Political – 3, 10…86, हरियाणा की इन 10 सीटों पर सिर्फ इतने वोटों से MLA बनने से महरूम रह जाते हैं उम्मीदवार- #INA
भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, नायब सैनी, मनोहर लाल खट्टर
चुनाव में एक वोट की कीमत क्या होती है? इस बात को कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी से बेहतर कौन जान सकता है. राजस्थान के 2008 विधानसभा चुनाव में महज एक वोट से हार जाने के चलते सीपी जोशी विधायक ही नहीं बल्कि राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने से महरूम रह गए थे. सीपी जोशी जैसा ही दर्द हरियाणा के दस नेताओं का है, जो एक-एक वोटों की अहमियत को समझते हैं. हरियाणा की 10 सीटें ऐसी हैं, जहां 100 वोटों से कम जीत-हार का अंतर रहा है. इन सीटों पर उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ जाती है.
हरियाणा का अलग राज्य के रूप में गठन 1967 में हुआ, उसके बाद से 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और अब 14वीं विधानसभा के लिए शनिवार को वोटिंग होगी. ऐसे में 1977 से लेकर 2019 तक हुए विधानसभा चुनाव के सीटों का विश्वलेषण करें तो 10 सीट ऐसी हैं, जहां पर जीत-हार का अंतर 100 वोट के बीच रहा है. हरियाणा में राई, घरौंडा, रोहट, नारनौंद, दादरी, अटेली, यमुनानगर, साढ़ौरा और रेवाड़ी विधानसभा सीट पर जीत-हार का अंतर तीन वोटों से लेकर 86 वोट का रहा है. इसके चलते कोई विधायक नहीं बन सका तो कोई विधानसभा पहुंच गया.
एक-एक वोटों की कीमत इन नेताओं से पूछिए
2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में राई सीट पर कांग्रेस के जयतीर्थ ने इनेलो के इंद्रजीत को सिर्फ 3 वोट से मात दिया था. इस तरह इंद्रजीत को तीन वोटों से मिली हार ने विधानसभा नहीं पहुंचने दिया. इसी तरह 2005 के विधानसभा चुनाव में घरौंडा सीट पर इनेलो की उम्मीदवार रेखा राणा ने कांग्रेस के जयपाल शर्मा को सिर्फ 21 वोट से हरा दिया था. इससे पहले 1996 के चुनाव में घरौंडा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी रमेश ने समता पार्टी के रमेश कुमार राणा को सिर्फ 11 वोटों से हराया था.
1991 के विधानसभा चुनाव में रोहट सीट से कांग्रेस के हुकुम सिंह ने जनता दल के महेंद्र सिंह को महज 38 वोटों से हराया था. इसी विधानसभा चुनाव में नारनौंद विधानसभा सीट पर जनता दल के वीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस के जसवंत सिंह को सिर्फ 38 वोट के अंतर से हराया था. महेंद्र सिंह 38 वोटों से तो जसवंत सिंह भी 38 वोटों से हार जाने के चलते विधायक नहीं बन सके. 1991 विधानसभा चुनाव में दादरी सीट पर हरियाणा विकास पार्टी के प्रत्याशी धर्मपाल सिंह ने कांग्रेस के जगजीत सिंह को सिर्फ 80 वोटों से हराया था. इसी चुनाव में अटेली सीट पर कांग्रेस के बंशी सिंह ने जनता दल के अजीत सिंह के सामने 66 वोट से मात दिया था.
1982 के विधानसभा चुनाव में दो नेताओं को बहुत मामूली वोटों से हार का मूंह देखना पड़ा है. यमुनानगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के राजेश कुमार ने बीजेपी की कमला वर्मा को सिर्प 63 वोटों से हराकर विधायक चुने गए थे. 1982 में साढ़ौरा विधानसभा सीट पर बीजेपी के भागमल ने कांग्रेस के प्रभु राम को सिर्फ 10 वोटों से हराया था. ऐसे ही साल 1977 के विधानसभा चुनाव में रेवाड़ी सीट पर जनता पार्टी के कर्नल रामसिंह ने विशाल हरियाणा पार्टी के शिव रतन सिंह को सिर्फ 86 वोट से हराकर विधायक बने थे.
2019 में कम अंतर से बिगड़ा था सियासी गेम
हरियाणा में पांच साल पहले यानी 2019 के विधानसभा चुनाव में 32 सीटें ऐसी थी, जहां पर जीत-हार का अंतर 10 हजार वोटों से कम था. इसमें 25 सीटें ऐसी थी, जहां पर जीत-हार का अंतर 5 हजार वोटों का था और तीन सीटों पर हार-जीत की मार्जिन एक हजार से भी कम का था. एक हजार से कम अंतर वाली सिरसा, पुन्हाना और थानेसर थी. सिरसा सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख गोपाल कांडा ने महज 602 वोटों से जीत दर्ज की थी. पुन्हाना सीट से कांग्रेस के विधायक मो. इलियास सिर्फ 816 वोटों से जीत हासिल की थी. थानेसर सीट से बीजेपी के सुभाष सुधा ने 842 वोटों से जीत दर्ज किए थे.
2024 में एक-एक वोट के लिए हो रहा संघर्ष
हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी में भले ही सीधा मुकाबला हो, लेकिन बसपा-इनेलो और जेजेपी-आसपा गठबंधन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है, वो भी बागी होकर ताल ठोक रखी है. ऐसे में एक-एक वोट के लिए उम्मीदवारों को मशक्कत करनी पड़ रही है, क्योंकि अतीत में कई नेता बहुत मामूली वोटों से हार जाने के चलते विधाननसभा नहीं पहुंच सके हैं.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link