देश- बिहार के सुपर CM! कहां हैं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के तीनों भाई?- #NA
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी. (फाइल फोटो)
बिहार में जब भी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के शासन काल की बात होती है तो इसमें पूर्व सीएम राबडी देवी के भाईयों सुभाष यादव और साधु यादव का जिक्र जरूर होता है. कहा तो यहां तक जाता है कि जब बिहार में आरजेडी का शासनकाल था तब बिहार में सीएम के अलावा सुपर सीएम भी होते थे. करीब 15 सालों तक बिहार में आरजेडी के शासनकाल में सत्ता में इनका जिक्र होता रहा. लेकिन कालांतर में देखें तो आज राबड़ी देवी के दोनों भाई कहां हैं? क्या कर रहे हैं?
इसके बारे में मुक्कमल जानकारी किसी को नहीं है. यदा कदा साधु यादव का बयान मीडिया में आता है. कुछ जगहों पर इनकी बाइट दिख जाती है. लेकिन सुभाष यादव के बारे में कोई जानकारी फिलहाल नहीं आ रही है.
राबड़ी देवी के तीन भाई!
दरअसल राबड़ी के कुल तीन भाई हैं. जिसमें सुभाष यादव, साधु यादव और प्रभुनाथ यादव शामिल हैं. इन सभी भाई बहनों में प्रभुनाथ यादव सबसे बड़े हैं. इसके बाद राबड़ी देवी, साधु यादव और फिर सुभाष यादव हैं. प्रभुनाथ यादव राजनीति से दूर रहते हैं, जबकि साधु यादव और सुभाष यादव ने बिहार में राजनीति की लंबी पारी को खेला है. ये दोनों भाई एमएलए, एमएलसी और सांसद तक बने. इनके अलावा एक और नेता ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा, जिनका नाम सुनील कुमार सिंह है.
सुनील कुमार सिंह का पहचान बिहार में बिस्कोमान के अध्यक्ष के रूप में भी है. बिहार की राजनीति में सुनील कुमार सिंह का एक पहचान राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई की भी है. आरजेडी में चाहे कोई भी चाहा या अनचाहा मौका हो, सुनील कुमार सिंह हर कदम पर आरजेडी सुप्रीमो के परिवार के साथ खड़े रहे.
पहले राजनीति में आये साधु
साधु यादव का एक नाम अनिरूद्द यादव भी है. साधु यादव ने बिहार की राजनीति में अपनी पारी तब शुरू की थी, जब राज्य में तब जनता दल की सरकार थी. आरजेडी सदस्य के रूप साधु यादव ने पहले 1995 से 1997 तक और फिर 1998 से 2000 तक बिहार विधान परिषद में विधान पार्षद रहे. इसके बाद वह 2000 से 2004 से वह बिहार विधानसभा के गोपालगंज से एमएलए रहे. इसके बाद वे 14वीं लोकसभा में गोपालगंज से सांसद भी चुने गए.
विवाद में छोड़ी पार्टी
बिहार में राजनीति के जानकारों की मानें तो साधु यादव ने तब आरजेडी को छोड़ दिया था जब आरजेडी और तत्कालीन एलजेपी के बीच निर्वाचन क्षेत्रों के बीच बंटवारे संबंधी विवाद हो गया था. आरजेडी छोड़ने के बाद वह तत्काल कांग्रेस में शामिल हो गए और बेतिया से चुनाव लड़ा लेकिन उनको सफलता नहीं मिली. तब वह बीजेपी के डॉक्टर संजय जायसवाल से चुनाव हार गए थे.
एक अन्य जानकारी के अनुसार साधु यादव को कांग्रेस ने कुछ समय के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया, तब उनके ऊपर यह आरोप लगा था कि उन्होंने पार्टी की नीतियों को चुनौती दिया था. हालांकि साधु यादव ने इस पर अपना स्पष्टीकरण भी दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था.
कई पार्टियों में रहे साधु यादव
2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर गोपालगंज से चुनाव लड़ा था लेकिन सफल नहीं रहे. इसके बाद 2014 में वह अपनी बहन राबड़ी देवी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी खड़े हुए लेकिन हार गये. इसके बाद बाद उन्होंने जनाधिकार पार्टी के प्रत्याशी के रूप में बरौली विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा लेकिन तीसरे नंबर पर रहे. 2019 के चुनाव में उन्होंने बसपा की टिकट पर महाराजगंज से चुनाव लड़ा लेकिन यहां भी वह सफल नहीं रहे.
बिहार की राजनीति में एक चर्चा तब भी बहुत जोर पकड़ी थी, जब यह बात सामने आयी थी कि साधु यादव बीजेपी में शामिल होना चाहते थे. लेकिन तब बीजेपी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उनके पार्टी में शामिल होने का विरोध किया था.
चर्चा में रहा नाम
साधु यादव का नाम बिहार की राजनीति के अलावा कई अन्य मसलों में भी चाहे-अनचाहे रूप से चर्चा में रहा. 2003 में जब प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल आयी थी, उस वक्त भी साधु यादव का नाम चर्चा में आया था. खबर फैली कि साधु यादव के समर्थकों ने इस फिल्म रिलीज होने के बाद इसके विरोध में सिनेमाघरों पर हमला किया.
दरअसल इस फिल्म में मुख्य विलेन का किरदान निभा रहे एक्टर मोहन जोशी का नाम साधु यादव था. तब यह भी खबर फैली थी कि खुद साधु यादव ने फिल्म की स्क्रीनिंग को भी रोकने का प्रयास किया था. हालांकि बाद में निर्देशक प्रकाश झा द्वारा दावा किये जाने के बाद मामला शांत हुआ.
