देश- बेटे को बचाने के लिए छिपा लिया, पिता खुद सहता रहा ततैयों के डंक… दोनों की मौत- #NA
ततैया के झुंड के हमले में पिता-पुत्र की मौत
पिता कभी भी अपनी भावनाएं बताता नहीं है लेकि वह भी अपनी औलाद पर जान न्यौछावर किए रहता है. वह अंदर से कितना भी कमजोर क्यों न हो अपने बच्चों को कभी कमजोर नहीं पड़ने देता है. उत्तराखंड से एक दर्दनाक मामला सामने आया है जहां एक शख्स ने अपने बेटे को बचाने के लिए अपनी जान तक दे दी लेकिन अफसोस वह अपने बेटे को भी नहीं बचा सका. जंगल में गए पिता और बेटे पर जर्नन ततैयों ने हमला कर दिया, पिता ने बेटे को बचाने के लिए अपने पीछे छिपा लिया लेकिन वह बच्चे को बचाने में कामयाब न हो सका. घटना में दोनों की मौत हो चुकी है.
जानकारी के मुताबिक यह पूरा मामला उत्तराखंड के टिहरी जिले के जौनपुर क्षेत्र का है. जहां तुनेटा गांव में रहने वाले 47 साल के सुंदर लाल अपने 8 साल के बेटे अभिषेक के साथ रविवार को अपने पालतू जानवरों को चराने के लिए जंगल गए थे. जब वह जंगल में घूम रहे थे उसी वक्त उन पर जर्मन ततैयों (वेस्पुली जर्मेनिका) ने हमला कर दिया. जब ततैयों ने हमला किया तो बेटे की तड़पता देख सुंदर लाल आगे आया और उसने बच्चे को बचाने के लिए नीचे लिटा दिया और खुद ऊपर लेट गया.
बच्चे को नीचे छिपाने के बाद पिता ततैयों के डंक सहन करता रहा. जब जंगल में अन्य ग्रामीणों को सूचना मिली तो वह सुंदर लाल को बचाने के लिए भागे. गांव के प्रधान गोविंद सिंह ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि सुंदर लाल और बेटे अभिषेक को इलाज के लिए मसूरी जेल ले जाया गया. डॉक्टर्स ने इलाज के बाद बेटे अभिषेक रविवार शाम तक घर भेज दिया. जबकि सुंदर लाल का इलाज चलता रहा.
घर जाने के बाद अभिषेक की अचानक तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उसने दम तोड़ दिया. इसके बाद सोमवार सुबह सुंदर लाल ने भी अस्पताल में दम तोड़ दिया. दोनों पिता पुत्र की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. प्रधान ने बताया कि सुंदर लाल मजदूरी और पशुपालन करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था. अब उसके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है. वन विभाग के मसूरी रेंज के अधिकारी लाखीराम आर्य ने कहा कि नियमों के अनुसार पीड़िता परिवार को मुआवजा दिया जाएगा.
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