Political – महाराष्ट्र में गडकरी और झारखंड में हिमंत…बीजेपी ने इन दोनों नेताओं की क्यों कराई सबसे ज्यादा रैली?- #INA

बीजेपी ने इन दो नेताओं की क्यों कराई सबसे ज्यादा रैली?

झारंखड और महाराष्ट्र के चुनाव प्रचार को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जिस रणनीति को अपनाया है, उसकी अब चर्चा हो रही है. महाराष्ट्र के मैदान में बीजेपी ने नितिन गडकरी तो झारखंड में हिमंत बिस्वा सरमा से सबसे ज्यादा रैली करवाई है. दिलचस्प बात है कि दोनों ही राजनेता इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार नहीं हैं.

विधानसभा की 288 सीटों वाली महाराष्ट्र में बीजेपी करीब 160 तो 81 सीटों वाली झारखंड में 68 पर चुनाव लड़ रही है.

झारखंड: मरांडी-चंपई से हिमंत की ज्यादा रैली

81 विधानसभा सीटों वाली झारखंड में बीजेपी 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी की तरफ से सबसे ज्यादा रैली चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने किया है. हिमंत ने पूरे चुनाव में तकरीबन 54 रैलियों को संबोधित किया है. हिमंत के बाद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने चुनावी रैली की है. शिवराज ने करीब 50 रैलियों को संबोधित किया है.

हिमंत रैलियों को संबोधित करने के साथ-साथ डैमेज कंट्रोल का काम भी कर रहे थे. हिमंत और शिवराज के बाद अमित शाह ने कुल 16 रैलियों को संबोधित किया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी 12 से ज्यादा रैली की है.

लोकल नेताओं की बात की जाए तो चंपई घाटशीला, दुमका, जामा और जामताड़ा तक ही सीमित रहे. बाबू लाल मरांडी भी अपने धनवार सीट से बाहर नहीं निकल पाए.

महाराष्ट्र: गडकरी ने मारी फडणवीस-बावनकुले से बाजी

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार थम चुका है. बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सबसे ज्यादा 72 रैलियों को संबोधित किया है. डिप्टी सीएम और मु्ख्यमंत्री के दावेदार देवेंद्र फडणवीस ने कुल 64 रैलियां की है. फडणवीस इसके अलावा प्रधानमंत्री की रैली में भी शामिल रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की 27 रैलियां हुई है.

राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की बात की जाए तो नरेंद्र मोदी ने 10, अमित शाह ने 15 और योगी आदित्यनाथ ने 11 रैलियों को संबोधित किया.

कांग्रेस की तरफ से सबसे ज्यादा रैली नाना पटोले ने की है. पटोले ने 65 रैलियों को संबोधित किया है. शरद पवार की 53 और उद्धव ठाकरे की 44 रैलियां पूरे महाराष्ट्र में हुई है.

अब सवाल- इनकी सबसे ज्यादा रैली क्यों?

न तो झारखंड में हिमंत बिस्वा सरमा और न ही महाराष्ट्र में नितिन गडकरी मुख्यमंत्री पद के फ्रंटरनर हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि फिर इन दोनों नेताओं की सबसे ज्यादा रैली बीजेपी की तरफ से क्यों कराई गई?

1. महाराष्ट्र में एंटी इनकंबेंसी का मसला

महाराष्ट्र की सत्ता में बीजेपी सबसे बड़ी हिस्सेदार है और लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा है. बीजेपी पर पार्टियां तोड़ने का भी आरोप लगता रहा है. देवेंद्र फडणवीस बड़े नेता जरूर हैं, लेकिन पूरे महाराष्ट्र में उनका असर नहीं है. पार्टी के भीतर भी उनको लेकर नाराजगी है.

गडकरी एंटी इनकंबेंसी के साथ-साथ विकास के कामों के जरिए बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे रहे. गडकरी ने अपनी रैली में सड़क परिवहन में विभागों में किए गए काम और उसकी गारंटी भी लोगों को खूब दी.

गडकरी की सबसे ज्यादा रैली विदर्भ इलाके में हुई. यहां पर कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है. हालिया लोकसभा चुनाव में विदर्भ में बीजेपी की बुरी तरह हार हुई है. कहा जा रहा है इसी डैमेज को कंट्रोल के लिए बीजेपी की तरफ से नितिन गडकरी को मोर्चे पर उतारा गया था.

2. हिंदुत्व के साथ हिडन स्ट्रैटजी वजह

झारखंड के चुनाव में इस बार बीजेपी ने एग्रेसिव कैंपेन चलाया है. कैंपेन की डोर हिमंत बिस्वा सरमा के हाथों में ही थी. बीजेपी ने यहां बांग्लादेशी घुसपैठ और माटी-बेटी को बड़ा मुद्दा बनाया. हिमंत की सबसे ज्यादा रैली की 2 बड़ी वजहें बताई जा रही है.

– बीजेपी ने इस बार झारखंड के सभी बड़े नेताओं को एक या दो सीट पर समेट दिया था. पार्टी की तरफ से सभी कद्दावरों का साफ कहा गया कि आप सिर्फ अपनी सीट पर फोकस रखें. मसलन, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा पोटका, पूर्व सीएम चंपई घाटशीला और सरायकेला तक ही सीमित रहे.

इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी धनवार से बाहर नहीं निकले. नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी भी अपनी सीट चंदनक्यारी तक ही सीमित रहे. क्षेत्रीय नेताओं के प्रचार में न जा पाने की जो कमी थी, उसकी भरपाई हिमंत ने की.

– हिंदुत्व की राजनीति में हिमंत ही फिट बैठ रहे थे. हिमंत झारखंड बीजेपी के सह चुनाव प्रभारी भी हैं. लोकसभा चुनाव के बाद से ही हिमंत ने इस रणनीति से काम करने का फैसला किया. यही वजह है कि हिमंत ने खुद सबसे ज्यादा रैलियों को संबोधित किया है.

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