Political – महाराष्ट्रः औरंगाबाद की 2 सीटों पर जीत को लेकर ऐसे ही कॉन्फिडेंट नहीं हैं ओवैसी, 5 महीने पहले ही मिल गए थे संकेत- #INA
ओवैसी का महाराष्ट्र की 2 सीटों पर जीत का दावा
महाराष्ट्र की सियासत से किंगमेकर बनने की उम्मीद से चुनावी मैदान में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें से 13 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो 4 सीटों पर दलित समाज के लोगों को टिकट दिया है. AIMIM ने मराठावाड़ा के औरंगाबाद की दो सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे हैं और पार्टी प्रमुख ओवैसी ने दोनों ही सीटों पर जीत का दावा भी किया है. उन्होंने कहा कि औरंगाबाद से हमारे दो विधायक जीतकर जाएंगे.
बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी गठबंधन के बीच सिमटे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी को औरंगाबाद की दो सीटों पर जीत का कॉन्फिडेंस ऐसे ही नहीं आया बल्कि पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे से ही संकेत मिल गए थे. यही वजह है कि ओवैसी पूरे आत्मविश्वास के साथ औरंगाबाद में जीत का दावा कर रहे हैं.
औरंगाबाद में AIMIM की मजबूत चुनौती
ओवैसी ने औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) जिले की औरंगाबाद सेंट्रल और औरंगाबाद पूर्वी सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. औरंगाबाद सेंट्रल सीट पर AIMIM से नासिर सिद्दीकी तो औरंगाबाद पूर्वी सीट से इम्तियाज जलील चुनाव लड़ रहे हैं. इम्तियाज जलील के सामने सपा और वंचित बहुजन अघाड़ी ने मुस्लिम प्रत्याशी को उतार रखा है जबकि बीजेपी से मोरेश्वर सावे और कांग्रेस से लाहू हनमनत्रो चुनाव लड़ रहे हैं. इसी तरह सेंट्रल सीट पर नासिर सिद्दीकी को वीबीए के जावेद कुरैशी से मुकाबला करना पड़ रहा है तो शिवसेना (यूबीटी) के बालासाहेब थोराट तो शिंदे की शिवसेना से प्रदीप जयसवाल से फाइट है.
औरंगाबाद से AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ रहे इम्तियाज जलील और नासिर सिद्दीकी दोनों की जीत की भविष्यवाणी असदुद्दीन ओवैसी ने कर दिया है. ओवैसी ने कहा कि दोनों ही प्रत्याशियों की जीत तय है, क्योंकि लोगों को उन पर भरोसा है कि अगर AIMIM के विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा जाते हैं तो क्षेत्र के मुद्दों पर ध्यान देंगे. औरंगाबाद में पीने की पानी की समस्या, खराब सड़कें और रोजी-रोजगार का संकट प्रमुख मुद्दा है. हमारी पार्टी के दोनों ही विधायक जीत कर सदन में जाएंगे तो उनकी समस्याओं पर चर्चा ही नहीं बल्कि उसे हल करने की कोशिश करेंगे.
ओवैसी क्यों कर रहे जीत का दावा
असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसी ही औरंगाबाद की दोनों सीटें जीतने का दावा नहीं किया बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत दिया है. इन दोनों ही सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट से AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ रहे इम्तियाज जलील को क्षेत्र के तहत आने वाली 6 विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो सीट पर ही बढ़त मिली थी. औरंगाबाद सेंट्रल और औरंगाबाद ईस्ट विधानसभा सीट पर महायुति और महा विकास अघाड़ी से ज्यादा वोट AIMIM को मिले थे.
वहीं, औरंगाबाद की लोकसभा सीट के तहत आने वाली चार विधानसभा सीट पर शिंदे की शिवसेना का पलड़ा भारी रहा था. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) से चुनाव लड़ने वाले चंद्रकांत खैरे को एक भी सीट पर बढ़त नहीं मिली थी. महायुति के प्रत्याशी संदीप पनराव भुमरे को 4,76,130 वोट मिले थे तो इम्तियाज जलील को 3,41,480 को वोट मिले थे. उद्धव की शिवेसना (यूबीटी) के चंद्रकांत खैरे को 2,93,450 को वोट मिले थे.
लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट शिंदे की पार्टी ने भले ही 1,34,650 वोटों से जीतने में कामयाब रहे हों, लेकिन ओवैसी के कैंडिडेट ने महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवार से ज्यादा वोट हासिल कर बड़ा संकेत दे दिया था. इसके चलते ही ओवैसी औरंगाबाद जिले की दोनों सीटें पर जीतने का दावा कर रहे हैं. इसके लिए तमाम तर्क भी दे रहे हैं.
SP-VBA की वजह से ओवैसी को चुनौती
असदुद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद की सेंट्रल और पूर्वी सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखा है, लेकिन समाजवादी पार्टी और वंचित बहुजन अघाड़ी ने जिस तरह मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, उसके चलते मुश्किल जरूर खड़ी हो गई है. औरंगाबाद पूर्वी सीट पर सपा ने 2014 और 2019 में AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अब्दुल गफ्फार कादरी को उतारकर इम्तियाज जलील की मुश्किलें खड़ी कर दी है.
साल 2014 में इम्तियाज जलील औरंगाबाद सेंट्रल सीट से जीतकर विधायक चुने गए थे और 2019 में सांसद बन गए थे. इस बार इम्तियाज जलील पूर्वी सीट के बजाय सेंट्रल सीट से चुनाव में उतरे हैं, जिसके चलते ही गफ्फार कादरी सपा का दामन थामकर अब चुनावी रण में उतर गए हैं. पूर्वी और सेंट्रल दोनों सीटों पर सपा और वंचित बहुजन अघाड़ी ने जिस तरह सियासी चक्रव्यूह रचा है, उसे ओवैसी के लिए तोड़ना आसान नहीं होगा.
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