस का कर सकती थीं, उतना कर दिया.
राहुल गांधी भी मैदान में उतरे
बीजेपी के दलित विरोधी अभियान और कुमारी सैलजा की नाराजगी से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ही राहुल गांधी चुनावी रण में उतरे हैं. राज्य में चुनाव प्रचार में सिर्फ 8 दिन ही बचे हैं, क्योंकि तीन अक्टूबर को चुनाव प्रचार थम जाएगा. कुमारी सैलजा गुरुवार को राहुल गांधी के साथ जरूर चुनाव प्रचार में उतर रही हैं, लेकिन राज्य की बाकी सीटों पर क्या प्रचार करती हुई नजर आएंगी यह कहना मुश्किल है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी दिखा था कि कुमारी सैलजा अपनी सीट सिरसा सीट से बाहर चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं गई थीं. इतना ही नहीं उन्होंने हुड्डा को भी अपनी सीट पर प्रचार के लिए नहीं बुलाया था.
करीबियों के सीटों पर प्रचार
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के तमाम करीबी नेताओं को उम्मीदवार बनाया है और सैलजा के 8 से 10 करीबी नेताओं को ही टिकट मिला है. ऐसे में कुमारी सैलजा अपने करीबी नेताओं की सीटों पर जाकर चुनाव प्रचार कर सकती हैं, लेकिन हुड्डा के समर्थकों की सीटों चुनाव प्रचार के लिए जाएंगी या नहीं, इस पर सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि राहुल गांधी हुड्डा और सैलजा के बीच सियासी संतुलन बनाने के लिए हरियाणा में दोनों ही नेताओं के समर्थकों की सीट पर उतर रहे हैं. राहुल एक रैली बरवाला करेंगे, जो हुड्डा खेमे के करीबी की हैं और एक रैली असंध में कुमारी सैलजा के समर्थन में. हुड्डा और सैलजा खेमे के बीच हरियाणा में काफी तगड़ी लड़ाई है और कांग्रेस नहीं चाहती कि इनकी लड़ाई में पार्टी को कोई नुकसान हो जाए.
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