Political – कौन हैं घाटी के ‘वो चेहरे’, जिनके भरोसे जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के सपने देख रही BJP!- #INA

पीएम मोदी, अमित शाह, रविंद्र रैना, निर्मल सिंह

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होंगे, लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल ने सियासी धड़कने बढ़ा दी है. जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजे चौंका सकते हैं, लेकिन बीजेपी ने अपनी राजनीतिक एक्सरसाइज शुरू कर दी है. बीजेपी की उम्मीदें छोटे दलों के साथ निर्दलीयों और बागी उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर टिकी है. बीजेपी अगर सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है तो वो छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाएगी, इसी के लिए निर्दलीय और छोटे दलों के साथ पर्दे के पीछे से तानाबाना बुना जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल के अनुमान का औसतन आंकड़ा देखें तो बीजेपी को 30 से 32 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस के गठबंधन को 42 से 45 मिलने की संभावना है. जम्मू-कश्मीर में 90 विधानसभा सीटें हैं और बहुमत के लिए 46 विधायकों का समर्थन चाहिए, लेकिन पांच विधायकों को मनोनीत करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है. इस तरह बहुमत का आंकड़ा बढ़कर 48 का हो जाता है. ऐसे में कश्मीर की सत्ता पर काबिज होने के लिए सियासी दल में बहुमत का जादुई आंकड़ा जुटाने की कवायद अभी से ही तेज हो गई हैं ताकि नतीजे के बाद वक्त खराब न हो.

बीजेपी ने शुरू की छोटे दलों को साधने की कवायद

बीजेपी को उम्मीद है कि उसे जम्मू संभाग इलाके की कुल 43 विधानसभा सीटों में से 32 से 35 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना और पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह मानते हैं कि बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरेगी और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन की सरकार के गठन में कोई भूमिका नहीं होगी. इसके लिए बीजेपी के नेता सरकार बनाने का फॉर्मूला भी रख रहे हैं कि कैसे बहुमत का नंबर जुटाएंगे. इसके लिए जम्मू संभाग क्षेत्र में बीजेपी के प्रदर्शन के साथ-साथ घाटी में निर्दलीय और छोटे दलों के साथ आने का दावा भी किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलावा सात स्थानीय पार्टियां और कई निर्दलीय उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड़े हैं. चुनाव के बाद छोटे दलों और निर्दलीय विधायक राज्य में सत्ता की दिशा तय करेंगे. कश्मीर संभाग में जिस तरह के चुनाव वोटिंग पैटर्न रहा है, उसके चलते बीजेपी को लग रहा है कि पीडीपी बहुत अच्छा नहीं कर रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन भले ही सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहे, लेकिन अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं पहुंचेगे.

जम्मू संभाग में बीजेपी को कितनी उम्मीद?

बीजेपी इस उम्मीद में है कि जम्मू संभाग से 32 से 35 सीटें जीत लेती है तो उसकी सरकार बननी तय है. कश्मीर संभाग की सीटों की बात करें तो एग्जिट पोल में पीडीपी के बहुत पीछे रहने के अनुमान लगाए गए हैं और बीजेपी इसमें अपने लिए संभावनाएं देख रही. कश्मीर संभाग में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की उपस्थिति के बीच छोटे दल, बागी और निर्दलीय उम्मीदवार बेहतर प्रदर्शन करते हैं तो सत्ता की तस्वीर पलट सकती है. बीजेपी चुनावी नतीजे में इसी की उम्मीद लगाए हुए हैं और सरकार बनाने के लिए सियासी बिसात भी बिछानी शुरू कर दी है.

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने 62 सीटों पर ही चुनाव लड़ा है जबकि बाकी 28 सीटों पर निर्दलीय और छोटे दलों को समर्थन किया था. बीजेपी ने कश्मीर के संभाग इलाके की सीटों पर निर्दलीय को समर्थन किया है. बीजेपी नेताओं के मुताबिक अगर पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है तो वो बिना देरी किए निर्दलीय और छोटी पार्टियों से जीते विधायकों के बूते सरकार बनाने का दावा पेश कर देगी.

निर्दलीय नेताओं के साथ बातचीत शुरू

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने बताया कि निर्दलीय चुनाव जीतने की संभावना रखने वाले नेताओं के साथ बातचीत शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि ये पार्टी के स्तर पर नहीं बल्कि वो अपने स्तर पर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है कि बीजेपी सरकार बनाए, इसके लिए जो हमारे जान पहचान के नेता चुनाव लड़े हैं, मैं उनसे बात कर रहा हूं. निर्मल सिंह ने कहा कि सिर्फ हम ही नहीं पार्टी के बाकी लोग भी मिशन में लगे हुए हैं. बीजेपी नेता कहते हैं कि जिस तरह चुनाव पूर्व गठबंधन होता है उसी तरह मतगणना से पहले भी चर्चा हो ही सकती है.

