देश – हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, CM बदलो-नाराजगी दूर करो; BJP की पुरानी ट्रिक कर गई काम – #INA
Trick and Hat-trick of victories in Haryana Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए हो रही मतगणना के अब तक के रुझानों में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। दोपहर 2 बजे तक के ताजा रुझानों के मुताबिक, राज्य की 90 में से 50 सीटों पर भाजपा आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 35 सीटों पर और निर्दलीय तीन सीटों पर आगे चल रहे हैं। ये चुनावी रुझान एग्जिट पोल के तमाम अनुमानों से ठीक उलट हैं। ऐसे में फिर से इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या भाजपा ने अपनी पुरानी ट्रिक आजमा कर हरियाणा में चुनावी बाजी पलट दी और हरियाणा में चुनावी इतिहास रचते हुए जीत की हैट्रिक लगाई है। इससे पहले राज्य में अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने लगातार तीन बार चुनावों में जीत दर्ज नहीं की थी।
क्या है भाजपा की वह ट्रिक
दरअसल, भाजपा किसी भी राज्य में अपनी सरकार के लंबे कार्यकाल के खिलाफ उपजे जनाक्रोश या गुस्से को दबाने और एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर को कम करने के लिए चुनावों से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री को बदलती रही है। भाजपा ने इसका सफल प्रयोग गुजरात में किया था। उसके बाद उत्तराखंड में भी भाजपा इसे आजमा चुकी थी। उसी ट्रिक को भाजपा ने चुनावों से कुछ महीने पहले हरियाणा में भी आजमाया और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर और उनकी जगह नायब सिंह सैनी की ताजपोशी करवा दी। भाजपा ने इसी के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को भी बदल दिया।
खट्टर ने 26 अक्तूबर 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वह इस पद पर 12 मार्च 2024 तक रहे। फिर उनकी जगह उनके ही करीबी और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद भाजपा खट्टर को केंद्र की राजनीति में ले आई। इससे हरियाणा में खट्टर सरकार के प्रति जो नाराजगी और एंटी एनकम्बेंसी थी, वह कम हो गई। चूंकि नायब सिंह सैनी अभी नए-नए मुख्यमंत्री हैं और उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा और इस बीच उन्होंने कई जन कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया। इसलिए आम जनों को भाजपा ये संदेश देने में कामयाब रही कि सैनी को एक और मौका देना चाहिए, ताकि वह पूर्ण कार्याकल के लिए काम कर सकें।
पीएम मोदी ने भी कम रैलियों को किया संबोधित
खट्टर गैर जाट नेता थे और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद थे। चूंकि भाजपा लोकसभा चुनावों में यह देख चुकी है कि केंद्रीय नेतृत्व के प्रति जनाक्रोश है, इसलिए प्रदेश स्तर के नेताओं को चुनाव प्रचार में खुली छूट दी और संभवत: यही वजह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ चार चुनावी रैलियां हरियाणा में कीं, जबकि इससे पहले 2014 और 2019 में उन्होंने धुआंधार चुनाव प्रचार किया था। ऐसा कर प्रधानमंत्री ने जवानों, पहलवानों और अग्विनीरों के तथाकथित आक्रोश को भी कम करने की सोची समझी रणनीति पर काम की और चुनावों के दौरान केंद्र सरकार की कई संस्थाओं ने भर्तियों में अग्निवीरों के लिए कोटे का ऐलान किया। रही-सही कसर भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र के जरिए पूरी कर दी, जिसमें महिलाओं को कांग्रेस से भी ज्यादा नकद देने का वादा किया गया है।
भाजपा ने और कहां अपनाई CM बदलो ट्रिक
भाजपा ने गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया था। इससे नरेंद्र मोदी के बाद की सरकार के खिलाफ उपजा एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर कम हो गया था और 2022 के दिसंबर में गुजरात चुनावों में भाजपा फिर से जीतने में कामयाब रही थी। गुजरात में यह भाजपा की डबल हैट्रिक थी। इसी तरह उत्तराखंड में भी 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने वहां के मुख्यमंत्री को बदल दिया था। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें भी हटाकर पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाया गया था। उत्तराखंड में भी भाजपा विधानसभा चुनावों में इस ट्रिक से कमबैक करने में कामयाब रही थी।
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