Political – Haryana Election Result: जून की चोट के बाद हरियाणा के चुनाव परिणाम ने कैसे लौटा दिया बीजेपी का उत्साह- #INA

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम.

अगर आपसे पूछा जाए 4 जून 2024 और 8 अक्टूबर 2024 में क्या फर्क है तो शायद आपका जवाब हो ‘126 दिनों का अंतर’. मगर यह 126 दिन किसी भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ता के लिए काफी अहम रहे हैं. इन 126 दिनों में बीजेपी ने निराशा से उत्साह तक का सफर तय किया. 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए थे, जिसमें बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पहले ही रुक गई थी. तो 8 अक्टूबर को हरियाणा के नतीजे आए, जहां बीजेपी तीसरी बार प्रचंड बहुत के साथ सरकार बनाने जा रही है. हरियाणा की जीत के साथ ही बीजेपी ने 126 दिनों के अंदर तगड़ा बाउंसबैक किया है.

बीजेपी के लिए हरियाणा का विधानसभा चुनाव किसी मुश्किल टास्क से कम नहीं था. 10 साल तक सरकार चलाने के बाद भयंकर एंटी इनकम्बेंसी झेल रही बीजेपी को कांग्रेस से लोकसभा चुनाव का बदला लेना था. इसलिए इस बार तैयारी जमीनी की गई. किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना समेत कई मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेर रही कांग्रेस को उसके ही जाल में फंसाने की रणनीति बनी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ‘संविधान खत्म होने’ का जो दांव चला था, वहीं दांव बीजेपी ने चला. दलितों के अंदर मैसेज पहुंचाने का काम किया गया कि कांग्रेस आई तो दलितों पर अत्याचार बढ़ जाएगा.

इसके साथ ही बीजेपी ने बड़ी-बड़ी रैलियों की जगह छोटी-छोटी रैलियां करके हरियाणा के लोगों को समझाने का प्रयास किया. डबल इंजन सरकार की योजनाओं के बारे में बताया गया तो नाराज नेताओं को मनाने के लिए हाईकमान जुटा रहा. बीजेपी ने बूथ मैनेजमेंट पर खास काम किया और पूरे चुनाव को जाट बनाम गैर-जाट बनाने की कवायद में लगी रही. कांग्रेस के भीतर की खींचतान भी बीजेपी के काम आई. बीजेपी अपनी रणनीति में कामयाब हुई और हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी ने इस जीत के जरिए लोकसभा चुनाव का बदला भी कांग्रेस से ले लिया है.

एग्जिट पोल दिखा रहे थे 400 सीट लेकिन आईं महज 240

लोकसभा चुनाव के दौरान सभी एग्जिट पोल ने प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी की सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की थी. कई एग्जिट पोल तो बीजेपी को 400 से अधिक सीटें जीतते हुए दिखा रहे थे. लेकिन 4 जून को जब नतीजे आए तो सारे एग्जिट पोल फेल हो गए और बीजेपी 240 सीटों पर सिमट गई. तब कांग्रेस ने बीजेपी और एग्जिट पोल का खूब मजाक उड़ाया था. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी कार्यकर्ता निराश हो गए थे. कांग्रेस भी कहने लगी थी कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा अब खत्म हो गया है.

बड़े नेताओं की रैली की जगह बूथ मैनेजमेंट पर फोकस

लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के लिए हरियाणा का चुनाव सबसे पहली और बड़ी अग्निपरीक्षा थी. चुनाव से 6 महीने पहले ही बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को कमान सौंपी थी, लेकिन इस बदलाव के बावजूद बीजेपी का ग्राफ नीचे जाता हुआ दिख रहा था. बीजेपी के अंदरखाने हरियाणा को लेकर बेचैनी थी. यही वजह थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के दिग्गज नेताओं ने राहुल गांधी या कांग्रेस नेताओं की अपेक्षा कम रैलियां की. ऐसा लग रहा था कि बीजेपी को अपनी हार दिखाई दे रही है, लेकिन असल में बीजेपी अपने बूथ मैनेजमेंट को मजबूत कर रही थी.

कांग्रेस का ओवर कॉन्फिडेंस और बीजेपी को हार का डर

वहीं जब बीजेपी थोड़ा कमजोर दिखने लगी तो कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस में आ गई. कांग्रेस के अंदर खींचतान मच गई. भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा की लड़ाई मीडिया की सुर्खियां बनने लगी. इस पर कांग्रेस हाईकमान भी कई दिनों तक शांत बैठा रहा, क्योंकि उसे भी लगने लगा था कि हम हरियाणा जीत रहे हैं. कांग्रेस हाईकमान को बीजेपी के बूथ मैनेजमेंट की भनक तक नहीं लगी. बीजेपी ने अपने बूथ मैनेजमेंट के साथ ही कांग्रेस के भीतर की लड़ाई को मुद्दा बनाया और कुमारी शैलजा के बहाने इसे दलित अस्मिता से जोड़ दिया. बीजेपी की यह रणनीति काम कर गई.

126 दिन में ही बीजेपी ने लिया कांग्रेस से बदला

4 जून के रिजल्ट का 126 दिन बाद यानी 8 अक्टूबर को बीजेपी ने कांग्रेस से बदला ले लिया. सारे एग्जिट पोल ने हरियाणा में प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए. अब तीसरी बार हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है. बीजेपी की इस जीत ने सिर्फ आलाकमान को ही नहीं बल्कि सभी प्रदेशों के बीजेपी कार्यकर्ताओं को बूस्टअप कर दिया है. खासतौर पर उन प्रदेशों के कार्यकर्ता अभी से जश्न के माहौल में हैं, जहां पर (महाराष्ट्र, दिल्ली, झारखंड और यूपी) हाल में चुनाव होने वाले हैं.

निराशा बनी उत्साह, अब आगे की तैयारी में बीजेपी

बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी कार्यकर्ताओं को उत्साह को कम होने नहीं देना चाहता है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बीजेपी दफ्तर जाकर कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई देंगे. हरियाणा की जीत से अब बीजेपी कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि अगर हम हरियाणा जैसे मुश्किल टास्क में अव्वल आ सकते हैं तो बाकी जगह तो कमाल कर देंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व अब चाहेगा कि कार्यकर्ता जून की चोट को भूलकर अक्टूबर की जीत का उत्साह मनाएं और नवंबर या दिसंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए अभी से तैयारी में जुट जाएं.

सहयोगियों की नजर में फिर कांग्रेस बनी ‘विलेन’

बीजेपी ने हरियाणा में अपनी जीत से कांग्रेस को सहयोगियों की नजर में एक बार फिर विलेन बना दिया है. दरअसल, INDIA में शामिल दलों की ख्वाहिश थी कि कांग्रेस अपने सहयोगियों को साथ लेकर कोई भी चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस तो ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार थी. इसलिए वह मध्य प्रदेश की तरह हरियाणा में किसी से भी समझौता करने को तैयार न हुई. आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) देखते रह गए और कांग्रेस अकेले लड़कर एक बार फिर हार का स्वाद चख चुकी है. इस हार से आने वाले चुनाव में कांग्रेस की बार्गेनिंग पॉवर भी कम हो गई है.

Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link

Back to top button