सरकार बनाने की दिशा में एक्सरसाइज शुरू

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि हम चुनाव नतीजे के इंतजार में बैठे नहीं रहना चाहते हैं बल्कि सरकार बनाने की दिशा में एक्सरसाइज भी शुरू कर दी है. इसके लिए कश्मीर घाटी में निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों के साथ संपर्क भी बनाए रखे हैं, जिन्हें चुनाव में समर्थन किया है. उनका कहना है कि कश्मीर क्षेत्र में जिन निर्दलीय को समर्थन किया है, उसमें से 10 से 15 जीतकर आएंगे. इस तरह जम्मू संभाग में बीजेपी के 35 और कश्मीर संभाग के निर्दलीय विधायकों के समर्थन से हम सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.

बीजेपी की नजर मनोनीत विधायकों पर

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की कोशिश है कि जम्मू संभाग से कम से कम 35 सीटें जीत ले. इसके अलावा बीजेपी की रणनीति का अहम हिस्सा है राज्य के पांच मनोनीत विधायक. नए कानून के मुताबिक जम्मू कश्मीर विधानसभा में 5 सदस्यों का मनोनयन उपराज्यपाल के द्वारा किया जाना है. ऐसे में निर्वाचित सदस्यों की ही तरह इन्हें भी मतदान समेत सभी अधिकार प्राप्त होंगे. इसके बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा की संख्या बढ़ कर 95 और बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा. ऐसे में बीजेपी की कोशिश मनोनयन विधायकों के माध्यम से अपनी संख्या बढ़ाने की है. इसके अलावा बीजेपी की नजर उन निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों पर है, जो कश्मीर संभाग में चुनाव लड़े हैं.

बीजेपी का रशीद इंजीनियर की पार्टी पर फोकस

बीजेपी की नजर जमात-ए-इस्लामी, रशीद इंजीनियर की पार्टी अवामी इत्तिहाद पार्टी (एआईपी) और सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पर है. ऐसे में चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी इन दलों को साधने की कवायद करेगी. इसके बाद जरूरी हुआ तो साथ आने की राह में आगे बढ़ेगी. इसके अलावा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी के कई सदस्य निर्दलीय चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे थे, जिनमें से कई मजबूत स्थिति में है. ऐसे में वो अगर जीतने में सफल रहते हैं तो बीजेपी के लिए सियासी राह आसान हो सकती है.

बीजेपी के रणनीतिकारों ने कश्मीर संभाग से जीत की संभावना वाले निर्दलीय नेताओं पर पूरा फोकस केंद्रित कर रखा है. इसमें इंजीनियर राशीद, सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी, गुलाम नबी आजाद और कुछ निर्दलीय शामिल हैं. बीजेपी ने दक्षिण कश्मीर की 16 विधानसभा सीटों में से 8, मध्य कश्मीर की 15 सीटों में से 6 और उत्तर कश्मीर की 16 सीटों में से 5 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. बीजेपी ने जिन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा, वहां पर निर्दलीय के पीछे से समर्थन किया था.

दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले रफीक वानी ने खुले तौर पर दावा किया कि नए क्षेत्रीय राजनीतिक दल और निर्दलीय हमारे हैं. उन्होंने इंजीनियर राशिद, सज्जाद लोन, अल्ताफ बुखारी और गुलाम नबी आजाद को अपना बताया था. सज्जाद लोन का समर्थन तो बीजेपी पहले ही 2014 में लेने में सफल रही थी, जब पीडीपी के साथ सरकार बनाई थी. इस बार भी माना जा रहा है कि ये सभी छोटे दल बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं.

फारूक अब्दुल्ला ने किया जीत का दावा

वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने विश्वास जताया है कि कांग्रेस-नेशनल कॉफ्रेंस गठबंधन जम्मू-कश्मीर में बहुमत के साथ सरकार बनाएगी. ऐसे में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) उनके साथ शामिल होने के लिए तैयार है. पीडीपी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में धर्मनिरपेक्ष सरकार में पीडीपी अहम भूमिका निभाएगी और इसका हिस्सा होगी. फारूक अब्दुल्ला ने पीडीपी नेता के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस-एनसी गठबंधन में शामिल होने को तैयार हैं. उन्होंने कहा, यह एक बड़ी बात है कि पीडीपी हमारे साथ आने के लिए तैयार है. हम सभी एक ही रास्ते पर हैं, नफरत को हमें खत्म करना है और जम्मू-कश्मीर को एकजुट रखना है. ऐसे में देखना है कि जम्मू एंड कश्मीर में दस साल बाद किसकी सरकार बनेगी?

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