साधु के नाम पर खा रहा था खाना
राजधानी के एक वरिष्ठ राजनेता बताते हैं, जब आरजेडी का शासन काल था, तब पटना के बोरिंग रोड इलाके में एक पूर्व विधायक का मशहूर रेस्टोरेंट हुआ करता था. हालांकि वह रेस्टोरेंट आज भी है. उस रेस्टोरेंट में हर रोज भोजन करने के लिए लोगों की भीड उमड़ती थी. एक दिन एक थापा नाम का युवक रेस्टोरेंट में पहुंचा और उसने कहा कि साधु यादव ने खाना मंगवाया है. इसके बाद वह युवक खाना खाया और कई अन्य प्रकार के भोजन को पैक करवा के लेकर चला गया. यह सिलसिला एक साल से भी ज्यादा वक्त तक चला. जब साधु यादव के नाम पर लाखों रूपये की उधारी हो गई तब रेस्टोरेंट के मालिक ने साधु यादव के एक निकटतम सहयोगी को यह बातें बताई.
इसके बाद मामले का खुलासा हुआ और साधु यादव ने उस युवक को अपने समर्थकों के साथ मौके पर पकड़ लिया. जिसके बाद यह रहस्य खुला कि वह थापा नाम का युवक साधु यादव के नाम पर दूसरों को हड़काता था और उनके नाम का गलत इस्तेमाल करता था. इस घटना में साधु यादव ने पकड़े गए युवक से लाखों की उधारी को भी चुकता करवाया था.
क्लर्क थे सुभाष यादव
मिली जानकारी के अनुसार राजनीति में आने से पहले सुभाष यादव पटना सचिवालय में लिपिक की नौकरी करते थे. जब राबड़ी देवी बिहार की सीएम बनी तब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और 1997 में ही वह अपनी बहन का समर्थन करने के लिए आरजेडी में शामिल हो गए. यह वही साल था जब जनता दल से अलग होकर लालू प्रसाद ने आरजेडी का गठन किया था. पार्टी की तरफ से 2004 में सुभाष यादव राज्यसभा के एमपी बने थे. वह 2010 तक राज्यसभा के सांसद रहे.
नौकरशाही पर थी पकड़
बिहार के ही एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि तब बिहार की नौकरशाही पर सुभाष यादव की जबरदस्त पकड़ थी. एक वाक्या बताते हुए वरिष्ठ नेता कहते हैं, बिहार में तब ट्रांसफर होने वाले अधिकारियों की सूची को सुभाष यादव पहले ही बता दिया करते थे. वहीं आश्चर्यजनक रूप से जब राज्य सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी होती थी तब वह सुभाष यादव की सूची से हूबहू मेल खाती थी.
अब बिजनेस में पूरा वक्त
सुभाष यादव के बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने अब राजनीति से दूरी बना ली है. अब वह अपना पूरा वक्त बिजनेस में देते हैं.
सुनील सिंह को राखी बांधती हैं राबड़ी देवी
आरजेडी के एमएलसी रहे सुनील कुमार सिंह की पहचान लालू परिवार के करीबियों में होती है. 2003 में पहली बार सुनील कुमार सिंह बिहार स्टेट मार्केटिंग यूनियन लिमिटेड यानी बिस्कोमान के अध्यक्ष बने. इसके बाद से लगातार वह इस पद पर बने रहे. जून 2020 में सुनील कुमार सिंह बिहार विधान परिषद में आरजेडी के एमएलसी बने. कहा यह भी जाता है कि सगे भाइयों साधु यादव और सुभाष यादव के साथ मनमुटाव होने के बाद राबड़ी देवी सुनील कुमार सिंह को अपना भाई मानती थीं और रक्षा बंधन पर उनको राखी भी बांधती थीं. सुनील सिंह की एक पहचान राबड़ी देवी के भाई के रूप में बिहार की राजनीति में है.
हर वक्त लालू परिवार के साथ
लालू परिवार पर जब भी आड़े तिरछे मौके आए, सुनील कुमार सिंह हमेशा आरजेडी परिवार के साथ खड़े रहे. सुनील कुमार सिंह ने पूरी निष्ठा के साथ लालू परिवार का साथ दिया. सुनील कुमार सिंह के कद की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि आरजेडी की तरफ से जब भी किसी बड़े कार्यक्रम, अधिवेशन का अन्य कार्यक्रम का आयोजन होता था तो इसकी जिम्मेदारी सुनील कुमार सिंह को ही सौंपी जाती रही.
सीबीआई की भी पड़ी थी रेड
सुनील कुमार सिंह तब भी चर्चा में आये थे जब 2022 में सीबीआई ने उनके ठिकानों पर छापा मारा था. बताया यह भी जाता है कि आइआरसीटीसी मामले में कथित भ्रष्टाचार के केस में सुनील कुमार सिंह का भी नाम है.
बढ़ती गई लालू परिवार से दूरी
वरिष्ठ पत्रकार संजय उपाध्याय कहते हैं, जब बिहार में सन 2000 के बाद राजनीति का नया दौर शुरू हुआ तब आरजेडी ने भी अपनी राजनीति के पैटर्न को बदलने की कवायद शुरू की. तब तक इन दोनों के ऊपर कई आरोप लग चुके थे. इधर लालू परिवार भी अपने बच्चों के राजनैतिक भविष्य को लेकर भी आगे की तरफ देख रहे थे. ऐसे में इनके विवाद में रहने से लालू परिवार बार-बार विवाद में आ जाता था. नतीजा यह हुआ कि इनके ही परिवार ने धीरे धीरे इनसे किनारा करना शुरू कर लिया. जिसके बाद यह दोनों भी बागी हो गए.
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