Political – Haryana Election: सैलजा-हुड्डा ही नहीं, इन 4 दिग्गजों ने भी हरियाणा में डुबोयी कांग्रेस की लुटिया- #INA

सैलजा-हुड्डा नहीं, इन 4 दिग्गजों ने भी हरियाणा में कांग्रेस को डुबोया

हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस के भीतर सिर-फुटव्वल जारी है. कद्दावर नेता कुमारी सैलजा ने हार के लिए जवाबदेही तय करने की बात कही है. सैलजा का निशाना पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हु्ड्डा की तरफ है. वहीं कांग्रेस का एक धड़ा हार के लिए सैलजा को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

सैलजा और हुड्डा के अलावा कांग्रेस के भीतर 4 ऐसे भी दिग्गज हैं, जिनके ऊपर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से पार्टी की हार हुई है, उससे कहा जा रहा है कि इन नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

इन 4 दिग्गजों की वजह से हारी कांग्रेस?

1. दीपक बाबरिया- जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया. बाबरिया हरियाणा से पहले मध्य प्रदेश में काम कर चुके थे. कांग्रेस के भीतर बाबरिया को राहुल के किचन कैबिनेट का सदस्य माना जाता है.

प्रभारी महासचिव बनने के बाद बाबरिया न तो हरियाणा में कांग्रेस की संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी खत्म कर पाए. इतना ही नहीं, बाबरिया के बयान ने ही कई बार कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी.

टिकट वितरण के दौरान कुमारी सैलजा ने सार्वजनिक तौर पर बाबरिया पर निशाना साधा था. सैलजा का कहना था कि बाबरिया मीटिंग में कुछ बोलते हैं और बाहर कुछ.

टिकट वितरण के दौरान ही बाबरिया की तबीयत भी बिगड़ गई. इसके बाद बाबरिया पॉलिटिकल सिनेरियो से ही गायब हो गए.

2. अजय माकन- कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे. कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही है. कांग्रेस का टिकट वितरण पूरे चुनाव के दौरान विवादों में रहा.

आरोप है कि टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट को तरजीह मिली. 89 टिकट में से 72 टिकट कांग्रेस में हुड्डा समर्थकों को दे दी गई. टिकट वितरण के बाद कुमारी सैलजा नाराज होकर प्रचार से दूर हो गई. सैलजा की नाराजगी रिजल्ट पर भी दिखा है.

इतना ही नहीं, कई सीटों पर कांग्रेस के बागियों ने ही खेल बिगाड़ दिया है. इनमें अंबाला कैंट और जींद की सीट शामिल हैं. हरियाणा की करीब 5 सीटें ऐसी है, जहां पर कांग्रेस तीसरे या चौथे नंबर पर रही है.

राहुल गांधी के कहने पर जब कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन की कवायद शुरू की तो अजय माकन और हुड्डा इसके विरोध में थे. माकन दिल्ली की राजनीति की वजह से शुरू से ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का विरोध कर रहे हैं.

3. अशोक गहलोत- राजस्थान से दिल्ली की तरफ लौटे अशोक गहलोत को कांग्रेस ने हरियाणा का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था. कांग्रेस के भीतर पर्यवेक्षक का काम सभी को साथ लेकर चलना, क्राइसिस मैनेजमेंट करना और ग्राउंड की रिपोर्ट से हाईकमान को अवगत कराना होता है.

अशोक गहलोत पूरे चुनाव में क्राइसिस मैनेज नहीं कर पाए. कांग्रेस के 29 बागी मैदान में उतर गए, जिसमें से एकाध बागी को ही कांग्रेस मना पाई. अंबाला और जींद में तो कांग्रेस के बागी ने ही पार्टी का खेल खराब कर दिया.

गहलोत पर्यवेक्षक थे, लेकिन सार्वजनिक तौर पर सैलजा और हुड्डा की लड़ाई को रोक नहीं पाए. सैलजा ने आखिर दिन तक मीडिया को इंटरव्यू दिया और हर इंटरव्यू में सीएम पद देने की मांग उठाई.

4. सुनील कनुगोलू- अगस्त 2022 में औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल होने वाले सुनील कनुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की रणनीति देख रहे थे. कहा जाता है कि हरियाणा मांगे हिसाब पदयात्रा का रोडमैप भी कनुगोलू की टीम ने ही तैयार किया था. कनुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए.

हालांकि, कनुगोलू बीजेपी की रणनीति को समझने में फेल रहे. जमीन पर जिस तरह से बीजेपी ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी कनुगोलू की टीम काउंटर नहीं कर पाए.

हार से सकते में कांग्रेस हाईकमान

हरियाणा की हार से कांग्रेस हाईकमान सकते में हैं. कांग्रेस की तरफ से इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है. रिपोर्ट खुद मल्लिकार्जुन खरगे देखेंगे. कहा जा रहा है कि इसके बाद पार्टी कोई एक्शन ले सकती है.

हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि हरियाणा का परिणाम अप्रत्याशित है. पार्टी इस जनमत का आकलन कर रही है. हमारे कार्यकर्ताओं से बात कर, पूरी जानकारी हासिल करने और तथ्यों को जांच लेने के बाद पार्टी की तरफ से विस्तृत प्रतिक्रिया आएगी.

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