Political – J&K चुनाव: न रैलियों पर रोक लगे, न बूथ बदले जाएं… चुनाव आयोग ने जारी किया सख्त निर्देश- #INA
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (फाइल फोटो)
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने प्रशासन और सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं को बेवजह एहतियातन हिरासत (Preventive Detention) में ना लिये जाएं,सुरक्षा कारणों का हवाला देकर मतदान केंद्रों को न बदलें, दो केंद्रों को मिलाकर एक ना करें, साथ ही अंतिम समय में या अचानक रैलियों को रद्द न करें.
निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पिछले चुनावों में अचानक रैलियों को रद्द करने या एहतियातन राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. ऐसा कई बार हुआ था. आयोग ने माना है कि इससे वोटर भ्रमित हो जाते थे. चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होती थी. इसी के चलते मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पूर्ण कमीशन के साथ जम्मू-कश्मीर का दौरा करने के बाद यह निर्देश दिया है.
आपराधिक पृष्ठभूमि वालों के खिलाफ आयोग सख्त
चुनाव आयोग के अधिकारी के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू ने जम्मू-कश्मीर के अपने दौरे में अधिकारियों को साफ तौर पर निर्देश दिया था. उन्होंने कहा था कि किसी भी प्रकार की एहतियाती कार्रवाई पक्षपातपूर्ण नहीं होनी चाहिए. हिरासत में केवल उन्हीं लोगों को लिया जाए, जो आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष ने भी इस मुद्दे को उठाया था. पिछले चुनावों में मतदान से पहले राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एहतियाती रूप से हिरासत में लिया गया था. इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने मई में लोकसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे को उठाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके पार्टी कार्यकर्ताओं और पोलिंग एजेंटों को हिरासत में लिया गया था.
मतदान केंद्रों को जोड़ने या बदलने पर भी रोक
चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों को जोड़ा या दूसरे क्षेत्र में स्थानांतरित नहीं करने का भी निर्देश दिया है. यह एक अहम बदलाव माना जा रहा है. इस गतिविधि पर आयोग ने पूरी तरह से रोक लगा दी है. पिछली चुनावी प्रक्रियाओं में ऐसा कई बार हुआ था. इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति हो जाती थी. साथ ही उम्मीदवारों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वे अंतिम समय में रैलियों और अन्य कार्यक्रमों को रद्द न करें और समय पर इन कार्यक्रमों के लिए अनुमति दें.
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हो रहा चुनाव
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में पार्टियों और उम्मीदवारों ने 3,034 अनुमति अनुरोध प्रस्तुत किए थे, जिनमें से 2,223 को स्वीकृति मिली और 327 को अस्वीकृत किया गया. जम्मू-कश्मीर में 10 वर्ष बाद चुनाव हो रहा है. यह तीन चरणों में है और पहला चरण 18 सितंबर को होगा. दूसरा और तीसरा चरण 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे. जम्मू-कश्मीर में ये पहले विधानसभा चुनाव होंगे, जो 2019 में धारा 370 को खत्म किए जाने और राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद हो रहे हैं.
लोकसभा चुनावों में इस साल जम्मू-कश्मीर ने 58.58% वोटिंग रेट दर्ज की गई, जो 35 वर्षों का उच्चतम रिकॉर्ड था, हालांकि यह 2014 के विधानसभा चुनावों में दर्ज 65.52% से कम था. नेशनल कॉफ्रेंस, पीडीपी और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी सहित तीन मान्यता प्राप्त राज्य दलों के अलावा जम्मू-कश्मीर में 32 रजिस्टर्ड लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भी मैदान में हैं.
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