सेहत – बचाव या ख़तरा…क्या आप भी ब्लू लाइट से बचने के लिए चश्मा लगाते हैं? डॉक्टर की बात सुन ब्रेन हिल जाएगा

भोपाल। आज के टेक्नोलॉजी युग में नए-नए उपकरणों का आविष्कार हो रहा है, जिससे लोगों में तेजी से प्रगति हो रही है। मोबाइल और लैपटॉप जैसे उपकरणों का इस्तमाल करने से लोगों की आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कम उम्र में लोग आंखों की समस्या के लिए डॉक्टर और अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं।

वहीं आज कल ब्लू लाइट से बचने के लिए खास तौर पर युवाओं द्वारा ब्लू कट चश्मा पहना जा रहा है। स्थानीय18 के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि किस तरह का चश्मा पहनना आसान या नादानी है। लैपटॉप की माने तो डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी तरह के नंबर वाले या ब्लू लेंस वाले कंसलटेशन का पालन नहीं करना चाहिए। इसकी आंखों पर बुरा असर भी पड़ता है और नजर में परेशानी भी हो सकती है।

ब्लू कट और ब्लू फिल्टर में अंतर
लोक 18 से अंतर बात करते हुए विजन के निर्देशक अजय वर्मा ने बताया कि ब्लू कट और ब्लू फिल्टर में क्या होता है। ब्लू कट हर प्रकार के रेज़ को ब्लॉक कर देता है। जबकि ब्लू फिल्टर से केवल डैमेज देह लाइट पार नहीं हो पाता है। साथ ही ये आंखों के लिए भी अच्छा होता है.

कई तरह की हो सकती है संभावना
विशेषज्ञ के अनुसार, डिजिटल उपकरण जैसे स्मार्ट फोन, टीवी, टैबलेट, लैपटॉप से ​​​​ब्लू रेंज खराब होती है, जिसकी आंखों के लिए नुकसान होता है। इससे बचने के लिए ब्लू स्पेक्ट्रम वाले मास्क का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका अधिकतर इस्तेमाल भी बर्बाद होता है।

चश्मे से अवलोकन
आई स्पेशलिस्ट का कहना है कि अगर आपकी आंखों में पावर नहीं है तो ग्लास को स्केल से डाऊनलोड करें। इससे पलक झपकने में दिक्कत होती है और आंखों में तनाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही नाक और दिमाग पर भी असर दिखता है। डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के लिए किसी को भी चश्मा नहीं पहनना चाहिए। ब्लू फिल्टर ब्लू कट से बेहतर होता है. डॉक्टर भी अपने ही पुरोहित हैं।

संपादन- आनंद पांडे

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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