मुर्दे को बांधकर श्मशान क्यों ले जाया जाता है? जानें सदियों पुरानी परंपरा का रहस्य #INA

भारत में मृत्यु के बाद शव को बांधकर श्मशान ले जाने की प्रथा सदियों पुरानी है और इसके पीछे गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह प्रथा न केवल परंपरा का हिस्सा है, बल्कि इसके पीछे कई आध्यात्मिक और धार्मिक तर्क भी जुड़े हुए हैं. आइए जानते हैं, शव को बांधकर श्मशान ले जाने का क्या रहस्य है. हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को छोड़कर चली जाती है, लेकिन मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा और शरीर का बंधन पूरी तरह नहीं टूटता. शरीर में आत्मा की कुछ ऊर्जा या छाप अभी भी रह सकती है. शव को बांधकर ले जाने का एक उद्देश्य यह भी होता है कि इस दौरान आत्मा के शरीर से जुड़े रहने की संभावना को समाप्त किया जा सके और शरीर का संतुलन बना रहे.

धार्मिक मान्यता के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर में प्रेतात्मा या बुरी आत्माएं प्रवेश कर सकती हैं. शव को बांधकर ले जाने का एक उद्देश्य यह भी होता है कि किसी प्रकार की बुरी ऊर्जा या आत्मा शरीर पर प्रभाव न डाल पाए. शव सुरक्षित रूप से श्मशान पहुंचे और बिना किसी बाधा के अंतिम संस्कार हो सके. श्मशान ले जाते समय शरीर को बांधना एक प्रकार का सम्मान और शांति का प्रतीक भी माना जाता है. व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उनके प्रति सम्मान और देखभाल की जा रही है. शव को इस प्रकार से बांधने से यह भी सुनिश्चित होता है कि शव शांति से अपनी अंतिम यात्रा कर सके.

यह प्रथा एक लंबी सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है जो समाज में पीढ़ियों से चली आ रही है. इसके पीछे मान्यता है कि जब तक शरीर को उचित रूप से नहीं बांधा जाता तब तक उसकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त नहीं होता. इसलिए इसे समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं का हिस्सा माना जाता है. कुछ लोग इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखते हैं. मृत्यु के बाद शरीर निष्क्रिय हो जाता है और उसे स्थिर रखना आवश्यक हो जाता है. शव को बांधने से उसे स्थिरता मिलती है और श्मशान ले जाने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती. शव को बांधकर श्मशान ले जाने की प्रथा धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का हिस्सा है. इस परंपरा का उद्देश्य आत्मा और शरीर के बीच के बंधन को समाप्त करना, शरीर को बुरी शक्तियों से सुरक्षित रखना और सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना है. यह परंपरा समाज में व्यक्ति को मृत्यु के बाद भी सम्मान प्रदान करने का प्रतीक है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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