Sports – Cyber Slavery: क्या है ‘साइबर गुलामी’, जाल में फंस रहे हजारों भारतीय, जानिए- कैसे काम करता है ये नेटवर्क? #INA

Cyber Slavery: साइबर क्राइम के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं. उनमें से एक साइबर स्लेवरी यानी साइबर गुलामी भी है. साइबर गुलामी आज के समय में तस्करी का एक उभरता हुआ खतरनाक रूप है, जिसके जाल में हजारों भारतीयों के फंसे होने की खबरें सामने आ चुकी हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि साइबर गुलामी क्या है, ये नेटवर्क कैसे काम करता है और खुद को इस साइबर क्राइम से कैसे बचाएं. 

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हाल ही में छत्तीसगढ़ के भिलाई के एक शख्स को जॉब देने के नाम पर झांसे में फंसाया गया. उस शख्स को लाओस में कंप्यूटर ऑपेरटर की नौकरी दिए जाने का वादा किया गया था. इसके लिए उनसे ‘सर्विस चार्ज’ के रूप में दो लाख रुपये का पेमेंट भी किया था. उसे लाओस ले जाया गया, लेकिन वहां जाकर उसे पता चला कि जिस कंपनी में वह जॉब करने के लिए आया है, वो साइबर फ्रॉड जैसे अपराधों में लिप्त है. इसके बाद उस शख्स को साइबर करने की ट्रेंनिग दी गई. 

हालांकि, जब उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तो उसे भारत वापस भेजने से पहले कई दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया था. उससे साइब्रर फ्रॉड जैसे कई क्राइम करवाएगा. इसको ही ‘साइबर गुलामी’ का नाम दिया गया है. शख्स ने बताया कि अपराधियों का एक पूरा ऑर्गेनाइज क्राइम नेटवर्क (Organised Crime Network) था, जो फर्जी कंपनी, वीएस एंटरप्राइजेज मैनपावर कंसल्टेंसी के जरिए से काम करते थे. मामले में मंबई से तीन आरोपियों को अरेस्ट किया गया, जिन्होंने पीड़ित को लाओस भेजा था.

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क्या है ‘साइबर गुलामी’?

‘साइबर गुलामी’ का मतलब ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल नेटवर्क के लिए ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड करने के लिए लोगों को मजबूर करना या उनकी तस्करी करना है. पीड़ितों को ऑनलाइन फ्रॉड, आइडेंटिटी थेफ्ट, फिशिंग जैसे अवैध साइबर क्राइम करने के लिए मजबूर किया जाता है. ऐसे लोगों को नौकरी के देने के नाम पर विदेश ले जाया जाता है. जब वो विदेश में फंस जाते हैं, तो उनको जाने से मारने की धमकी दी जाती है और फिर उनसे साइबर क्राइम करवाए जाते हैं. कई पीड़ित आर्थिक तंगी और रोजगारी के कारण ‘साइबर गुलामी’ का शिकार हो जाते हैं.

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कैसे काम करता है नेटवर्क?

‘साइबर गुलामी’ को अंजाम देने वाला नेटवर्क फर्जी नौकरी एडवरटाइजमेंट, अच्छी सैलरी देने का वादा, और खाना पान और रहने की सुविधा दिए जाने के नाम पर लोगों को झांसे में लेते हैं. इस काम में उनके नेटवर्क के कई लोग लगे रहते हैं, जो लोगों से पहले ऑनलाइन और फिर ऑफलाइन संपर्क साधते और फिर उनको तस्करी करके विदेश ले जाता हैं. इतना ही नहीं ये अपराधी पीड़ितों के सभी डॉक्यूमेंट फर्जी बनवाते हैं, ताकि उनके लौटने की संभावना बहुत कम रह जाए. 

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